एक रूसी व्यक्ति के सिर के आकार के बराबर एक विशालकाय ट्यूमर उसकी गर्दन से सर्जरी कर निकाला गया. देखने में ऐसा लगता था जैसे शख्स के दो-दो सिर हों. एक दशक से अधिक समय तक चले इलाज के बाद भी ट्यूमर ठीक नहीं हो सका था. शख्स अस्पताल जाना नहीं चाहता था और घरेलू उपचारों से उसे ट्यूमर के ठीक हो जाने की उम्मीद थी.
न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के किरोव शहर के 65 साल के एक शख्स के गर्दन पर लगातार ट्यूमर बढ़ रहा था. यह देखते हुए कि उसका साइज बढ़ता जा रहा है. उसने कभी इसे डॉक्टरों से नहीं दिखाया. वह घर में ही इसका इलाज करता था. उसे लगता था कि यह घरेलू नुस्खों से ठीक हो जाएगा. ऐसा करते-करते 16 वर्ष बीत गए और समय के साथ ट्यूमर बढ़ता गया.
ट्यूमर ठीक करने के लिए लगाता था मलहम
किरोव क्षेत्रीय क्लिनिकल अस्पताल के डॉक्टर हैरान रह गए, जब मरीज ने बताया कि वह ट्यूमर के इलाज के लिए साधारण मलहम का उपयोग करता था. इतने दिनों तक मलहम लगाने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ. ट्यूमर इतना बड़ा था कि वह शख्स के सिर के बराबर हो गया था, जो उनकी गर्दन के आधार पर भारी पड़ रहा था.
अस्पताल में सर्जिकल विभाग के प्रमुख इगोर पोपिरिन ने स्थानीय आउटलेट इजवेस्टिया को बताया कि आमतौर पर, ऐसा ट्यूमर धीरे-धीरे और दर्दनाक रूप से बढ़ता है. इसलिए कई मरीज विशेषज्ञ के पास जाने को स्थगित कर देते हैं, उम्मीद करते हैं कि यह गठन अपने आप गायब हो जाएगा.
सालों साल बढ़ता गया ट्यूमर
ट्यूमर की पहचान एक लिपोमा के रूप में की गई, जो एक वसायुक्त गांठ है जो आमतौर पर त्वचा और मांसपेशियों की परत के बीच में विकसित होती है. मेयो क्लिनिक के अनुसार , लिपोमा आमतौर पर नरम रहते हैं और एक या दो इंच तक बढ़ते हैं, लेकिन कुछ मामलों में बढ़ते रह सकते हैं और यहां तक कि सर्पिल आकार में भी हो सकते हैं.
स्पाइनल कोड पर बन गया था ट्यूमर
पोपिरिन ने बताया कि अगर लिपोमा बढ़ जाता है, तो कोई भी मलहम या घरेलू उपचार काम नहीं करेगा. इसका एकमात्र प्रभावी इलाज सर्जरी करके इसे हटाना है. रूसी व्यक्ति का ट्यूमर अन्य लोगों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक था. क्योंकि यह स्पाइनल कोड के पास था, जो सर्विकल प्लक्स को प्रभावित कर रहा था.
ऐसे की गई सर्जरी
सर्जरी के लिए इसका सटीक होना जरूरी था. डॉक्टरों ने अनुमान लगाने की कोशिश की कि ट्यूमर के बिना आदमी की गर्दन कहां होनी चाहिए. पूरी प्रक्रिया के दौरान उसे करवट लेकर लेटना पड़ा क्योंकि वह पीठ के बल आराम से नहीं बैठ सकता था.
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