वे महिलाएं जो हिटलर का खाना चखती थीं. उन्हें हमेशा ये डर सताता रहता था कि ये उनका आखिरी खाना होगा.क्योंकि हिटलर को जहर देने की इच्छा रखने वाले दुश्मनों की सूची काफी लंबी थी. ऐसे में नाजी तानाशाह को डर रहता था कि कोई भी दुश्मन जासूस उनके भोजन में जहर मिला सकता है. अगर कभी ऐसा होता तो चखने वालों को कोई नहीं बचा सकता था.
2013 में बर्लिन की रहने वाली 95 वर्षीय मार्गोट वोल्क ने दशकों की चुप्पी तोड़ते हुए दावा किया था कि उन्हें और 14 अन्य महिलाओं को हिटलर का खाना खाने का काम सौंपा गया था, ताकि यह जांचा जा सके कि वह सुरक्षित है या नहीं. यह देखते हुए कि हिटलर शाकाहारी था, वोल्क और उसकी साथी कथित तौर पर 'स्वादिष्ट' भोजन का आनंद लेते थे, जिसमें चावल या पास्ता के साथ शतावरी और बेल मिर्च शामिल होते थे. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक वोल्क का 2014 में निधन हो गया. उन्होंने सारी बातें एक इंटरव्यू के दौरान कही थी.
शाकाहारी था हिटलर
वोल्क ने दावा किया कि उन्होंने 'वुल्फ्स लेयर' (वर्तमान पोलैंड में हिटलर का अत्यधिक सुरक्षा वाला कमांड सेंटर) में ढाई साल तक बतौर टेस्टर काम किया था. उनका खाना बहुत स्वादिष्ट रहता था, सिर्फ बेहतरीन सब्ज़ियां, शतावरी, शिमला मिर्च, वो सब कुछ जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं और हमेशा चावल या पास्ता के साथ दिया जाता था.
स्वादिष्ट भोजन खाने में भी लगता था डर
वोल्क ने बताया कि इतने स्वादिष्ट भोजन करने के बावजूद हमेशा डर लगा रहता था. हम जहर देने की सभी अफवाहों के बारे में जानते थे और इसलिए कभी भी भोजन का आनंद नहीं ले पाए. हर दिन हमें डर लगता था कि यह हमारा आखिरी भोजन होगा. वोल्क ने दावा किया कि हिटलर के साथ वह तक जुड़ीं, जब वह मित्र देशों के हवाई हमलों से बचने के लिए बर्लिन से भागीं.
जर्मन सेना में काम करते थे वोल्क के पति
उनके पति जर्मन सेना में सेवारत थे और वह जर्मनी के तत्कालीन रास्टेनबर्ग में अपने रिश्तेदारों के पास रहने चली गई थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें नागरिक सेवा में भर्ती किया गया था और उन्हें टेस्टर बनाने के साथ-साथ वुल्फ्स लेयर परिसर में किचेन मैनेजर भी नियुक्त किया गया था.
कभी सामने से हिटलर को नहीं देखा
वोल्क ने दावा किया कि उसने हिटलर को कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा. उसने केवल तानाशाह के जर्मन शेफर्ड कुत्ते ब्लोंडी को देखा और उसके एसएस गार्ड से बात की. अपनी सुरक्षा को लेकर हिटलर की आशंका, उन पर किये गए हमले के कई प्रयासों से उपजी थी.
हिटलर को हुआ था मारने का प्रयास
वोल्क ने कहा कि हिटलर को मारने की एक योजना सफल होने के सबसे करीब थी, उसे अब 20 जुलाई की साजिश या ऑपरेशन वाल्किरी के नाम से जाना जाता है. इसमें जर्मन अधिकारी क्लॉस वॉन स्टॉफ़ेनबर्ग के नेतृत्व में षड्यंत्रकारियों ने एक ब्रीफकेस में छिपाए गए बम से हिटलर की हत्या करने की कोशिश की थी. भाग्य और समय की बदौलत तानाशाह केवल मामूली चोटों के साथ बच गया.
लोग चिल्ला रहे थे हिटलर मारा गया
वोल्क ने उस विस्फोट को याद करते हुए घटना के बारे में बताया कि हम लकड़ी की बेंचों पर बैठे थे, तभी हमने एक अविश्वसनीय बड़ा धमाका सुना और महसूस किया. हम बेंचों से गिर पड़े, और मैंने किसी को चिल्लाते हुए सुना हिटलर मर चुका है! लेकिन वह मरा नहीं था. इसके बाद, वोल्क ने दावा किया कि नाजियों ने उसे अपने रिश्तेदारों का घर छोड़ने और परिसर के निकट स्थित एक परित्यक्त स्कूल में रहने का आदेश दिया.
सोवियत सेना के हमले के बाद वोल्क ने छोड़ दिया पोलैंड
सोवियत सेना के आक्रामक होने और युद्ध का जर्मनी के लिए खराब होने के कारण, उसके एक मित्र ने उसे वुल्फ्स लेयर छोड़ने की सलाह दी. वोल्क ने बताया कि वह ट्रेन से बर्लिन लौटी और छिप गई.वोल्क ने कहा कि भोजन चखने वाली टीम की अन्य महिलाओं ने रास्टेनबर्ग में ही रहने का निर्णय लिया, क्योंकि उनके परिवार वहीं थे और यह उनका घर था.
हिटलर का खाना टेस्ट करने वाली 14 लड़कियों की हो गई हत्या
उन्होंने कहा कि बाद में मुझे पता चला कि रूसियों ने बाकी सभी 14 लड़कियों को गोली मार दी थी.हिटलर के करीबी सहयोगियों, हेंज लिंगे और ओट्टो गुंशे से की गई पूछताछ के बारे में सोवियत संघ द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, अपने जीवन के अंतिम समय में तानाशाह इतना अधिक मानसिक रूप से परेशान हो गया था कि उसने अपने शौचालय के पानी के साथ-साथ अपने अंडों को उबालने वाले पानी की भी जहर की जांच कराने की मांग की थी.
वोल्क के साथ भी रूसी सैनिकों ने किया था रेप
30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में हिटलर की आत्महत्या और सोवियत सैनिकों के हाथों जर्मन राजधानी के पतन के बाद, वोल्क ने दावा किया कि रूसियों द्वारा उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया. उन्होंने कहा कि इसके बाद रूसी लोग बर्लिन आये और मुझे भी ले गये. वे मुझे एक डॉक्टर के अपार्टमेंट में ले गए और लगातार 14 दिनों तक मेरा बलात्कार किया. इसलिए मैं कभी बच्चे पैदा नहीं कर सकी. 1946 में वोल्क अपने पति से पुनः मिल गयीं, जिन्हें उन्होंने मृत मान लिया था और दम्पति 1990 में उनकी मृत्यु तक साथ-साथ रहे.
वोल्क ने अपने अंतिम वर्ष जर्मनी में अपने फ्लैट में ही बिताए. उनकी कहानी को पहले जर्मन मीडिया और फिर वैश्विक स्तर पर काफ़ी तवज्जो मिली. इतिहासकारों ने दस्तावेजीकरण किया है कि वुल्फ्स लेयर में हिटलर के भोजन में नियमित रूप से फलियां शामिल होती थीं, जबकि शराब पूरी तरह से मेनू से बाहर थी.
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