मौत का त्योहार! यहां पैसे देकर ताबूत में लेटते हैं लोग, देखते हैं अपना ही अंतिम संस्कार

जापान में 13 अप्रैल को टोक्यो के शिबुया जिले में मनाए जाने वाले छह दिवसीय डेथ फेस्टिवल को देखें तो लगता है कि मौत कोई इतनी भयानक चीज नहीं है. इसमें लोग लाश की तरह ताबूत में लेटकर अनोखा एहसास करते हैं.

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साकेतिक तस्वीर (Pexels) साकेतिक तस्वीर (Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

दुनियाभर में  लोग कई तरह के त्योहार मनाते हैं जैसे होली, टोमाटिना, हैलोवीन और दीवाली . इनमें कहीं एक दूसरे को टमाटर मारने तो कहीं आतिशबाजी करने की परंपरा है. वहीं हैलोवीन में तो लोग भूत का रूप धारण कर लेते हैं. वहीं कभी - कभी होने वाले फूड फेस्ट या म्यूजिक फेस्ट की तरह ही जापान में एक और अनोखा फेस्ट चर्चा में आ गया है. ये है डेथ फेस्टिवल यानी मौत का त्योहार.

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लाश की तरह ताबूत में लेट जाते हैं लोग

दरअसल, 2023 में  जापान में लगभग 1.6 मिलियन लोगों की मौत हो गई. ऐसे में देश के मीडिया ने इसे 'Era of high mortality' करार दिया है. लेकिन 13 अप्रैल को टोक्यो के शिबुया जिले में मनाए जाने वाले छह दिवसीय डेथ फेस्टिवल को देखें तो लगता है कि मौत कोई इतनी भयानक चीज नहीं है. इसमें लोग लाश की तरह ताबूत में लेटकर वर्चुअल रियलिटी ग्लासेज की मदद से मौत के बाद अपने अंतिम संस्कार को एक्सपीरिएंस कर सकते हैं. इसके अलावा मौत के बाद की दुनिया को एक्सप्लोर करने का भी लोगों में बहुत क्रेज है.

मौत के बाद की दुनिया

NGO, नई मीडिया कंपनियों और फ्यूनरल प्रोफेश्नल सहित टोक्यो स्थित संस्थाओं के एक संघ द्वारा शिबुया में ये डेथ फेस्टिवल  आयोजित किया जाता है. 6 दिन के इस फेस्ट में लोगों को वर्चुअल रिएलिटी टेक्नीक का उपयोग करके मृत्यु के बाद की दुनिया का एहसास करने का मौका मिलता है. यहां खाना भी डेथ से इंस्पायर होता है.

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मौत के सच का सामना करना

इस फेस्टिवल का लक्ष्य लोगों की सोच को बदलना, मौत का सामना करने और उन्हें जीवन के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है. ईवेंट से जुड़े एक बुकलेट में लिखा है,'इसके मूल में, मौत का थीम-  लव, ग्रेटीट्यूड और रिलेशन जैसे जीवन के पहलुओं पर प्रकाश डालता है.' 

'समय रहते जीवन को कैसे जीना है'

बता दें कि जापान एक हाई मोरटेलिटी रेट, लो बर्थ और वृद्ध आबादी वाला देश है. ऐसे में फेस्ट के फाउंडर्स ने कहा कि इसके जरिए हम लोगों को मौत का एहसास कराते हैं ताकि वह समझ सकें कि समय रहते जीवन को कैसे जीना है. मध्य चीन के शंघाई और उत्तर-पूर्व में शेनयांग शहर में भी कई सेंटर ये डेथ एक्सपीरिएंस प्रदान करते हैं.

देश के दक्षिण में गुआंग्डोंग प्रांत के एक शख्स ने वीबो पर अपना अनुभव साझा किया. उसने लिखा  'मैं अपनी ग्रेजुएशन एंट्रेस एग्जाम में फेल हो गया और लगा कि सब खत्म हो गया है. लेकिन ताबूत में लेटने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह इतनी बड़ी बात नहीं थी.'

दक्षिण कोरिया में हुए थे 'जीवित अंतिम संस्कार' 

बता दें कि इससे पहले 2012 के बाद से दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हजारों लोगों ने 'जीवित अंतिम संस्कार' में भाग लिया है, जहां वे बंद ताबूतों में लेटे हुए लगभग 10 मिनट बिताते हैं. इसके अलावा जापान का ही ओबोन फेस्टिवल, आमतौर पर अगस्त के मध्य में तीन दिनों तक चलता है, जिसमें बॉन नृत्यों के माध्यम से पूर्वजों की पूजा की जाती है, जो मृतकों की आत्मा का स्वागत करने की एक लोक परंपरा है. इसमें लोग लालटेन जलाते हैं और कब्रों के पास जाते हैं.

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