पाकिस्तान के जाफर एक्सप्रेस से सफर करना खतरों से खेलने जैसा है. क्योंकि, कब इसे हाईजैक कर लिया जाए, कब इस पर आतंकवादी हमला हो जाए, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. इस ट्रेन पर एक साल के अंदर सात बार बमबारी हुई और इसे हाईजैक भी किया गया.
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की जाफर एक्सप्रेस दुनिया की इकलौती ट्रेन है, जिस पर इस साल सबसे ज्यादा आतंकवादी हमले हुए हैं. कई बार इसे हाईजैक किया गया और कई ऐसे मामले भी सामने आए जब यह अपनी पटरी से उतर गई. यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रेन माना जा रहा है.
पाकिस्तान से बलूचिस्तान को जोड़ती है जाफर एक्सप्रेस
उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत को शेष पाकिस्तान से जोड़ने वाली ट्रेन जाफर एक्सप्रेस को बार-बार निशाना आतंकवादियों ने इस साल निशाना बनाया है.जाफर एक्सप्रेस - जो पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में पेशावर और अशांत दक्षिण-पश्चिम में क्वेटा के बीच 1,000 मील की दूरी तय करती है - तेजी से देश की सबसे खतरनाक ट्रेन बनती जा रही है.
अकेले 2025 में ही इस पर कम से कम सात बार बमबारी हुई. इसे हाईजैक किया गया, ट्रेन पर कई बार गोलीबारी की घटना भी सामने आई. इसके अलावा इसे बेपटरी भी किया गया.
करीब हर महीने इस ट्रेन पर हुए हैं हमले
पिछले मंगलवार को सिंध प्रांत के सुल्तान कोट रेलवे स्टेशन के पास हुए एक शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम सात लोग घायल हो गए. इस घटना में जफर एक्सप्रेस ट्रेन के चार डिब्बे पटरी से उतर गए.
इस सप्ताह भी ट्रेन में हुआ था शक्तिशाली विस्फोट
यह विस्फोट, एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के कारण हुआ, इस वर्ष यात्री रेलगाड़ी पर हुआ सातवां हमला था, जो उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत को शेष पाकिस्तान से जोड़ती है.पुलिस ने बताया कि इस उपकरण में लगभग पांच पाउंड विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था, जो पेशावर से क्वेटा जाने वाली ट्रेन की पटरी पर ही फट गया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अरब न्यूज को बताया कि मंगलवार की सुबह सुल्तान कोट रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट के परिणामस्वरूप चार बोगियां पलट गईं, जिससे कम से कम सात लोग घायल हो गए. शाम तक, सशस्त्र अलगाववादी समूह बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (बीआरजी) ने बमबारी की जिम्मेदारी ली.
वहीं इस ग्रुप ने कहा कि ट्रेन पर उस समय हमला किया गया जब पाकिस्तानी सेना के जवान उसमें यात्रा कर रहे थे. विस्फोट में कई सैनिक मारे गए और घायल हुए, और ट्रेन के छह डिब्बे पटरी से उतर गए.बलूचिस्तान की आज़ादी तक ऐसे अभियान जारी रहेंगे.
मार्च में ट्रेन को कर लिया गया था हाईजैक
सबसे विनाशकारी हमला मार्च में हुआ था, जब बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के आतंकवादियों ने ऊबड़-खाबड़ बोलन पर्वत श्रृंखला में लगभग 400 यात्रियों से भरी ट्रेन का अपहरण कर लिया था. यह गतिरोध 30 घंटे से अधिक समय तक चला था. इसके बाद सुरक्षा बलों ने ट्रेन पर हमला कर दिया, जिसमें 33 आतंकवादी मारे गए थे. इस हमले में 23 पाकिस्तानी सैनिक, तीन रेलवे कर्मचारी और पांच यात्री मारे गए थे.
अगस्त में उड़ा दिए थे ट्रेन के 6 डिब्बे
अगस्त में भी बलूचिस्तान के मस्तुंग जिले में एक आईईडी विस्फोट में छह डिब्बे पटरी से उतर गए थे. इस घटना में चार यात्री घायल हो गए थे. कुछ ही दिन पहले, कोलपुर के पास बंदूकधारियों ने ट्रेन के पायलट इंजन पर गोलीबारी की थी. इस हमले की जिम्मेदारी बीएलए ने ली थी. उसी महीने सिबी रेलवे स्टेशन के पास एक और बम विस्फोट हुआ, जिसमें ट्रेन बाल-बाल बच गई थी.
जून में, सिंध के जैकोबाबाद में एक रिमोट से किए गए विस्फोट ने ट्रेन के चार डिब्बों को पटरी से उतार दिया था. हमलों की फ्रिक्वेंसी इतनी ज़्यादा है कि जुलाई में सुक्कुर में हुए एक हादसे को शुरू में एक विस्फोट के कारण होने का संदेह था, लेकिन बाद में अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह तकनीकी खराबी के कारण हुआ था.
अलगाववादियों के लिए आसान टारगेट है जाफर एक्सप्रेस
जाफर एक्सप्रेस बलूचिस्तान को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण ट्रेन है. इसका इस्तेमाल अक्सर सैनिकों और रेलवे कर्मियों द्वारा किया जाता है. इससे यह आतंकवादी समूहों के लिए एक आसान टारगेट बन जाता है.
जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान के सबसे अस्थिर गलियारे से होकर गुजरती है. ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा बलूचिस्तान प्रांत, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स और बलूच लिबरेशन फ्रंट जैसे सशस्त्र अलगाववादी समूहों के नेतृत्व में लंबे समय से चल रहे विद्रोह का केंद्र रहा है.
पाकिस्तानी सेना करती है इस ट्रेन का ज्यादा इस्तेमाल
ये समूह पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने का दावा करते हैं और इस्लामाबाद पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक गैस, खनिज और तटीय संसाधनों का दोहन करने तथा वहां के 15 मिलियन निवासियों को गरीब बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.
बलूच विद्रोहियों के लिए, जाफर एक्सप्रेस इस क्षेत्र में पाकिस्तान की उपस्थिति और पहुंच का प्रतीक है. सुरक्षाकर्मी, सरकारी अधिकारी और व्यापारी अक्सर क्वेटा और अन्य शहरों के बीच यात्रा करने के लिए इस ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह एक आकर्षक लक्ष्य बन जाता है.
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