तेंदुए के बच्चे को कार में घुमाया, वीडियो वायरल… अब वन अधिकारी ने दी ये नसीहत

हिमाचल प्रदेश के कोटखाई थरोला निवासी अंकुश चौहान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. इस वीडियो में वह अपनी कार में एक तेंदुए के बच्चे को लेकर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. कार की खिड़की से झांकता हुआ यह नन्हा तेंदुआ खेलता नजर आता है. वीडियो सामने आते ही इंटरनेट पर लोगों ने अंकुश की सराहना की.

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कार में तेंदुए के बच्चे का वीडियो वायरल (Photo: i@iNikhilsaini/X) कार में तेंदुए के बच्चे का वीडियो वायरल (Photo: i@iNikhilsaini/X)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST

हिमाचल प्रदेश के कोटखाई थरोला निवासी अंकुश चौहान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. इस वीडियो में वह अपनी कार में एक तेंदुए के बच्चे को लेकर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. कार की खिड़की से झांकता हुआ यह नन्हा तेंदुआ खेलता नजर आता है. वीडियो सामने आते ही इंटरनेट पर लोगों ने अंकुश की सराहना की.

बचाव और इंसानियत की मिसाल

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जानकारी के मुताबिक, अंकुश चौहान ने यह तेंदुआ का बच्चा मिलने पर खुद उसे थियोग के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) तक पहुंचाया. एक्स पर एक यूजर निखिल सैनी ने लिखा—कोटखाई थरोला निवासी अंकुश चौहान ने तेंदुए के बच्चे को पाकर खुद थियोग डीएफओ तक पहुंचाया. अच्छा लगा देखकर कि इंसानियत अब भी जिंदा है, क्योंकि ऐसे दुर्लभ जानवर अक्सर उनके दांत और खाल के लिए मार दिए जाते हैं.

IFS अधिकारी ने बताया ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए

हालांकि, भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी पर्वीन कसवान ने इस कदम को गलत बताया. उन्होंने लिखा—
यह दिखने में प्यारा और नेक इरादा लग सकता है, लेकिन सही फैसला नहीं है. बचाव आखिरी विकल्प होना चाहिए. पहले कोशिश यही होनी चाहिए कि जहां बच्चा मिला है, उसे सुरक्षित किया जाए और माँ को वापस आने दिया जाए. अगर बार-बार नाकामयाबी हो तभी बचाव का कदम उठाना चाहिए.

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कसवान ने आगे लिखा—ऐसे मामलों में सबसे पहले वन विभाग को सूचित करें. हमारे पास ऐसे कई मामले दर्ज हैं जहां मां रात में लौट आती है. सबसे अहम प्राथमिकता बच्चे को मां से मिलाना होना चाहिए. छोटे बच्चों को बिना मां के पालना बेहद मुश्किल होता है.

देखें वायरल वीडियो

 

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी बंटी हुई दिखीं. एक यूजर ने लिखा कि मुझे भी यही डर लग रहा था कि शायद बच्चा अपनी मां से छिन गया है.

वहीं दूसरे ने कहा कि बिल्कुल सही, प्रकृति को उसका रास्ता खुद तय करने देना चाहिए. इंसानी दखल हमेशा आखिरी रास्ता होना चाहिए.

यह घटना जहां कुछ लोगों को इंसानियत की मिसाल लगी, वहीं विशेषज्ञों और कई यूजर्स ने इसे जल्दबाजी और खतरनाक कदम बताया. इस पूरे मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि वन्यजीवों से जुड़ी परिस्थितियों में सही कदम क्या होना चाहिए. तुरंत हस्तक्षेप या प्रकृति पर भरोसा?

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