अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. इसके साथ ही भारत को अपना सबसे बड़ा जिला मिला है. यह जिला है लेह.
दरअसल, भारत के नए नक्शे के अनुसार जम्मू-कश्मीर के मुकाबले लद्दाख का क्षेत्रफल बड़ा है, लेकिन उसके पास केवल दो जिले हैं. इनमें लेह और करगिल शामिल हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो लेह अब भारत का सबसे बड़ा जिला बन गया है. हालांकि, लेह का एक हिस्सा पाकिस्तान और एक हिस्सा चीन के कब्जे में है.
इसके पहले क्षेत्रफल के मुताबिक भारत का सबसे बड़ा जिला गुजरात का कच्छ होता था. लेकिन भारत के नए नक्शे के अनुसार अब भारत का सबसे बड़ा जिला लेह होगा.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, 1947 के भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में 14 जिले थे. ये जिले थे कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुंछ, मीरपुर, मुज़फ़्फ़राबाद, लेह और लद्दाख़, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और ट्राइबल टेरिटॉरी.
2019 तक आते-आते भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार ने इन 14 ज़िलों के क्षेत्रों को पुनर्गठित करके 28 ज़िले बना दिए थे. नए जिलों के नाम हैं – कुपवाड़ा, बांदीपुर, गांदरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, साम्बा और कारगिल.
मालूम हो कि भारत का नया नक्शा सर्वेअर जनरल ऑफ़ इंडिया ने तैयार किया है. इसके अनुसार अब भारत में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं.
गौरतलब है कि लोकसभा में इसी साल 6 अगस्त को अनुच्छेद-370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के प्रस्ताव पर बहस के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि 'मैं जब-जब जम्मू-कश्मीर बोलता हूं तब-तब पीओके और अक्साई चिन इसका हिस्सा होते हैं.' उन्होंने इसके लिए जान देने की बात भी कही थी. बता दें कि गृहमंत्री ने जिन दो क्षेत्रों का नाम लिया था, उनमें से पीओके पर पाकिस्तान का 1948 से कब्जा है, वहीं अक्साई चिन पर चीन ने 1962 के युद्ध में कब्जा कर लिया था.
अक्साई चिन की बात करें तो भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दो क्षेत्रों को लेकर चल रहा है, इनमें से एक अरुणाचल प्रदेश है तो वहीं दूसरा अक्साई चिन है. लेह जिले का उत्तर-पूर्वी हिस्सा अक्साई चिन है. चीनी कब्जे से पहले ये लद्दाख में आता था, जिसकी एक सीमा तिब्बत से तो दूसरी सीमा चीन से लगती थी.
1950 के दशक में चीन ने कब्जा करते हुए वहां से तिब्बत तक जा रही सड़क बना ली थी. उस वक्त भारत को इस बात का पता देर से चला. इसके बाद साल 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पर पूरी तरह अपना कब्जा कर लिया और इसे अपने शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र से मिला लिया था. उस वक्त से ये इलाका चीन के कब्जे में है.