23 लाख का सोने का लोटा... सहारनपुर के 300 साल पुराने शिव मंदिर में गंगाजल चढ़ाने उमड़ी भीड़ 

sawan shivratri 2025: इस मंदिर का इतिहास मराठा शासनकाल से जुड़ा हुआ है. लगभग तीन शताब्दियों पहले निर्मित यह मंदिर कुछ समय पहले तक वीरान पड़ा था. मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित होने के कारण गतिविधियां थम सी गई थीं. तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर इस मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. इस बार मंदिर समिति द्वारा विशेष रूप से तैयार कराए गए 250 ग्राम के स्वर्ण कलश की से जलाभिषेक किया जा रहा है.

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सहारनपुर के मराठा कालीन सिद्ध पीठ गोटेश्वर महादेव मंदिर में 250 ग्राम के सोने के लोटे से जल चढ़ाया जा रहा है. (Photo: Screengrab) सहारनपुर के मराठा कालीन सिद्ध पीठ गोटेश्वर महादेव मंदिर में 250 ग्राम के सोने के लोटे से जल चढ़ाया जा रहा है. (Photo: Screengrab)

राहुल कुमार

  • सहारनपुर ,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

यूपी के सहारनपुर में सावन के पवित्र महीने में आस्था, इतिहास और श्रद्धा का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है. मंडी समिति रोड पर स्थित 300 साल पुराने मराठा कालीन सिद्ध पीठ गोटेश्वर महादेव मंदिर में इस बार सोने के लोटे से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जा रहा है. मंदिर समिति द्वारा विशेष रूप से तैयार कराए गए 250 ग्राम के स्वर्ण कलश की अनुमानित कीमत 23 लाख (आज के मूल्य के हिसाब से, 22 कैरेट में) बताई जा रही है. 

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इस मंदिर का इतिहास मराठा शासनकाल से जुड़ा हुआ है. लगभग तीन शताब्दियों पहले निर्मित यह मंदिर कुछ समय पहले तक वीरान पड़ा रहा. मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित होने के कारण वर्षों तक इसकी गतिविधियां थम सी गई थीं. मंदिर का रास्ता भी अवरुद्ध कर दिया गया था, जिससे भक्तों का यहां पहुंचना कठिन हो गया था.

2020 में खोला गया पट 

वर्ष 2020 में तत्कालीन जिलाधिकारी अखिलेश सिंह की पहल और हिंदू संगठनों के संघर्ष के बाद इस मंदिर के पट एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. प्रशासन द्वारा कुछ स्थानीय व्यापारियों को इसकी पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी सौंपी गई. तत्पश्चात एक मंदिर समिति का गठन हुआ और मंदिर में नियमित धार्मिक गतिविधियां शुरू हुईं.

समिति के महामंत्री अमित पंडित के अनुसार, वर्ष 2021 में मंदिर में विधिवत पूजा और उत्सवों की परंपरा फिर से शुरू की गई. मंदिर परिसर में स्थित पुराना कुआं और निर्माण की शैली इस बात की पुष्टि करती है कि यह स्थान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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सोने के लोटे से जलाभिषेक 

समिति के महामंत्री अमित पंडित ने बताया कि इस वर्ष श्रावण मास में मंदिर समिति ने एक विशेष निर्णय लिया. भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए 250 ग्राम के शुद्ध स्वर्ण लोटे की व्यवस्था की गई है. यह लोटा न केवल भौतिक रूप से मूल्यवान है, बल्कि भक्तों की आस्था और समर्पण का प्रतीक बन चुका है. समिति का कहना है कि इस निर्णय के पीछे कोई दिखावा या प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह एक निःस्वार्थ और श्रद्धा से प्रेरित कदम है.

महामंत्री अमित पंडित कहते हैं कि धन की नहीं, भाव की कीमत होती है. जब श्रद्धा सच्ची हो, तो साधन भी पवित्र हो जाते हैं. सोने के लोटे से अभिषेक करने का यह विचार समिति की सामूहिक भावना और सहारनपुर की सामाजिक सांस्कृतिक चेतना को दर्शाता है. आयोजन का उद्देश्य सिर्फ शिवभक्तों को विशिष्ट अनुभूति देना नहीं, बल्कि पूरे देशभर से आने वाले कांवरियों को एक ऐतिहासिक अनुभव प्रदान करना भी है.

भक्तों के लिए सेवा और सहयोग की व्यवस्था

मंदिर समिति ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए कई स्तरों पर जिम्मेदारियां निर्धारित की हैं. विभिन्न सदस्यों को अलग-अलग कार्य सौंपे गए हैं. कोई भंडारे की व्यवस्था संभाल रहा है, तो कोई स्वच्छता और दर्शन की लाइन का प्रबंधन. पिछले तीन दिनों से मंदिर में भंडारा लगातार जारी है. बड़ी संख्या में कांवरिए मंदिर में रुक भी रहे हैं. अनुमान है कि इस बार शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की संख्या 7000 से अधिक हो सकती है.

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पिछली शिवरात्रि पर 5000 से अधिक भक्तों ने शिवलिंग पर जल चढ़ाया था. इस आयोजन के सुचारू संचालन के लिए प्रशासन भी पूरी तरह से सक्रिय है. मंदिर परिसर और आसपास पुलिस बल की तैनाती की गई है, साथ ही भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं. महामंत्री का कहना है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्वर्ण लोटे के प्रयोग को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. मंदिर परिसर में CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं और समिति के स्वयंसेवक हर समय निगरानी में जुटे हैं.

एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र का विकास

समिति की योजना है कि आने वाले वर्षों में मंदिर परिसर का और विस्तार किया जाए. इसमें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धार्मिक विश्रामगृह, पुस्तकालय, और ध्यान केंद्र की स्थापना प्रस्तावित है. इसके अलावा मराठा कालीन वास्तुकला और इतिहास को सहेजने के लिए एक स्थायी प्रदर्शनी कक्ष बनाने की योजना भी विचाराधीन है.

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