मायावती संभालेंगी संगठन, आकाश के जिम्मे युवाओं की टीम... बसपा की नई रणनीति

बसपा एक बार फिर 2007 के सोशल इंजीनियरिंग मॉडल पर फोकस कर रही है, जिसकी मदद से उसने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. इसके तहत, भाईचारा कमेटियों में दलित, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण समाज के लोगों को बड़े पैमाने पर जोड़ा जा रहा है.

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2026 के विधानसभा चुनावों के लिए बसपा ने बनाई नई रणनीति(Image: PTI/IndiaToday) 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए बसपा ने बनाई नई रणनीति(Image: PTI/IndiaToday)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 13 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती 16 अक्टूबर को लखनऊ में पदाधिकारियों की बड़ी बैठक करने जा रही हैं. इस बैठक में बूथ कमेटियों को पूरा करने, संगठन को मजबूत करने और मायावती-आकाश आनंद की भूमिकाएं तय करने पर चर्चा होगी.

मायावती संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी संभालेंगी, जबकि आकाश आनंद को पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने और युवा टीम को सक्रिय करने की जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके अलावा इस दौरान कुछ और अहम फैसले लिए जाने की संभावना है.

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बसपा अब हर तीन महीने में विधानसभा प्रभारियों का प्रदर्शन समीक्षा करेगी. जिनका काम संतोषजनक नहीं होगा, उन्हें बदला जाएगा ताकि संभावित प्रत्याशी समय से क्षेत्र में सक्रिय होकर जनहित के मुद्दों पर काम कर सकें. अप्रैल 2026 में सभी 403 सीटों पर संभावित प्रत्याशियों की घोषणा होगी, जिन्हें “विधानसभा प्रभारी” के रूप में पेश किया जाएगा.

यह भी पढ़ें: मायावती ने 2027 के लिए 2007 जैसे समीकरण बनाने के दिए संकेत, मुसलमानों पर क्यों साधे रखी चुप्पी

सोशल इंजीनियरिंग मॉडल पर फोकस

पार्टी 2007 की तरह सोशल इंजीनियरिंग मॉडल पर दोबारा फोकस कर रही है. भाईचारा कमेटियों में दलित, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण समाज के लोगों को जोड़ा जा रहा है.

आकाश आनंद प्रदेश में व्यापक जनसभाएं करेंगे, वहीं मायावती मंडल स्तर पर कैडर कैंप करेंगी. 2027 के लक्ष्य को लेकर बसपा 226 सीटों पर जीत का दावा कर रही है और “सरकार बनाने” की तैयारी में जुट गई है. 2027 की तैयारी है 226 सीट हमारी हैं नारे के साथ आगाज होगा.

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हाल ही में किया था शक्ति प्रदर्शन

मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाकर अपने 15 साल के सियासी वनवास को खत्म करने के लक्ष्य के साथ हाल ही में जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया था. लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर हुई रैली में करीब तीन लाख लोगों की भीड़ उमड़ी थी. पूरा परिसर खचाखच भरा रहा और बाहर तक जनसैलाब नजर आया. यह दृश्य बसपा के लिए 2027 से पहले नई सियासी ऊर्जा और आत्मविश्वास का संकेत माना जा रहा है.

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