39 इंच की लंबाई, 27 साल की उम्र... BSC की डिग्री हाथ में, पर भूख और बेरोजगारी ने तोड़ दिया दो भाइयों का हौसला

अमरोहा में 39 और 41 इंच लंबाई वाले दो सगे भाई बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हैं. 27 वर्षीय संतोष बीएससी करने के बावजूद नौकरी नहीं पा रहे, क्योंकि देखने में बच्चे लगते हैं. वहीं, छोटा भाई नरेश पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर हुआ. दोनों को मजदूरी तक नहीं मिलती. दोनों भाई कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम से नौकरी की गुहार लगाकर मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

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लंबाई बनी रोज़गार की सबसे बड़ी बाधा.(Photo: Screengrab) लंबाई बनी रोज़गार की सबसे बड़ी बाधा.(Photo: Screengrab)

बी एस आर्य

  • अमरोहा,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से एक भावुक करने वाली कहानी सामने आई है, जहां शारीरिक बनावट दो शिक्षित भाइयों के जीवन की सबसे बड़ी परेशानी बन गई है. दो सगे भाई- 27 वर्षीय संतोष कुमार और 21 वर्षीय नरेश अपनी लंबाई कम होने की वजह से नौकरी नहीं पा रहे हैं. दोनों देखने में इतने छोटे लगते हैं कि लोग उन्हें बच्चे समझ लेते हैं. संतोष की लंबाई सिर्फ 39 इंच है, जबकि नरेश की लंबाई 41 इंच. गरीबी ऐसी कि दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है.

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बड़े भाई संतोष ने बीएससी तक पढ़ाई की, उम्मीद थी कि पढ़-लिखकर नौकरी मिलेगी और घर की आर्थिक हालत सुधरेगी. लेकिन शिक्षा भी उनके काम नहीं आ सकी. न नौकरी मिली, न गांव में मजदूरी. लोग उन्हें देखकर बच्चा समझते हैं और कोई काम देने से इंकार कर देता है. उधर, छोटे भाई नरेश की पढ़ाई आर्थिक तंगी की वजह से हाईस्कूल के बाद ही छूट गई. उसकी लंबाई भी 41 इंच पर आकर रुक गई, जिससे रोजगार की राह और कठिन हो गई.

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नौकरी के लिए डीएम कार्यालय पहुंचे दोनों भाई

दोनों भाइयों की हालत इतनी खराब हो गई कि वे कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी के कार्यालय में मदद की गुहार लगाने पर मजबूर हो गए. दोनों ने बताया कि घर में खाना तक नसीब नहीं होता और उनका परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. पिता ने संतोष को पढ़ाया था ताकि नौकरी से घर चल सके, लेकिन उनकी लंबाई की वजह से न सरकारी और न ही निजी काम मिल पा रहा है.

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जिलाधिकारी से मुलाकात के दौरान दोनों भाइयों ने नौकरी दिलाने की मांग की. डीएम ने उन्हें आश्वासन तो दिया, लेकिन नौकरी कब और कैसे मिलेगी, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला. फिलहाल दोनों भाई आशा और चिंता के बीच फंसे हुए हैं, क्योंकि परिवार की हालत बद से बदतर होती जा रही है.

लंबाई ने रोक दी तक़दीर की राह

दोनों भाइयों का कहना है कि पढ़े-लिखे होने के बाद भी वे रोजगार से दूर हैं और उनकी लंबाई उनके भविष्य का सबसे बड़ा अवरोध बन गई है. गांव में मजदूरी, दुकानों पर काम या किसी भी सामान्य नौकरी में भी उन्हें मौका नहीं मिलता. इस वजह से परिवार पर आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है.

अब दोनों भाई यही उम्मीद लगाए हुए हैं कि उनका आवेदन जिलाधिकारी तक पहुंचकर किसी समाधान में बदल जाए. हालांकि यह अभी तय नहीं कि उन्हें नौकरी मिलेगी या नहीं, लेकिन दोनों भाइयों की नजरें अभी भी उम्मीद की डोर से जुड़ी हैं.

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