देश के कई बड़े एयरपोर्ट इन दिनों अफरा-तफरी और तनाव की तस्वीर बने हुए हैं. हर तरफ भीड़ का शोर, यात्रियों की बेचैनी, अनिश्चितता और स्टाफ से उठती बहसें. इसकी वजह इंडिगो की लगातार कैंसिल और लेट हो रही फ्लाइट्स हैं, जिसने हजारों लोगों की यात्रा योजनाओं को अस्त-व्यस्त कर दिया है.
गुरुवार, 5 दिसंबर को भी हालात में कोई सुधार नहीं दिखा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडिगो की 550 से अधिक फ्लाइट्स एक ही दिन में कैंसिल हो गईं. इसमें डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों उड़ानें शामिल थीं. एयरलाइन ने ऑपरेशनल दिक्कतों को कारण बताया है, लेकिन यात्रियों के लिए इसका सीधा मतलब घंटों इंतजार, असुविधा और बढ़ती चिंता है.
एयरपोर्ट पर फंसे कई यात्रियों ने बताया कि वे बेहद जरूरी काम से सफर कर रहे थे. कोई ससुर के अंतिम दर्शन के लिए जाने की कोशिश कर रहा था, तो किसी को अपनी बीमार मां को अस्पताल ले जाना था, लेकिन फ्लाइट न होने से सबकी योजनाएं पटरी से उतर गईं. यात्रियों की शिकायत है कि इंडिगो स्टाफ से ठीक तरह की जानकारी नहीं दी जा रही और ना ही बेसिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. कई लोग सुबह से एयरपोर्ट पर बैठे हैं और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पानी तक उपलब्ध नहीं कराया गया.
'मेरी बेटी को सेनेटरी पैड चाहिए'
इसी अराजक माहौल के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में एक परेशान पिता इंडिगो स्टाफ से लगातार चिल्लाकर गुहार लगाता दिखाई देता है-सिस्टर, मेरी बेटी को सेनेटरी पैड चाहिए…नीचे से खून गिर रहा है.
लेकिन भीड़ और शोर में उसकी बात कोई सुन ही नहीं रहा. वह बार-बार आवाज लगाता है, मदद मांगता है, लेकिन स्टाफ तक उसकी बात ठीक से पहुंचती ही नहीं. यह वीडियो देखकर सोशल मीडिया पर लोग गुस्से में हैं. कई यूजर्स कह रहे हैं कि यह स्थिति बताती है कि आम लोगों को कम्युनिकेशन की कमी और कुप्रबंधन के बीच कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
देखें वायरल वीडियो
लोग सवाल उठा रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन होने के बावजूद इंडिगो इतने बड़े स्तर पर ऑपरेशनल मैनेजमेंट क्यों नहीं संभाल पा रही? और आखिर इसका खामियाज़ा हमेशा आम यात्रियों को ही क्यों भुगतना पड़ रहा है?
राहुल गांधी ने उठाया सवाल
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि इंडिगो की नाकामी इस सरकार के मोनोपॉली मॉडल की कीमत है. उन्होंने कहा कि आम भारतीय ही इसकी कीमत देरी, कैंसिलेशन और लाचारी के रूप में चुका रहे हैं.
राहुल गांधी ने आगे लिखा कि भारत को हर सेक्टर में सही कॉम्पिटिशन चाहिए, मैच-फिक्सिंग वाली मोनोपॉली नहीं, जहां कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचता है और नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है.
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