क्यों बाइक से भी स्लो चलती है किम जोंग उन की पर्सनल ट्रेन? जिससे रूस-चीन तक चले जाते हैं

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन एक बेहद धीमी गति की ट्रेन से चीन पहुंचे हैं. इस ट्रेन की स्पीड एक बाइक से भी कम है. किम जोंग उन अपने इस पर्सनल ट्रेन से चीन और रूस तक की यात्रा करते हैं. जानते हैं यह ट्रेन आखिर इतनी धीमी क्यों है और इसकी खासियत क्या है?

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उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन अपनी विशेष ट्रेन से चीन पहुंचे हैं, जिसकी रफ्तार काफी धीमी है (Photo -AP) उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन अपनी विशेष ट्रेन से चीन पहुंचे हैं, जिसकी रफ्तार काफी धीमी है (Photo -AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन मंगलवार को अपनी खास ट्रेन से चीन के सैन्य परेड में हिस्सा लेने पहुंचे. एक तरफ कई देशों में आम लोगों के परिवहन के लिए बुलेट ट्रेन जैसी हाईस्पीड रेलगाड़ियों का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं एक देश के राष्ट्राध्यक्ष अपने विशेष सफर के लिए एक बेहद धीमी गति की ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. इस ट्रेन को चलता-फिरता किला कहा जाता है. क्योंकि यह पूरी तरह से बुलेट प्रूफ और अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक से लैस होती है.

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किम जोंग उन ने  बीजिंग की यात्रा के लिए विशेष परिवहन प्रणाली के तहत एक धीमी गति वाले ट्रेन का उपयोग किया है. उनकी ट्रेन गहरे हरे रंग की है. यह एक बख्तरबंद ट्रेन है. इसका इस्तेमाल देश के नेता दशकों से करते आ रहे हैं. 2011 के अंत में उत्तर कोरियाई नेता बनने के बाद से किम ने चीन, वियतनाम और रूस की यात्रा के लिए इसी ट्रेन का उपयोग किया है.

इस ट्रेन की स्पीड कम क्यों है. 
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रेन को उत्तर कोरिया से बीजिंग पहुंचने में करीब 20 घंटे से भी ज्यादा का समय लग गया. क्योंकि यह ट्रेन काफी धीमी है. इसके धीमी होने की वजह इसका पूरी तरह से बख्तरबंद होना है. यह एक बुलेटप्रूफ ट्रेन है. इसके अलावा इसमें एक ऑफिस, बड़ा सा किचन, कारों का काफिला रखने की जगह भी है. यही वजह है कि इसका वजन काफी ज्यादा हो जाता है और यह कारण है कि इसकी गति काफी धीमी होती है. 

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चीन में थोड़ी बढ़ जाती है ट्रेन की स्पीड
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार,  उत्तर कोरियाई परिवहन पर पकड़ रखने वाले दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञ आह्न ब्युंग-मिन का कहना है कि  चीन के नेटवर्क पर ट्रेन की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा (50 मील प्रति घंटा) तक पहुंच सकती है. जबकि उत्तर कोरिया के ट्रैक पर इसकी अधिकतम गति 45 किलोमीटर प्रति घंटा (28 मील प्रति घंटा) है.

क्यों खास है ट्रेन
आह्न के अनुसार सुरक्षा कारणों से किम को ऐसे कई रेलगाड़ियों की आवश्यकता होती है. इसलिए उन्होंने उत्तर कोरिया के ऐसे कई ट्रेनों का इस्तेमाल अब तक अपने सफर के लिए किया है. आह्न ने बताया कि इन ट्रेनों में 10 से 15 डिब्बे होते हैं, जिनमें से कुछ का उपयोग केवल नेता द्वारा किया जाता है.

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन 10 सितंबर, 2023 को रूस जाने के लिए भी पर्सनल ट्रेन का इस्तेमाल किया था. (File Photo - AP)

विशेषज्ञ का कहना है कि इस बुलेटप्रूफ ट्रेन में बड़े दल, सुरक्षा गार्ड, भोजन और सुविधाओं के लिए अधिक सुरक्षित और आरामदायक स्थान होता है. इसमें बैठकों से पहले एजेंडा पर चर्चा करने के लिए एक हॉल जैसी जगह और किम जोंग उन का अपना ऑफिस भी है. 

ट्रेन के अंदर क्या-क्या होता है
आह्न ने बताया कि इस ट्रेन में एक किम जोंग उन के लिए एक शानदार शयनकक्ष होता है. वहीं अन्य डिब्बों में सुरक्षा गार्ड और चिकित्सा कर्मचारी होते हैं. उन्होंने बताया कि इनमें आमतौर पर किम के कार्यालय, संचार उपकरण, एक रेस्तरां और दो बख्तरबंद मर्सिडीज कार के लिए भी जगह होती है.

