मेंढक के मुंह में निकली आंखें, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान, पोस्ट वायरल

आपको ये जानकर काफी हैरान होंगे कि दुनिया में एक ऐसा मेंढक भी मिला है, जिसकी आंखें उसके सिर पर नहीं बल्कि मुंह के अंदर हैं. चलिए जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण.

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1992 में कनाडा में एक ऐसा मेंढक मिला जिसकी आंखें उसके मुंह के अंदर थीं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक दुर्लभ जेनेटिक गलती “मैक्रोम्यूटेशन” की वजह से हुआ था. ( Photo: em3rging) 1992 में कनाडा में एक ऐसा मेंढक मिला जिसकी आंखें उसके मुंह के अंदर थीं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक दुर्लभ जेनेटिक गलती “मैक्रोम्यूटेशन” की वजह से हुआ था. ( Photo: em3rging)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST

 

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी जीव की आखें उसके मुंह के अंदर हों तो वह कैसे देखेगा? यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की स्टोरी लगती है, लेकिन यह हकीकत है! साल 1992 में कनाडा के ओंटारियो प्रांत के बर्लिंगटन काउंटी में एक ऐसे ही मेंढक (वास्तव में एक टोड) की खोज हुई, जिसकी आंखें उसके सिर पर नहीं बल्कि उसके मुंह में थी. 

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इस अजीब से जीव की तस्वीर रिसर्चर स्कॉट गार्डनर ने खींची थी. जब उन्होंने इसे पहली बार देखा, तो वो भी हैरान रह गए. यह टोड तभी देख सकता था जब वह अपना मुंह खोलता था, क्योंकि उसकी आंखें मुंह के अंदर थीं! यह नजारा जितना अजीब लगा, उतना ही वैज्ञानिकों के लिए दिलचस्प भी था.

दुर्लभ जेनेटिक गलती से हुआ ऐसा
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह घटना एक बहुत ही दुर्लभ जेनेटिक गलती की वजह से हुई, जिसे “मैक्रोम्यूटेशन” (Macro Mutation) कहा जाता है. आम तौर पर, जब कोई जीव बनता है तो उसके शरीर के अंग-जैसे सिर, आंखें और हाथ-पैर अपनी तय जगह पर बनते हैं. लेकिन कभी-कभी जीन में गलती या बाहरी असर के कारण यह प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है. इसी वजह से अंग गलत जगह बन सकते हैं. इस टोड के साथ भी ऐसा ही हुआ. आंखों के बनने की प्रक्रिया भ्रूण के शुरुआती समय में बिगड़ गई, और आंखें सिर पर बनने के बजाय मुंह के अंदर बन गईं.

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जानें वैज्ञानिक कारण:

परजीवी संक्रमण (Trematode Infection):
कुछ परजीवी ऐसे होते हैं जो मेंढकों या टोड के शरीर में घुस जाते हैं और उनके अंगों के विकास को प्रभावित करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद ऐसे ही किसी परजीवी ने इस टोड के भ्रूण के दौरान उसकी आंखों की जगह बदल दी होगी.

आनुवंशिक गलती (Genetic Error):
कभी-कभी कोशिकाओं में डीएनए कॉपी करते समय छोटी-सी गलती भी बड़ा असर डाल सकती है. यह उसी तरह की एक गलती थी, जिससे टोड की आंखें गलत जगह यानी मुंह के अंदर बन गईं.

पर्यावरणीय ज़हर (Environmental Toxins):
1990 के दशक में ओंटारियो के कई तालाबों में प्रदूषण और रासायनिक कचरा पाया गया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये जहरीले पदार्थ भ्रूण के विकास में रुकावट डाल सकते हैं, जिससे ऐसे अजीब बदलाव हो सकते हैं.

सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि इतनी बड़ी विकृति के बावजूद यह टोड लगभग सामान्य जीवन जी रहा था. वह चल-फिर सकता था, खाना पकड़ सकता था और बाकी मेंढकों की तरह व्यवहार करता था. यह घटना विज्ञान के इतिहास में एक बहुत ही दुर्लभ उदाहरण बन गई. इससे पता चलता है कि प्रकृति में जीन और वातावरण के मिलकर काम करने से कितनी अजीब और अनोखी चीजें बन सकती हैं.

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यह मेंढक सिर्फ एक जैविक चमत्कार नहीं था, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि जीवन कितना रहस्यमय और जटिल है, और हम अभी भी उसकी गहराई को पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं. इसी वजह से वैज्ञानिक आज भी इस “मुंह में आंखें वाले मेंढक” को दुनिया के सबसे रहस्यमय जीवों में से एक मानते हैं. क्योंकि उसने साबित कर दिया कि प्रकृति की प्रयोगशाला में कुछ भी असंभव नहीं है.

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