जापानी माइक्रोफाइनेंसिंग स्टार्टअप हक्की के फाउंडर रेजी कोबायाशी ने जापान और अफ्रीका में बिजनेस सफल होने के बाद भारत के बेंगलुरु शहर को चुना. उन्होंने अब ये बताया है कि आखिर उन्होंने अपने बिजनेस के लिए बेंगलुरु को ही क्यों चुना है.
अलग-अलग क्षेत्रों में किया है बिजनेस
बिजनेस इंसाइडर को दिए एक इंटरव्यू में रेजी कोबायाशी बताते हैं कि ग्रेजुएशन के आखिरी साल में पढ़ाई छोड़कर उन्होंने जापान में वेब मार्केटिंग बिजनेस शुरू करने का फैसला किया. कुछ समय बाद उस बिजनेस को बेचकर उन्होंने रियल एस्टेट की तरफ रुख किया और इससे जुड़ी एक शेयर हाउस कंपनी खोली. फिर साल 2018 में वो एक नए बिजनेस के लिए केन्या शिफ्ट हो गए.
कैसे हुई हक्की की शुरुआत?
कोबायाशी कहते हैं कि केन्या में उनका पहला साल बहुत मुश्किल था. हालांकि वो इससे पहले भी कई बिजनेस कर चुके थे, लेकिन वहां के बाहरी इन्वेस्टरों से एक नए स्टार्टअप के लिए फंड जुटाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी. आखिर उन्होंने अपने पैसे निवेश करके हक्की नाम का एक माइक्रोफाइनेंंसिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया जो लोगों को लोन पर गाड़ी खरीदने की सुविधा देता है. क्योंकि मार्केट में उस समय लोन पर गाड़ी खरीदने के सीमित विकल्प थे, इसलिए ये बिजनेस काफी चल गया. साल 2024 तक हक्की 3,500 से ज्यादा फाइनेंस कर चुकी है.
भारत आने का कारण
केन्या में भी कुछ समय बाद करियर के विकास के विकल्प भी कम होने लगे. वो कहते हैं कि अफ्रीका में भले ही 140 करोड़ लोग हैं, लेकिन वो पूरे कॉन्टिनेंट में फैले हुए हैं, जबकि केन्या में केवल 5 करोड़ लोग रहते हैं. भारत की बढ़ती इकोनॉमी और बड़ा कंज्यूमर मार्केट देखकर उन्होंने तय किया कि अगला टार्गेट यहीं होना चाहिए.
2024 में कोबायाशी भारत में हक्की के ऑपरेशन्स का विस्तार करने बेंगलुरू शिफ्ट हो गए. अब बेंगलुरू के ऑफिस में चार भारतीय, 74 केन्याई और दो दक्षिण अफ्रीका के कर्मचारी काम कर रहे हैं हालांकि कंपनी का हेडक्वार्टर जापान में ही है. कोबायाशी का मकसद है कि हक्की कंपनी साल 2028 तक जापान स्टॉक एक्सचेंज में शामिल हो जाए.
कैसा है बेंगलुरु का अनुभव?
इंटरव्यू में उन्होंने बेंगलुरू में रहने और काम करने के अनुभव पर भी बात की. कोबायाशी ने वहां की लाइफस्टाइल और लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि इस शहर के बारे में उन्हें कईं चीजें पसंद हैं- वो यहां आराम से फॉर्मल सूट के बदले कैजुअल टी-शर्ट पहनकर घूम सकते हैं और बेंगलुरू का मौसम भी काफी अच्छा है.
यहां के लोगों की अपने भविष्य को लेकर सकारात्मक सोच कोबायाशी को बहुत प्रभावित करती है. वो कहते हैं कि अब उनके कई दोस्त बन चुके हैं जिनके साथ वो खूब मस्ती करते हैं. लेकिन यहां के मसालेदार खाने की जगह वो अब भी ज्यादातर जापान से लाए हुए नूडल्स ही खाते हैं.
भारत और जापान के बिजनेस में अंतर
कोबायाशी ने आगे भारत और जापान में बिजनेस के अलग-अलग तरीकों के बारे में बताया. वो कहते हैं कि भारतीय बिना परिणाम की ज्यादा चिंता किए कुछ नया ट्राई करने की मंशा रखते हैं जबकि जापान के बिजनेमैन कईं सारी मीटिंग्स करके तय करते हैं कि फैसलों से ज्यादातर लोग सहमत हों. भारत में निवेश से जुड़े फैसले भी जापान के मुकाबले बहुत तेजी से होते हैं.
भारतीय काम करने के लिए उत्सुक
उन्होनें अपने भारतीय सहकर्मियों की तारीफ करते हुए कहा कि वे उनसे भी ज्यादा काम करते हैं. सुबह के 9 बजे से रात के 9 बजे तक आराम से काम कर लेते हैं. कंपनी का ड्राइवर भी आधी रात तक उपलब्ध रहता है.
जल्द थाइलैंड शिफ्ट होंगे
हालांकि कोबायाशी भविष्य में थाईलैंड में भी बिजनेस का विस्तार करने के लिए कुछ समय के लिए वहां शिफ्ट हो सकते हैं लेकिन वो कहते हैं कि भारत से उनका जुड़ाव बना रहेगा. यहां अपना स्टार्टअप बढ़ाने के लिए वो हमेशा से प्रतिबद्ध (committed) हैं. वो भविष्य में भारत जरूर लोटेंगे.
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