अमेरिका की एक छात्रा के साथ अजीब संयोग हुआ. उसे अपनी स्कूल ट्रिप पर एक ऐसी चीज मिली जो उसी से जुड़ी थी. दरअसल, चौथी कक्षा की एक छात्रा स्कूल की फील्ड ट्रिप पर ग्रेट लेक गई हुई थी. यहां अपनी सहेलियों के साथ घूमते हुए झील के किनारे एक बोतल मिला. इस बोतल में एक चिट्ठी थी.
बच्चियों ने उत्सुकतावश बोतल को उठा लिया और उसे खोलकर देखा. उसके अंदर से एक चिट्ठी मिली. जब छात्रा ने चिट्ठी पढ़ी तो वह चौंक गई. क्योंकि यह चिट्ठी उसकी मां ने लिखी थी. 1998 में उसकी मां ने चिट्ठी लिखकर ग्रेट लेक में फेंक दिया था.
स्कूल ट्रिप पर गई बेटी को झील से मिली चिट्ठी
फॉक्स 8 डब्ल्यूजेडब्ल्यू की रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार सेंट जॉन द बैपटिस्ट कैथोलिक एलीमेंट्री स्कूल की चौथी कक्षा की छात्रा स्कारलेट वैन आइक फील्ड ट्रिप के दौरान ग्रेट लेक्स के आसपास घूम रही थी. तभी एक अन्य बच्चे ने एक रहस्यमयी दिखने वाली बोतल की ओर इशारा किया.
चिट्ठी में लिखी बात सुनकर लड़की के उड़े होश
जब एक शिक्षिका ने बोतल में रखे पत्र को पढ़ना शुरू किया, तो स्कारलेट वैन आइक यह जानकर दंग रह गई कि यह उसकी मां मैकेंजी वैन आइक ने इसे लिखा था. कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (सीबीसी) के अनुसार, पत्र में लिखा था - यह पत्र मैकेंजी मॉरिस लिख रही है और मैं सेंट जॉन द बैपटिस्ट स्कूल में पढ़ती हूं. मैं सेंट पियरे की कक्षा 4 में हूं. मेरा पत्र ग्रेट लेक्स में पानी के बारे में है. हमने 'पैडल-टू-द-सी' नामक एक किताब पढ़ी. यह एक बहुत अच्छी किताब थी.
मां ने चौथी कक्षा में लिखी थी चिट्ठी
फॉक्स 8 के अनुसार बोतल में लिखा संदेश 1998 का है. जब मकेंजी वैन आइक उस समय बेले रिवर, ओंटारियो में सेंट जॉन द बैपटिस्ट कैथोलिक एलीमेंट्री स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा थीं, ठीक वैसे ही जैसे उनकी बेटी अब है.
ग्रेट लेक के बारे में लिखने का मिला था असाइनमेंट
उस समय मैकेंजी वैन आइक और उनके सहपाठियों को ग्रेट लेक्स के बारे में पत्र लिखने का काम सौंपा गया था. फिर उन्हें बोतलों में भरकर पानी में फेंक दिया गया. मैकेंजी वैन आइक ने सीबीसी को बताया कि उन्हें याद है कि उन्होंने बोतल में संदेश लिखकर ग्रेट लेक्स में फेंक दिया था. हालांकि, यह संदेश उनके घर के पास ही रहा, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि बोतल में तैरता हुआ कोई रहस्यमयी पत्र अपने मूल स्रोत तक वापस पहुंचा हो.
पिछले साल, सैंडविच, मैसाचुसेट्स में पांचवीं कक्षा के एक छात्र द्वारा 1997 में लिखा गया एक पत्र फ्रांस के समुद्र तट पर पाया गया था. 26 साल बाद भी यह संदेश अच्छी स्थिति में था और इसे सफलतापूर्वक स्कूल में वापस कर दिया गया.
aajtak.in