'बाइज्जत बरी' हुए क्रिस्टोफर कोलंबस, नहीं लाए थे अमेरिका में AIDS जैसी ये बीमारी! 

सिफलिस महामारी का पहला प्रकोप 15वीं शताब्दी के अंत में यूरोप में दर्ज किया गया था तो कोलंबस को इसके लिए दोषी माना जाता था. लेकिन अब डीएनए सबूत से पता चलता है कि इसमें उनकी गलती नहीं थी.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 26 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

15वीं सदी में सिफलिस नाम की एक बीमारी फैली थी जिसने 18वीं सदी तक यूरोप में कहर बरपाया था. इसके लिए दुनिया इटैलियन एक्सप्लोरर क्रिस्टोफर कोलंबस को दोषी मानती है. लेकिन अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि अमेरिका में सिफलिस जैसी बीमारियां लाने के लिए इटैलियन एक्सप्लोरर क्रिस्टोफर कोलंबस दोषी नहीं हैं.  

क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1492 में अमेरिका की खोज की थी. उन्होंने ग्रेट अटलांटिक महासागर में चार यात्राएं (समुद्र से यात्रा करने वाली लंबी यात्रा) पूरी की थी. ऐसे में लंबे समय से उन्हें ही इस बीमारी को लाने के लिए दोषी माना जा रहा था.

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हालांकि, रिसर्चर्स ने अब पता लगाया है कि यह संक्रमण उनके अमेरिका पहुंचने से हजारों साल पहले ही आ चुका था.

क्या है सिफलिस?

सिफलिस एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीआई) है जो ट्रेपोनेमा पैलिडम जीवाणु के कारण होता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सिफिलिटिक घाव किसी भी तरह सीधे संपर्क से फैलता है.

इलाज के बिना, सिफलिस पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. सिफलिस से एचआईवी संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

इलाज से नुकसान को रोकने में मदद मिल सकती है लेकिन यह पहले से हो चुके नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है.

2,000 साल पहले ब्राजील में मौजूद थी बीमारी

सिफलिस महामारी का पहला प्रकोप 15वीं शताब्दी के अंत में यूरोप में दर्ज किया गया था तो कोलंबस को इसके लिए दोषी माना जाता था.

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लेकिन अब डीएनए सबूत से पता चलता है कि ट्रेपोनेमेटोसिस (सिफलिस जैसी बीमारी) कोलंबस के खोज पर निकलने से 2,000 साल पहले ब्राजील में मौजूद थी.

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यदि इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी हड्डियों और त्वचा में दर्दनाक और डिसेबल करने वाले घाव और विकृति पैदा कर सकती है.

बेसल विश्वविद्यालय के पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता केर्टु माजेंडर ने कहा- 'नतीजे एक स्थानिक प्रकार के ट्रेपोनेमल रोगों के बारे में बताते हैं, न कि सेक्सअली ट्रांसमिटेड सिफलिस के.'

हजारों साल पहले मरे लोगों की हड्डियों की स्टडी

रिसर्चर्स की टीम ने उन चार लोगों की हड्डियों को स्टडी किया जो हजारों साल पहले ब्राजील में सांता कैटरीना के तटीय क्षेत्र में मर गए थे.

अवशेषों में पाए गए रोगजनकों ने सिफलिस जैसी बीमारी के संकेत दिए हैं, जिससे मुंह में घाव और पिंडली में दर्द होने की संभावना है.

नेचर में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि जाबुटिकबेरा II पुरातात्विक स्थल पर पाई गई इन हड्डियों की 2016 से जांच की जा रही है.

सिफलिस ट्रेपोनेमल समूह की चार बीमारियों में से एक है, जिसमें बेजेल, यॉज़ और पिंटा भी शामिल हैं, जो क्रोनिक मुंह और त्वचा संक्रमण का कारण बनते हैं.

अब तक, इस बात का कोई सबूत नहीं था कि ये यौन रोग 1492 में यूरोपीय महामारी से पहले अस्तित्व में थे या नहीं.

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वैज्ञानिकों ने कहा इन नतीजों के आधार पर हम दो विकल्पों में से एक का पक्ष नहीं ले सकते. उन्होंने कहा, लेकिन उनके रिजल्ट से पता चलता है कि यह अधिक संभावना है कि बैक्टीरिया कोलंबस के अमेरिका जाने से पहले ही विश्व स्तर पर फैला हुआ था.

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