ट्रैवल का नया ट्रेंड अब सिर्फ घूमना नहीं, एक नई जिंदगी जीने निकलते हैं यात्री

अब सफर सिर्फ मस्ती का जरिया नहीं, बल्कि सोच-समझकर दुनिया बदलने का तरीका बन रहा है. लोग चाहते हैं कि उनकी यात्रा का असर पर्यावरण और स्थानीय लोगों पर भी अच्छा पड़े. यानी आने वाले सालों में घूमना-फिरना सिर्फ यादें बनाने का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने का भी तरीका होगा.

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भीड़ से दूर, शांति और संतुलन खोजती है नई यात्रा की सोच (Photo: AI generated) भीड़ से दूर, शांति और संतुलन खोजती है नई यात्रा की सोच (Photo: AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

आज की दुनिया में यात्रा केवल मनोरंजन का साधन नहीं रह गई है. यह समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था को आकार देने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गई है. हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है, जो यात्रा की इस महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है. इस साल का विषय है "पर्यटन और सतत परिवर्तन". इसका सीधा मतलब है कि अब लोग ऐसी यात्रा चाहते हैं जो पर्यावरण के लिए अच्छी हो और स्थानीय समुदायों को फायदा पहुंचाए.

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Booking.com की रिपोर्ट के मुताबिक, यात्री और स्थानीय लोग दोनों ही चाहते हैं कि पर्यटन स्वस्थ गति से बढ़े. जहां 57% लोग मानते हैं कि पर्यटन का उनके इलाके पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहीं हर कोई चाहता है कि आने वाले समय में घूमने का तरीका और बेहतर हो. आइए, जानते हैं कि यात्रा की दुनिया में कौन-से बड़े बदलाव आ रहे हैं और यात्री अब क्या प्राथमिकता दे रहे हैं.

स्थानीय लोगों की चिंताएं और चुनौतियां

जहां पर्यटन से लोगों को फायदा होता है, वहीं इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं, जिन्हें स्थानीय लोग महसूस करते हैं. करीब 48% यात्री यह मानते हैं कि उनके निवास स्थान पर पहले से ही पर्याप्त मात्रा में पर्यटक आते हैं. हालांकि स्थानीय निवासी होने के नाते उन्हें कुछ आम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें यातायात की भीड़ 38%, कूड़ा-कचरा 35%, अत्यधिक भीड़ 30% और सबसे ज़रूरी, जीवन-यापन की बढ़ती लागत 29% शामिल है. यानी, पर्यटन के कारण उनके लिए अपने शहर में रहना महंगा होता जा रहा है.

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समाधान के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश ज़रूरी

स्थानीय लोग इन चुनौतियों का समाधान पर्यटकों की संख्या को सीमित करने में नहीं देखते, क्योंकि सिर्फ 16% यात्री ही ऐसा सोचते हैं. बल्कि, उनकी मांग है कि समुदायों में बेहतर निवेश किया जाए. ऐसा इसलिए, क्योंकि निवासियों को लगता है कि सरकार को बेहतर परिवहन 38%, अपशिष्ट प्रबंधन 37% और पर्यावरण संरक्षण 32% जैसे क्षेत्रों में पैसा लगाना चाहिए. उनका मानना है कि इस तरह के निवेश से पर्यटन को संभाला जा सकता है और सभी को इसका फायदा मिल सकता है.

पर्यटकों के व्यवहार में बदलाव

देखा जाए तो यात्रियों का व्यवहार भी अब अधिक जिम्मेदार और सकारात्मक होते जा रहे हैं. आधे से ज्यादा लोग 53% मानते हैं कि पर्यटक स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करते हैं, जबकि 54% लोगों का कहना है कि पर्यटक स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करते हैं. वहीं, 73% लोग चाहते हैं कि उनका खर्च स्थानीय समुदाय तक पहुंचे और 77% लोग प्रामाणिक और स्थानीय संस्कृति पर आधारित एक्सपीरियंस चाहते हैं. जोकि दर्शाता है कि यात्रियों की प्राथमिकताएं अब सिर्फ़ देखने-घूमने तक सीमित नहीं, बल्कि समुदाय और संस्कृति के साथ जुड़ने पर केंद्रित हैं.

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टिकाऊ यात्रा 2025 का सबसे बड़ा ट्रेंड

टिकाऊ यात्रा (Sustainable Travel) अब कोई छोटा ट्रेंड नहीं रहा. वैश्विक स्तर पर, 2025 में 84% यात्री टिकाऊ यात्रा को महत्वपूर्ण मानते हैं. पिछले दस सालों में यह प्राथमिकता तेज़ी से बढ़ी है. 2016 में केवल 42% यात्रियों ने यह महसूस किया था कि वे टिकाऊ यात्रा करते हैं, जबकि अब 93% लोग ज्यादा सतत विकल्प चुनना चाहते हैं. जो कि यह दिखाता है कि लोग अब अपने यात्रा के फैसलों के कारण स्थानीय जगहों और पर्यावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक असर के बारे में ज़्यादा जागरूक हो गए हैं.

यात्रियों के व्यवहार में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है. 2020 में 43% यात्रियों ने कहा कि उन्होंने अपने आवास में एसी या हीटर बंद कर दिया था जब वे वहां नहीं थे, जो 2023 तक बढ़कर 67% हो गया. इसके अलावा, पर्यटक भीड़भाड़ से बचने के लिए वैकल्पिक जगहों पर जाने और साल के अलग समय में यात्रा करने के विकल्प चुन रहे हैं. इससे न केवल पर्यावरण पर दबाव कम होता है, बल्कि स्थानीय समुदाय भी पर्यटन के फायदों से जुड़ा रहता है.

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