स्कूल में पहुंची AI टीचर ‘सोफी’! 17 साल के छात्र ने बनाया ऐसा पुतला जो पढ़ाता है

उत्तर प्रदेश के एक 17 वर्षीय छात्र ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिक्षक बनाया है जिसका नाम उसने सोफी रखा है. एक इंटरव्यू में उसने बताया कि उसने यह पुतला कैसे बनाया और यह क्या-क्या कर सकता है.

Advertisement
सोशल मीडिया पर एक वीडियो में, यह रोबोट विभिन्न विषयों पर अलग-अलग सवालों के जवाब देता हुआ दिखाई दे रहा है. ( Photo: ITG) सोशल मीडिया पर एक वीडियो में, यह रोबोट विभिन्न विषयों पर अलग-अलग सवालों के जवाब देता हुआ दिखाई दे रहा है. ( Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:38 PM IST

बुलंदशहर के एक स्कूल में इन दिनों एक अनोखी 'टीचर' की एंट्री ने बच्चों से लेकर स्टाफ तक, सबको हैरान कर दिया है.यह टीचर इंसान नहीं, बल्कि AI से चलने वाला एक ह्यूमनॉइड पुतला है, जिसका नाम सोफी रखा गया है. सोफी को बनाया है सिर्फ 17 साल के छात्र आदित्य कुमार ने.आदित्य का दावा है कि यह AI टीचर क्लास में पढ़ा सकती है, स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब दे सकती है और कई बेसिक गतिविधियां खुद कर सकती है.

Advertisement

आदित्य का कहना है कि उन्होंने सोफी में वही LLM चिपसेट लगाया है, जिसे बड़ी टेक कंपनियां अपने स्मार्ट रोबोट में इस्तेमाल करती हैं. फिलहाल सोफी सिर्फ बोलकर जवाब देती है, लेकिन आदित्य का दावा है कि जल्द ही वह लिखकर भी जवाब देने लगेगी.


शिव चरण इंटर कॉलेज के 17 वर्षीय छात्र आदित्य कुमार बताते हैं कि उन्होंने सोफी नाम का एक एआई शिक्षक पुतला तैयार किया है, जो एलएलएम चिपसेट से लैस है.सोफी खुद को परिचय देते हुए कहती है-मैं एक एआई टीचर हूं. मेरा नाम सोफी है, और मेरा निर्माण आदित्य ने किया है.'

सोफी खुद अपना परिचय देते हुए कहती है, “मैं बुलंदशहर के शिवचरण इंटर कॉलेज में पढ़ाती हूं… और हां, मैं छात्रों को ठीक से पढ़ा सकती हूं.”

सोफी आगे कहती है, “मैं छात्रों के सवालों का जवाब दे सकती हूं और उनकी शंकाएं भी दूर कर सकती हूं. फिलहाल मैं सिर्फ बोलकर जवाब देती हूं, लेकिन हमें इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि बहुत जल्द मैं लिखकर भी जवाब देने लगूंगी."

Advertisement

टीचर की तरह पढ़ा सकती है शोफी?


आदित्य आगे कहते हैं कि छात्रों को शोध करने के लिए हर जिले में एक उचित प्रयोगशाला उपलब्ध होनी चाहिए, जैसा कि उन्होंने किया था. हर जिले में एक प्रयोगशाला होनी चाहिए ताकि छात्र वहां आकर रिसर्च कर सकें. आदित्य ने सोफी के काम करने के तरीके की भी झलक दिखाई और उससे दुनिया की सबसे ऊंची इमारत, भारत के पहले राष्ट्रपति और भारत के पहले प्रधानमंत्री जैसे कई सवाल पूछे.

'सोफी' नाम के इस पुतले "बिजली क्या है?" पूछे जाने पर भी जवाब दिया और "100 + 92" का क्या योग निकालता है इसका जवाब भी दिया.. एक बार कुमार ने पूछा कि क्या ये बच्चों को ठीक से पढ़ा सकता है. तो उसने जवाब दिया कि वह बच्चों को ठीक से पढ़ाने में सक्षम है. फिलहाल सोफी सिर्फ हिंदी बोलती है. आदित्य कुमार बारहवीं कक्षा की छात्र हैं. उनका कहना है कि अगर कोई शिक्षक एक दिन के लिए अनुपस्थित रहता है, तो उनका ये अविष्कार उनके जगह पर टीचर की भूमिका निभा सकता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement