उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा केस में अहम जानकारी सामने आई है. विदेशी फंडिंग के सहारे एक बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट को जो मुख्य आरोपी संचालित कर रहा था, वह महज सातवीं पास है. इसी के साथ दो अन्य आरोपी भी हैं. बावजूद इसके आरोपियों ने करोड़ों की फंडिंग और प्रॉपर्टी डील से बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया, जिसे अब एटीएस खंगाल रही है.
धर्मांतरण सिंडिकेट के मुख्य किरदारों में तीन नाम सबसे अहम हैं- जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और नीतू रोहरा उर्फ नसरीन. इन तीनों ने मिलकर इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित उतरौला कस्बे को अपने ऑपरेशन का केंद्र बनाया. यहीं से धर्मांतरण का पूरा नेटवर्क तैयार किया.
सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क में करोड़ों की विदेशी फंडिंग की गई, जिससे पुणे से लेकर बलरामपुर तक महंगी प्रॉपर्टी खरीदी गई. चौंकाने वाली बात यह है कि इन तीनों की शैक्षणिक योग्यता महज सातवीं कक्षा तक है. यह जानकारी आजतक को मिली पासपोर्ट डिटेल्स से सामने आई है.
यह भी पढ़ें: छांगुर बाबा का नया काला कारनामा आया सामने, नौकर ने धर्म नहीं बदला तो उसकी पत्नी को फंसाया
पासपोर्ट पर दर्ज डिटेल के अनुसार, नीतू रोहरा उर्फ नसरीन 11 अगस्त 1982 को जन्मी है. शैक्षणिक योग्यता- सातवीं पास है. इस पासपोर्ट में वैधता 30 जून 2024 लिखी है. इसी तरह नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन की जन्म तिथि 8 जून 1979 दर्ज है. उसकी शैक्षणिक योग्यता भी सिर्फ सातवीं कक्षा तक है. नवीन रोहरा के पासपोर्ट की वैधता 30 जुलाई 2026 है. नीतू और नवीन की नाबालिग बेटी, जिसका धर्म परिवर्तन के बाद नाम सबीहा रखा गया है, वह भी सातवीं तक पढ़ी है. इस पासपोर्ट की वैधता 17 जनवरी 2028 तक है.
सूत्रों के अनुसार, न सिर्फ बलरामपुर में बल्कि राज्य के अन्य जिलों और नेपाल सीमा के आसपास भी इस नेटवर्क की जड़ें फैली हैं. छांगुर बाबा को इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है, उसने भी सिर्फ सातवीं तक पढ़ाई की थी. STF की जांच में खुलासा हुआ कि वह आखिरी बार साल 2018 में दुबई गया था, लेकिन उसका पासपोर्ट अब तक बरामद नहीं हुआ है और न ही उसका पासपोर्ट नंबर सामने आ सका है. एटीएस और एसटीएफ की टीमें इस पूरे सिंडिकेट की जांच में लगी हैं.
कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद छांगुर बाबा और रोहरा परिवार ने जिस तरीके से विदेशों से फंड जुटाकर धर्मांतरण का जाल तैयार किया, वह बेहद गंभीर मामला है. अब सवाल है कि आखिर इन लोगों को विदेशों से इतनी भारी मदद कैसे और किन माध्यमों से मिल रही थी? इसकी जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गई है.
संतोष शर्मा