मेडिकल इतिहास में कई ऐसे केस दर्ज हैं, जिन्हें लंबे समय तक याद रखा जाता है. कई बार डॉक्टरों की छोटी-सी चूक मरीज की पूरी जिंदगी बदल देती है. ऐसा ही एक मामला अमेरिका के टेक्सास का है, जो एक बार फिर चर्चा में है.
टेक्सास के हर्शेल रॉल्स ब्लैडर कैंसर का इलाज करा रहे थे, लेकिन जब वह ऑपरेशन थिएटर से बाहर आए तो उनकी दुनिया ही उलट चुकी थी. सर्जरी के बाद पत्नी थेलेमा ने उनका हाथ पकड़कर कहा कि हनी, कैंसर खत्म हो गया है,लेकिन कुछ ही पल बाद उन्होंने वो खबर सुनाई जिसने रॉल्स की रूह तक हिला दी. उनकी पत्नी थेलेमा ने बताया कि डॉक्टरों ने तुम्हारा पेनिस हटा दिया.रॉल्स ये सुनकर गुस्से से कांप उठे.
'ना बताया, ना चेताया!'
रॉल्स और उनकी पत्नी का आरोप था कि डॉक्टरों ने कभी ये नहीं बताया कि ऑपरेशन में ऐसी नौबत भी आ सकती है. थेलेमा का कहना था कि कम से कम इतना तो कह सकते थे कि ये भी संभावना है. हम पहले से सोच-समझकर फैसला ले पाते.
डॉक्टरों ने क्या कहा
सर्जन का दावा था कि उन्हें शक हुआ कैंसर पेनिस तक फैल गया है, इसलिए उन्होंने तुरंत ये बड़ा कदम उठा लिया, लेकिन हकीकत तब सामने आई जब पैथोलॉजी रिपोर्ट में पता चला कि पेनिस टिश्यू पूरी तरह कैंसर-फ्री था.इस पूरे मामले में जिन दो डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा-जॉन एस. ड्राइडन और फरीद खौरी. उन्होंने किसी भी तरह की गलती मानने से साफ इनकार कर दिया.
डॉक्टरों के वकील जोएल स्टीड ने दावा किया कि रॉल्स को पहले ही बता दिया गया था कि अगर कैंसर ब्लैडर से फैलता है, तो उनका पेनिस हटाना पड़ सकता है.
डॉक्टरों का बचाव
स्टीड का कहना था कि सर्जरी के दौरान दोनों डॉक्टरों को ऐसा टिश्यू दिखाई दिया, जिससे उन्हें लगा कि कैंसर ब्लैडर से यूरेथ्रा तक फैल चुका है. इस वजह से उन्होंने पेनिस हटाने का फैसला किया, ताकि मरीज की जान बच सके.रॉल्स ने Clinics of North Texas पर मेडिकल नेग्लिजेंस का मुकदमा ठोक दिया. यह मामला 2003 में ट्रायल से पहले ही कोर्ट से बाहर सुलझा लिया गया. ये केस आज भी मेडिकल नेग्लिजेंस और पेशेंट कंसेंट पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.
aajtak.in