दोस्त के अंतिम संस्कार में जमकर किया डांस, जनाज़े में नाचते हुए दी विदाई

कैंसर से जूझ रहे सोहनलाल ने जनवरी 2021 में अंबालाल को एक पत्र लिखकर परंपरा से हटकर विदाई का अनुरोध किया था: "न रोना, न मौन, केवल उत्सव. जब मैं इस दुनिया में न रहूं, तो तुम मेरी शवयात्रा में शामिल होकर ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते मुझे विदाई देना. 

Advertisement
मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले के एक व्यक्ति ने अपने दोस्त की शवयात्रा में नाचकर उससे किया गया एक सच्चा वादा निभाया. ( Photo: X/@akhilbrahmand) मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले के एक व्यक्ति ने अपने दोस्त की शवयात्रा में नाचकर उससे किया गया एक सच्चा वादा निभाया. ( Photo: X/@akhilbrahmand)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने हर किसी की आंखें नम कर दी.  यहां जवासिया गांव में रहने वाले अंबालाल प्रजापत ने अपने सबसे अच्छे दोस्त की अंतिम यात्रा में नाचते हुए उसे विदा किया. दरअसल, अंबालाल के दोस्त सोहनलाल जैन, जो कैंसर से जूझ रहे थे, उन्होंने तीन साल पहले ही एक चिट्ठी लिख दी थी.

Advertisement

इस चिट्ठी में उन्होंने अपने दोस्त से एक खास वादा लिया था. चिट्ठी में लिखा-"जब मैं इस दुनिया से चला जाऊं, तो कोई रोना नहीं… बस ढोल नगाड़ों के साथ नाच-गाकर मुझे विदा करना और हुआ भी वही. जैसे ही उनकी अंतिम यात्रा निकली, अंबालाल ने पूरे गांव के सामने अपने दोस्त से किए वादे को निभाया. वह ढोल की थाप पर आंखों में आंसू लिए नाचे और दोस्त को हंसते-हंसते विदा किया.

ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए दी विदाई
कैंसर से जूझ रहे सोहनलाल ने जनवरी 2021 में अंबालाल को एक पत्र लिखकर परंपरा से हटकर विदाई का अनुरोध किया था: "न रोना, न मौन, केवल उत्सव. जब मैं इस दुनिया में न रहूं, तो तुम मेरी शवयात्रा में शामिल होकर ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते मुझे विदाई देना. मुझे दुःख के साथ नहीं, बल्कि खुशी के साथ विदा करना. सोहनलाल द्वारा स्वयं लिखा और हस्ताक्षरित यह पत्र उनकी मृत्यु के बाद ही ऑनलाइन सामने आया. अंबालाल ने अपने मित्र की अंतिम इच्छा का सम्मान किया. जब शवयात्रा गांव से गुज़री, तो वह ढोल की थाप पर नाचते रहे.

Advertisement

वीडियो देखकर भावुक हुए लोग
शवयात्रा को देखते हुए स्थानीय लोग भावुक हो गए. कई लोग चुपचाप देखते रहे, जबकि कुछ रो पड़े. कुछ ने तो यह भी स्वीकार किया कि पहले तो वे अचंभित रह गए, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इस दृश्य ने उन्हें उन दोनों के बीच के दुर्लभ बंधन के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया. अंबालाल ने बताया- मैंने अपने दोस्त से वादा किया था कि मैं उसकी अंतिम यात्रा में नाचूंगा, और मैंने किया भी.  वह एक दोस्त से बढ़कर था, वह मेरी परछाई जैसा था.

अनुष्ठान में उपस्थित पंडित राकेश शर्मा ने कहा, "ऐसा बंधन कम ही देखने को मिलता है. सोहनलाल जी ने अंबालाल से नृत्य करने को कहा था और उन्होंने पूरी निष्ठा से उसे पूरा किया. ऐसी मित्रता सदैव बनी रहे."उस पत्र में, जो अब एक यादगार चिट्ठी बन गया है, यह भी लिखा था: "अंबालाल और शंकरलाल मेरी अर्थी के सामने साथ-साथ नाचें और अगर मैंने जाने-अनजाने में कभी कोई गलती की हो, तो कृपया मुझे माफ़ कर दें.

परिवार के सदस्यों ने बताया कि सोहनलाल के जाने से वे टूट गए हैं, लेकिन अंबालाल ने जिस तरह से उनका सम्मान किया, उससे वे भावुक हो गए. एक रिश्तेदार ने कहा, "हम शोक में हैं, लेकिन दोस्ती का यह इज़हार देखकर हम फिर से भावुक हो गए. यह पूरी घटना हमें यह याद दिलाती है कि कुछ वादे इतने पवित्र होते हैं कि मृत्यु के बाद भी उनका सम्मान किया जाता है. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement