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नेपाल ने चीन से खरीदा घटिया विमान, नहीं आ रहा किसी काम

aajtak.in
  • 14 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इन दिनों चीन से संबंध और घनिष्ठताओं को लेकर अपने ही देश में घिरे हुए हैं, ऐसे में 6 साल पहले नेपाल सरकार की तरफ से 6 विमानों की जो डील चीन से की गई थी उस पर विवाद शुरू हो गया है. द काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन विमानों का बांग्लादेश ने साल 2011 में घटिया बताकर खरीदने से इनकार कर दिया था चीन ने उन्हीं विमानों को 2014 में ऊंचे दामों पर नेपाल को बेच दिया. इसमें वहां सरकार की भूमिका पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं.

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द काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल एयरलाइंस ने जो 6 विमान सरकारी समझौते के तहत चीन से खरीदे थे अब उसके परिचालन को रोकने का फैसला किया है. नेपाल एयरलाइंस कॉरपोरेशन के एक आदेश का हवाला देते हुए द काठमांडू पोस्ट ने कहा कि एयरलाइन बोर्ड ने पहले इन विमानों के परिचालन को मंजूरी दे दी थी क्योंकि चीन के  17 सीटर Y12e और 56-सीटर MA60 के जरिए वो घाटे को कम करना चाहते थे लेकिन जोखिम देखते हुए उन्होंने फैसला बदल दिया.

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बता दें कि नेपाल चीन से ये विमान बतौर उपहार चाह रहा था लेकिन बीजिंग ने साफ कर दिया था कि उन्हें इस उपहार के लिए पहले कुछ विमान खरीदने होंगे. इसके बाद नेपाल चीन से छह विमान खरीदने को राजी हो गया जिसके बाद चीन ने उपहार स्वरूप दो और विमान नेपाल को दिए.

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सौदे के हिस्से के रूप में नवंबर 2014 में काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दो चीनी MA60 और चार Y12e विमान पहुंचे. इसके बाद बाद एक MA60 और एक Y12e विमान नेपाल पहुंचा जो बतौर गिफ्ट चीन ने दिया था और इसकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपये थी.

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इस समझौते के 6 साल बाद ही चीन से मिले इन विमानों को नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन ने परिचालन से बाहर करने का फैसला कर लिया. बीते 28 सालों में नेपाल एयरलाइंस द्वारा यह पहला अधिग्रहण था.

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नेपाल एयरलाइंस बोर्ड के सदस्य अच्युत पहाड़ी ने द काठमांडू पोस्ट को बताया कि विमान नेपाल के लिए फिट नहीं था, लेकिन सरकार ने इस सौदे के लिए एयरलाइन को मजबूर कर दिया था. अखबार ने कहा कि जब 2011 में बांग्लादेश और नेपाल की टीमों ने विमान का निरीक्षण करने के लिए चीन की यात्रा की थी, तो बांग्लादेश की टीम ने इस विमान को खारिज कर दिया था. काठमांडू के विशेषज्ञों ने हालांकि इसकी सिफारिश की थी.

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पहाड़ी ने विमान खरीदने के निर्णय को नेपाल का "सबसे खराब फैसला" कहा और दावा किया कि निर्णय "कमीशन के लालच में" किया गया था. अब इसकी कीमत नेपाल एयरलाइंस चुका रही है. उन्होंने कहा कि इन विमानों को उड़ाने का मतलब है, घटिया सामान के लिए अच्छी कीमत देना. पिछले साल एक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया था कि चीनी विमानों की वजह से नेपाल में तब से भारी क्षति हो रही है जब से पहली बार इन्हें खरीदा गया था.

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नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के पूर्व महानिदेशक संजीव गौतम ने पोस्ट में समस्या के लिए प्रबंधकीय समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया है उन्होंने कहा, " बीते 6 सालों में एयरलाइन ने इस विमान के लिए कोई पायलट तैयार नहीं किया और  जिन्हें पायलट के रूप में पदोन्नत किया गया था, उन्हें उसी कंपनी में एयरबस जेट उड़ाने के लिए दे दिया गया.

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