कभी था ग्राफिक डिजाइनर, अब बचा-खुचा खाने को मजबूर, गाजा जंग ने बदल दी जिंदगी

सोशल मीडिया पर गाजा से आया एक वीडियो लोगों के दिल तोड़ रहा है. इस वीडियो में एक शख्स अपनी दो बेटों के साथ जिंदगी की जंग लड़ते हुए दिखता है और बताता है कि 2022 में उसकी जिंदगी कैसी थी, जब इजरायल और हमास के बीच संघर्ष नहीं छिड़ा था.

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गाजा युद्ध को अब लगभग 2 साल पूरे होने वाले हैं  (Photo: insta/majd.hana1) गाजा युद्ध को अब लगभग 2 साल पूरे होने वाले हैं (Photo: insta/majd.hana1)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

सोशल मीडिया पर गाजा से आया एक वीडियो लोगों के दिल तोड़ रहा है. इस वीडियो में एक शख्स अपनी दो बेटों के साथ जिंदगी की जंग लड़ते हुए दिखता है और बताता है कि 2022 में उसकी जिंदगी कैसी थी, जब इजरायल और हमास के बीच संघर्ष नहीं छिड़ा था.

उसने लिखा कि मेरे सपनों को ऐसे मिटा दिया गया जैसे वे कभी थे ही नहीं. मैं अपनी ही मातृभूमि में अजनबी बन गया हूं, चेहरों में खुद को ढूंढता हूँ लेकिन पाता सिर्फ़ एक धुंधली तस्वीर हूं, जो अराजकता में कुचल गई.

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पहले आरामदायक जीवन, अब कैंप की मजबूरी

वीडियो में उसने दिखाया कि 2022 में वह एक ग्राफिक डिजाइनर के तौर पर काम करता था और अपने परिवार के साथ आरामदायक जिंदगी जी रहा था, लेकिन 2025 की फुटेज बताती है कि अब वह शरणार्थी कैंप में रह रहा है और अपने बच्चों के साथ किसी तरह ज़िंदा रहने की कोशिश कर रहा है.

देखें वीडियो

सोशल मीडिया पर लोगों के ये रिएक्शन

वीडियो सामने आते ही लोगों ने अपने दिल की बात लिखी. एक यूज़र ने कहा कि मुझे बहुत अफ़सोस है। यह दिल तोड़ने वाला है और दुनिया भर के करोड़ों लोग चाहते हैं कि यह सब रुके.दूसरे ने लिखा कि मेरी आत्मा की गहराइयों से मुझे बहुत दुख है. मैं और लाखों अमेरिकी व दुनिया भर के लोग चाहते हैं कि हम इसे रोक सकें.

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एक और ने कमेंट करते हुए कहा कि कौन समझ सकता है वह बर्बरता जो मासूमों की जिंदगियां तबाह करना चाहती है? हम सब एक ही मानव परिवार हैं, या कम से कम हो सकते हैं.
 

गाजा सिटी से पलायन

गाजा की बिगड़ती स्थिति के बीच हज़ारों लोग शहर छोड़ने को मजबूर हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी की प्रवक्ता ओल्गा चेरेवको ने अपनी हालिया यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि गाजा सिटी तक जाने का नजारा किसी प्रलय से कम नहीं था.

उन्होंने बताया कि लगातार लोग उत्तर से दक्षिण की ओर पलायन कर रहे हैं, जिनमें से ज़्यादातर पैदल चल रहे हैं. शहर के भीतर अब भी लाखों लोग फंसे हुए हैं. चेरेवको ने कहा कि सामान ले जाने के लिए वाहन मिल भी जाए तो उसका खर्च इतना ज्यादा है कि लोग उठा नहीं सकते. यही वजह है कि अधिकतर लोग केवल एक गद्दा और एक प्लास्टिक बैग जैसे सामान लेकर पैदल ही निकल रहे हैं.

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