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मंगलवार को स्टेट मीडिया द्वारा जारी तस्वीरों में किम जोंग उन को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक हरे रंग की गाड़ी के बगल में सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है. इस पर सुनहरे रंग के चिह्न और सजावट थे. वे एक लकड़ी के पैनल वाले कार्यालय में एक बड़े सुनहरे चिह्न के सामने बैठे दिखाई दिए. इसके दोनों ओर उत्तर कोरियाई झंडा लगा हुआ था.

किम की मेज पर सोने से जड़ा एक लैपटॉप कंप्यूटर, ढेर सारे टेलीफोन, सिगरेट का उनका खास डिब्बा और नीले या साफ पेय पदार्थों की बोतलें रखी थीं. खिड़कियां नीले और सुनहरे रंग के पर्दों से सजी थीं.

किम जोंग उन रूस और चीन जैसे देशों की यात्रा के लिए अपने इसी विशेष ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. (Photo - AFP)

2018 में भी ट्रेन के अंदर की दिखी थी झलक
उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी द्वारा 2018 में जारी एक वीडियो में किम को गुलाबी सोफे से घिरी एक विस्तृत ट्रेन में शीर्ष चीनी अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए दिखाया गया था. 2020 में, राज्य टीवी फुटेज में किम को एक तूफान प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के लिए ट्रेन में सवार होते हुए दिखाया गया था, जिसमें फूलों के आकार की लाइटिंग और जेबरा-प्रिंटेड कपड़े की कुर्सियों से सजी एक ट्रेन के अंदर की झलक दिखाई गई थी.

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एक देश से दूसरे की सीमा कैसे पार करती है ये ट्रेन?
आह्न ने बताया कि जब किम जोंग उन 2023 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन भी शामिल होने ट्रेन लेकर रूस गए थे, तब सीमावर्ती स्टेशन पर इसके पहियों को फिर से जोड़ना पड़ा था, क्योंकि दोनों देश अलग-अलग रेल गेज का उपयोग करते थे.

हालांकि, चीन के लिए ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन सीमा पार करने के बाद ट्रेन को चीनी इंजन खींचता है. यही वजह है कि वह स्थानीय  रेल इंजीनियर प्रणाली और संकेतों को जानता है. ऐसा दक्षिण कोरिया के पूर्व ट्रेन इंजीनियर किम हान-ताए ने कहा, जिन्होंने उत्तर कोरिया के रेलवे पर एक किताब लिखी है.

खास ट्रेन को चीन में बने इंजन खींचते हैं
मीडिया चित्रों की समीक्षा के अनुसार, शी के साथ पिछले शिखर सम्मेलनों में जाने के लिए, किम की विशेष रूप से सुसज्जित रेलगाड़ियों की श्रृंखला को आमतौर पर हरे रंग के DF11Z इंजनों द्वारा खींचा जाता था, जो चीन में निर्मित इंजन होते थे. इन पर राज्य के स्वामित्व वाली चीन रेलवे कॉर्पोरेशन का प्रतीक चिह्न होता था तथा कम से कम तीन अलग-अलग सीरियल पंजीकरण संख्याएं होती थीं.

उत्तर कोरियाई नेता मंगलवार को अपने विशेष ट्रेन से चीन में आयोजित सैन्य परेड में शामिल होने पहुंचे. (Photo - REUTERS) 

आह्न ने बताया कि सीरियल नंबर 0001 या 0002 थे. इससे पता चलता है कि चीन उन्हें सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आरक्षित इंजन उपलब्ध करा रहा था.मंगलवार को 0003 सीरियल नंबर वाला एक DF11Z लोकोमोटिव बीजिंग स्टेशन पर पहुंचा, जो उत्तर कोरिया के राष्ट्रीय ध्वज और सोने में बने उसके आधिकारिक प्रतीक वाले 20 से अधिक डिब्बों को खींच रहा था.

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छह डिब्बों वाली ट्रेन पहुंची है चीन
उत्तर कोरियाई गहरे हरे रंग की ट्रेन में चमकीले पीले रंग की दोहरी धारियों वाली छह चीनी बोगियां लगी हुई थीं. उनके बारे में आह्न ने कहा कि संभवतः उनमें चीनी अधिकारी सवार थे, जिन्होंने सीमा पार करते समय किम का स्वागत किया था.

जब किम जोंग उन 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ वियतनाम में शिखर सम्मेलन के लिए चीन से होकर गुजरे थे, तो उनकी ट्रेन को चीन के राष्ट्रीय रेलवे लोगो से सुसज्जित लाल और पीले रंग के इंजन द्वारा खींचा गया था.

किम के दादा भी ऐसी ही ट्रेन का करते थे इस्तेमाल
उत्तर कोरिया के संस्थापक नेता किम इल सुंग, जो कि किम के दादा थे, 1994 में अपनी मृत्यु तक अपने शासन के दौरान नियमित रूप से ट्रेन से विदेश यात्रा करते थे. किम जोंग इल ने रूस की तीन बार यात्रा करने के लिए पूरी तरह से ट्रेनों का सहारा लिया, जिसमें 2001 में मास्को की 20,000 किमी (12,400 मील) की यात्रा भी शामिल थी.

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