Israel Hamas War : 'Iron Dome' की ये कमजोरी बनी हमास की ताकत, फिर शुरू हुआ खूनी खेल!

Iron Dome Israel: इजरायल का एंटी डिफेंस मिसाइल सिस्टम आयरन डोम सवालों के घेरे में है. हमेशा से इस देश को हीरो की तरह बचाने वाला ये सिस्टम इस बार फिसड्डी क्यों साबित हुआ है?

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आयरन डोम पहले की तरह इस बार हीरो साबित नहीं हुआ (तस्वीर- Getty Images) आयरन डोम पहले की तरह इस बार हीरो साबित नहीं हुआ (तस्वीर- Getty Images)

Shilpa

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

कहते हैं अगर आयरन डोम न होता, तो इजरायल भी सुरक्षित न रहता. इसे इजरायल का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच कहा जाता है. अब चूंकी एक बार फिर ये देश जंग लड़ रहा है, तो आयरन डोम की भी खूब चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर एक इजरायली कपल का वीडियो वायरल हुआ. इसमें शख्स बोलता है कि हमास के अधिकतर रॉकेट को आयरन डोम ने मार गिराया है, लेकिन कुछ धरती पर आकर गिरे हैं. ये कपल हमास के उन हमलों से अपनी जान बचाने के लिए बम शेल्टर में छिपा था, जो उसने शनिवार की सुबह इजरायल पर किए. 

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शख्स की इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इजरायली लोगों के लिए आयरन डोम कितना महत्व रखता है. हमास के हमलों में कम से कम 700 इजरायली नागरिकों की मौत हो गई है और 2100 से अधिक घायल हुए हैं. इसे हमास की तरफ से इजरायल पर किया गया 50 साल का सबसे बड़ा हमला कहा जा रहा है. इसके साथ ही उसके सुरक्षा कवच आयरन डोम पर भी सवाल उठ रहे हैं. जो हमेशा इजरायल को हीरो की तरह बचाता था, वो आज फिसड्डी कैसे साबित हो गया? इसे लेकर भी तमाम सवाल बने हुए हैं. आयरन डोम दुश्मन के टारगेट को तबाह करने में 90 फीसदी कारगर रहता है. 

हमास कई साल से इसकी कमजोरी पकड़ने की कोशिश कर रहा था. शनिवार को हुए हमले के बाद जो तबाही मची है, उससे लग रहा है कि हमास ने इसकी कमजोरी पकड़ ली है.

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ये इजरायल का एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो बीच हवा में ही दुश्मन के रॉकेट को नष्ट कर देता है. साल 2021 में इजरायल की तरफ से कहा गया था कि हमास और दूसरे फलस्तीनी संगठनों ने 1500 से अधिक रॉकेट इजरायल पर दागे थे. लेकिन इनसें से ज्यादातर को जमीन पर पहुंचने से पहले ही आयरन डोम ने नष्ट कर दिया. 

इजरायल की इस सुरक्षा शील्ड को लेकर इजरायली अधिकारी कहते हैं कि ये तकनीक 90 फीसदी मामलों में कारगर साबित होती है. ये दुश्मन के रॉकेट को रिहायशी इलाकों में जमीन पर गिरने से पहले ही उन्हें मार देता है. अब बात कर लेते हैं कि आयरन डोम आखिर काम कैसे करता है?

आयरन डोम को इजरायल ने लाखों डॉलर खर्च करके बनाया है. ये एक बड़े मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है. सिस्टम खुद से पता लगा लेता है कि मिसाइल किसी रिहायशी इलाके में गिरने वाली है या नहीं. या फिर कौन सी मिसाइल उसके निशाने से चूक रही है. सिस्टम केवल उन्हीं मिसाइलों को मार गिराता है, जो रिहायशी इलाकों में गिरने वाली होती हैं. अपनी इसी खूबी की वजह से आयरन डोम को पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है.

लंबे वक्त से इजरायल की रक्षा कर रहा है आयरन डोम (तस्वीर- Getty Images)

टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके प्रत्येक इंटरसेप्टर की कीमत करीब 1.5 लाख डॉलर है. इजरायल ने इस तकनीक पर साल 2006 के बाद काम करना शुरू किया था. तब उसकी आतंकी संगठन हिजबुल्ला से जंग हुई थी. इसी हिजबुल्ला ने लेबनान की धरती से एक बार फिर इजरायल पर हमला किया है. हालांकि इजरायल ने तगड़ी जवाबी कार्रवाई कर उसका मुंह खुलते ही बंद कर दिया. करीब 17 साल पहले हुई उस लड़ाई में हिजबुल्ला ने इजरायल पर हजारों रॉकेट से हमला किया था. जिसके कारण दर्जनों इजरायली नागरिकों की मौत हुई थी.

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इस घटना के एक साल बाद इजरायल की सरकारी कंपनी रफाल डिफेंस ने देश के लिए मिसाइल शील्ड बनाने का ऐलान किया. अमेरिका ने इजरायल को इस प्रोजेक्ट में मदद के तौर पर 20 करोड़ डॉलर भी दिए थे. कई साल तक रिसर्च चलने के बाद आखिरकार साल 2011 में आयरन डोम को टेस्ट किया गया. इस दौरान दक्षिणी शहर बीरसेबा से कुछ मिसाइलें दागी गईं. जिन्हें गिराने में ये सिस्टम कामियाब रहा.

इसकी हर एक बैटरी में रडार डिटेक्शन और ट्रैकिंग सिस्टम, एक फायरिंग कंट्रोल सिस्टम और 20 इंटपसेप्टर मिसाइलों के लिए तीन लॉन्चर होते हैं. इसे राफेल अडवांस डिफेंस सिस्टम्स से बनाया गया है. आयरन डोम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये रॉकेट के लॉन्चिंग रूट के साथ साथ उसकी स्पीड और टारगेट का भी पता लगा सकता है. ये जटिल अनुमान के बाद हवा में मिसाइलों को मार गिराता है.

खूबियों के साथ खामियां भी

आयरन डोम की खूबी ये है कि वो अधिकतर मिसाइलों को मार गिराने में सफल रहता है. लेकिन एक खामी ये भी है कि ये सिस्टम पूरी तरह मिसाइल प्रूफ नहीं है. इसे लेकर कहा जाता है कि इजरायल गजा युद्ध में एक बार इसकी बैटरी खराब हो गई थी. इसके अलावा कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि आयरन डोम तकनीक फिलहाल गजा से आने वाले रॉकेट को नष्ट कर सकती है लेकिन हो सकता है कि ये दूसरे दुश्मन पर उतनी कारगर साबित न हो.

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कहा जाता रहा है कि हिज्बुल्ला कम वक्त में अधिक मिसाइलें दागने में सक्षम है. ऐसे में हो सकता है कि ये तकनीक इन हालातों में अच्छी तरह काम न करे. लेकिन इस बार हमास ने इसकी यही कमजोर पकड़ ली. उसने बेहद कम वक्त में 5000 रॉकेट दाग दिए. जिनमें से कुछ तो आयरन डोम ने रोक लिए, लेकिन कई ने देश में भारी तबाही मचा दी.

अब इसमें खामियां चाहे कितनी हों, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हाल के वक्त में इजरायल आयरन डोम का काफी शुक्रगुजार रहा है.

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