जहां हुआ था सीता हरण, कटी थी शूर्पणखा की नाक..घूम आएं इन खूबसूरत जगहों पर

नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित यह पौराणिक स्थल रामायण की कहानियों को जीवंत करता है. यहां आने वाले लोग रामायण काल की कहानियों को नजदीक से महसूस कर सकते हैं और आस्था, इतिहास और पर्यटन का अद्भुत संगम देख सकते हैं.

Advertisement
जहां रामायण की कहानियां आज भी जीवंत हैं (Photo: incredibleindia.gov.in) जहां रामायण की कहानियां आज भी जीवंत हैं (Photo: incredibleindia.gov.in)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

अगर आप रामायण की कहानियों को सिर्फ पढ़ना या सुनना ही नहीं, बल्कि खुद महसूस करना चाहते हैं, तो नासिक का पंचवटी क्षेत्र आपके लिए एक अनोखा एक्सपीरियंस है. यह वही पवित्र भूमि है, जहां भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे लंबा और महत्वपूर्ण समय बिताया था. यहीं से रामायण के सबसे बड़े मोड़ की शुरुआत हुई, सीता का हरण और शूर्पणखा की नाक काटने की घटना.आज भी यह स्थल इतिहास और आस्था का संगम दर्शाता है. पंचवटी और इसके आस-पास की गुफाएं, मंदिर और कुंडें आज भी त्रेतायुग की कहानियां सुनाती हैं और इसे इतिहास, आस्था और बेहतरीन पर्यटन का संगम बनाती हैं.

Advertisement

1. सीता गुफा

पंचवटी में मौजूद सीता गुफा सबसे खास है. यह कोई साधारण गुफा नहीं है, बल्कि वह स्थान है जहां वनवास के दौरान देवी सीता रहती थीं. मान्यता है कि यहीं से लंका के राजा रावण ने छल से उनका हरण किया था, जिसके बाद राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध शुरू हुआ.

यह गुफा पांच पवित्र बरगद के पेड़ों के पास है. अंदर जाने के लिए एक छोटी सीढ़ी उतरनी पड़ती है. जहां गुफा के अंदर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां दिखेंगी. इसके अलावा बाईं ओर एक और छोटी गुफा है, जहां शिवलिंग स्थापित है. यहां हर दिन हज़ारों श्रद्धालु आते हैं. यह जगह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का एक अद्भुत संगम है, जो हर किसी को रामायण काल में ले जाता है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: धार्मिक यात्रा और ट्रैकिंग साथ-साथ, नवरात्रि में इन मंदिरों में करें दर्शन

2. जन स्थान

नासिक से लगभग 8-10 किलोमीटर दूर गोदावरी और कपिला नदी के संगम पर एक जगह है जिसे रामायण काल में जन स्थान कहते थे. लोक कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी. बताया जाता है कि 'नासिका' (नाक) काटने की इसी घटना के कारण इस शहर का नाम नासिक पड़ा. इतना ही नहीं माना जाता है कि त्रेतायुग में यह क्षेत्र राक्षसों का मुख्य अड्डा था और यहां रावण का सेनापति खर 14 हज़ार राक्षसों के साथ रहता था. 

3. काला राम मंदिर

पंचवटी में काला राम मंदिर पेशवाओं द्वारा बनवाया गया एक सुंदर मंदिर है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां काले रंग की हैं. मंदिर के नाम के पीछे की कहानी यह है कि जब राम यहां वनवास में थे, तो ऋषियों ने उनसे राक्षसों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. तब राम ने अपना 'काल रूप' धारण किया, यानी एक भयंकर स्वरूप में राक्षसों का वध किया. यह मंदिर ठीक उसी जगह बना है जहां माना जाता है कि राम अपनी कुटिया बनाकर रहते थे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: नवरात्रि सिर्फ भारत में नहीं, अमेरिका और कनाडा में होती है मां दुर्गा की पूजा

काल रूप धारण कर राक्षसों का वध करने वाली कथा का स्थल (Photo: incredibleindia.gov.in)

4. कपालेश्वर मंदिर

राम कुंड के रास्ते में कपालेश्वर मंदिर नाम का एक अनोखा शिव मंदिर है. यह देश के उन गिने-चुने मंदिरों में से एक है जहां आपको शिवलिंग तो मिलेगा, लेकिन उनके वाहन नंदी नहीं. इसके पीछे की कथा बड़ी दिलचस्प है. कहते हैं कि एक बार शिव ने गुस्से में ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था, जिससे उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए शिव ने हर संभव कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली. तब नंदी ने ही उन्हें गोदावरी में डुबकी लगाने की सलाह दी. गोदावरी में स्नान करते ही शिव पाप मुक्त हो गए. इस पर शिव ने नंदी को अपना गुरु मान लिया. क्योंकि नंदी गुरु बन गए, इसलिए उनका कद शिव से ऊंचा हो गया और उन्हें शिवलिंग के पास स्थापित नहीं किया गया.

5. राम कुंड

पंचवटी में स्थित राम कुंड एक और महत्वपूर्ण स्थल है. कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम इसी कुंड में स्नान किया करते थे. इसीलिए इस कुंड का महत्व बहुत ज़्यादा है. यही वजह है कि यहां हर कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं. एक और खास बात यह है कि लोग मानते हैं कि इस कुंड में अपने पूर्वजों की राख (अस्थियाँ) विसर्जित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement