जन सेवा केंद्रों पर करते थे नौकरी और 40 हजार में बना देते थे घुसपैठियों के फर्जी आधार कार्ड, पकड़े गए 10 ठग

एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि यह गैंग दस्तावेजों की जालसाजी के लिए इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता था और इसकी गतिविधियां कम से कम नौ राज्यों तक फैली हुई थीं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से मिल रही सूचनाओं और की गई निगरानी से पता चला कि गिरोह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था.

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गिरोह हर फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था. (Photo: Representational) गिरोह हर फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 23 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नेपाली नागरिकों समेत विदेशी नागरिकों के लिए फर्जी आधार कार्ड बना रहा था. शुक्रवार को एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.

एडीजी (कानून-व्यवस्था एवं एसटीएफ) अमिताभ यश ने बताया कि यूपी के अलग-अलग इलाकों में की गई कार्रवाई में गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. शुक्रवार देर शाम यूपी पुलिस ने बताया कि सहारनपुर से गिरोह के दो और सदस्य पकड़े गए हैं.

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कई राज्यों में सक्रिय था गिरोह

अमिताभ यश के अनुसार, यह गिरोह इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों से दस्तावेजों की जालसाजी करता था और कम से कम नौ राज्यों में सक्रिय था. उन्होंने बताया, 'पिछले कुछ महीनों से मिली जानकारी और निगरानी के आधार पर सामने आया कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था.'

कैसे बनाते थे आधार कार्ड?

गिरोह के सदस्य विधिवत रजिस्टर्ड जन सेवा केंद्रों पर काम करते थे और वहां से आधार पंजीकरण की प्रक्रिया की जानकारी हासिल कर लेते थे. इसके बाद वे अधिकृत उपयोगकर्ताओं की आईडी-पासवर्ड, अंगूठे के निशान और आईरिस स्कैन की तस्वीरें गैरकानूनी तरीके से जुटा लेते थे. इन्हीं के सहारे अलग-अलग राज्यों में फर्जी आधार कार्ड बनाए जाते थे.

दलालों के जरिए ऐसे लोगों को यह आधार कार्ड दिलाए जाते थे, जिनके पास भारतीय दस्तावेज नहीं थे या जिन्हें अपनी जन्मतिथि और अन्य रिकॉर्ड में बदलाव कराना होता था. ऐसे मामलों में गिरोह नकली जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और शपथ पत्र तैयार करता था, जिनके आधार पर फर्जी आधार कार्ड जारी हो जाते थे.

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वसूलते थे 2000 से 40000 तक की रकम

गिरोह हर फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था. इन आधार कार्डों का इस्तेमाल पासपोर्ट बनवाने, दूसरे फर्जी भारतीय दस्तावेज तैयार करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जाता था.

पुलिस ने गिरोह से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, फिंगरप्रिंट स्कैनर, आईरिस-स्कैन उपकरण, डमी यूजर प्रोफाइल, लेखपाल और अन्य अधिकारियों की नकली मुहरें, पहले से तैयार आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं.

गिरोह का मास्टरमाइंड भी गिरफ्तार

पुलिस के मुताबिक, इस ऑपरेशन का मास्टरमाइंड भी गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल है. लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एटीएस थाने में मामला दर्ज किया गया है और गिरोह के बाकी सहयोगियों और उनके काम करने के तरीके की जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ जारी है.

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