63 साल की उम्र में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का निधन हुआ. अपने जीवन के 43 साल जनरल बिपिन रावत ने सेना के नाम किए.1978 में सेना में आए और सीडीएस के ओहदे तक पहुंचे. उनके निधन पर पूरे देश की आंखें नम हैं और लोग अपने अंदाज में वीर सपूत को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को शशि नाम के युवक ने श्रद्धांजलि देते हुए पीपल के पत्ते पर उनकी तस्वीर उकेरी है. कर्नाटक के सुल्या तालुका के रहने वाले शशि ने पीपल के पत्ते पर जनरल बिपिन रावत की तस्वीर बनाई, फिर उसका एक रील बनाया. इस रील में केसरी फिल्म का 'तेरी मिट्टी में मिल जावां...' गाना प्ले हो रहा है.
आजतक से बात करते हुए शशि ने कहा, 'मैं सुल्या तालुक से शशि हूं, स्वर्गीय बिपिन रावत देश के एक महान सैन्य अफसर थे. उन्होंने देश के सैन्य/रक्षा बल को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, देश के प्रति उनके योगदान पर हमें गर्व है, उन्हें सम्मान देने के लिए मैंने यह कला की है.' शशि की इस कला की तारीफ हो रही है.
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दादा से लेकर पिता तक सभी सेना में अफसर
सैनिक परिवार से आने वाले जनरल बिपिन रावत के जीवनी बहुत असाधारण है. दादा से लेकर पिता तक सेना में अफसर रहे, सात साल की उम्र में ही सेना में भर्ती होने का सपना देखा था. सेना में भर्ती हुए तो सीडीएस के सर्वोच्च पद तक पहुंचे. चार दशकों तक सेना में अगल-अलग दायित्वों को निभाया, लेकिन आज उसी सेना के सेना के कंधों पर ये दायित्व बहुत भारी है. किसी ने नहीं सोचा था कि देश की तीनों सेनाओं की कमान संभालने वाले जनरल बिपिन रावत को यूं असमय विदाई देने पड़ेगी.
जनरल बिपिन रावत का दिसंबर कनेक्शन
इसे संयोग कहे का कुछ और... दिसंबर वो महीना है, जो जनरल बिपिन रावत की जिंदगी में आए तमाम उतार-चढ़ाव का गवाह बना. साल 1978 में दिसंबर में ही जनरल रावत ने सेना में देश सेवा की कमान संभाली थी और दिसंबर में ही उन्हें सेना के उच्च पदों की जिम्मेदारी मिली. दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि दिसंबर ही उनके बलिदान का भी साक्षी बना.
दरअसल जनरल बिपिन रावत भारतीय सैन्य अकादमी में प्री-मिलिट्री ट्रेनिंग पूरी कर 16 दिसंबर 1978 को 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशन हुए थे. 17 दिसंबर 2016 को वो देश के 27वें थलसेना प्रमुख नियुक्त किए गए.
तीन साल तक थलसेना प्रमुख रहने के बाद 30 दिसंबर 2019 को उन्हें देश का पहला CDS नियुक्त किया गया. इस पद पर उनका कार्यकाल दिसंबर 2022 में खत्म होना था, 8 दिसंबर 2021 में ही काल के क्रूर हाथों ने उन्हें देश से छीन लिया.
नोलान पिंटो