रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को भारत आ रहे हैं. उनके भारत दौरे की हर तरफ चर्चा चल रही है. इस खास मौके पर जानते हैं रूस के उस शहर के बारे में जहां पुतिन का बचपन बीता. उस शहर का नाम है लेनिनग्राद जो वर्तमान में सेंट पीटर्सबर्ग के नाम से जाना जाता है. पुतिन का जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ साल बाद हुआ था. लेनिनग्राद वह शहर था जिसने नाजी घेराबंदी के दौरान भयंकर तबाही और भुखमरी झेली थी. पुतिन के माता-पिता खुद इस घेराबंदी के पीड़ित थे और उनके बचपन पर उस युद्ध के आघात का गहरा प्रभाव पड़ा.
पुतिन के परिवार ने इस शहर में संघर्ष के ऐसे दिन बिताए जो जिंदगी भर भूल नहीं पाए. उनकी मां Maria Ivanovna ब्रेड के एक टुकड़े तक की मोहताज रहीं, भूख की आग ने उनके दूसरे बेटे विक्टर की जान तक ले ली. अपने कलेजे के टुकड़े को अपनी आखों के सामने भूख, भयंकर ठंड और बीमारी से उन्होंने तड़पकर मरते हुए देखा एक मां के सामने उसका बच्चा भूख से तड़पकर जान दे दे इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है.
पुतिन के पिता व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच पुतिन, युद्ध में बुरी तरह घायल हुए थे. पुतिन के जन्म से पहले, उनके माता-पिता अपने दो बच्चों ल्बर्ट और विक्टर को खो चुके थे. उनका परिवार एक सांप्रदायिक अपार्टमेंट में रहता था, जिसे रूसी में कम्युनाल्का कहा जाता था. पांच मंजिला इमारत की चौथी मंजिल पर उनका 20 वर्ग मीटर का कमरा था.
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तीन बार बदला शहर का नाम
सेंट पीटर्सबर्ग (पूर्व लेनिनग्राद) रूस का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जिसे इसकी सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. नेवा नदी के डेल्टा पर स्थित यह शहर अपनी राजसी वास्तुकला, महलों, कला और अपने मार्मिक इतिहास के लिए विश्व भर में जाना जाता है. शहर का ऐतिहासिक सफर और नामकरण सेंट पीटर्सबर्ग का इतिहास तीन मुख्य नामों में सिमटा हुआ है, जो इसके विभिन्न राजनीतिक युगों को दर्शाते हैं.
सेंट पीटर्सबर्ग का इतिहास 1703 में शुरू हुआ, जब शक्तिशाली जार पीटर द ग्रेट ने स्वीडन से जीती गई दलदली भूमि पर इस शहर की नींव रखी. उनका दूरदर्शी उद्देश्य स्पष्ट था- रूस के लिए 'यूरोप की ओर एक भव्य खिड़की' खोलना. अपनी स्थापना के बाद, यह शहर 1712 में रूसी साम्राज्य की राजधानी और सत्ता का केंद्र बना रहा और 1918 तक इसी पद पर कायम रहा. दशकों बाद, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, एक ऐतिहासिक जनमत संग्रह आयोजित किया गया, जिसके माध्यम से इस गौरवशाली शहर को इसका मूल और प्रतिष्ठित नाम वापस मिल गया.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जर्मन-विरोधी भावनाओं के चलते इसके जर्मन-ध्वनि वाले नाम को बदलकर स्लाविक नाम पेट्रोग्राद कर दिया गया. यह शहर 1917 की रूसी क्रांति का केंद्र था, जिसके परिणामस्वरूप जार निकोलस द्वितीय को सत्ता छोड़नी पड़ी. लेनिनग्राद (1924–1991) 1924 में बोल्शेविक नेता व्लादिमीर लेनिन की मृत्यु के बाद, सम्मान के रूप में शहर का नाम बदलकर लेनिनग्राद कर दिया गया.
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यह नामकरण सोवियत काल के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. घेराबंदी का आघात लेनिनग्राद नाम की सबसे बड़ी पहचान द्वितीय विश्व युद्ध की 900 दिन लंबी नाजी घेराबंदी (1941–1944) से जुड़ी है. इस दौरान शहर ने भयंकर भुखमरी, ठंड और बमबारी का सामना किया, जिसके बारे में कहा जाता है कि करीब 15 लाख लोगों की जान चली गई थी. इस असाधारण बहादुरी के लिए शहर को 'हीरो सिटी' का खिताब मिला.
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सेंट पीटर्सबर्ग की विशिष्टता इसे यूरोप के अन्य शहरों से अलग करती है. यह शहर पूरी तरह से नियोजित है, जिसमें बरोक (Baroque) और नव-शास्त्रीय (Neoclassical) शैलियों का बोलबाला है. चौड़ी सड़कें, खुली नहरें और रंगीन महल इसे एक शानदार यूरोपीय स्वरूप देते हैं. खासकर मई के अंत से जुलाई की शुरुआत तक, यहां रात में भी हल्का उजाला रहता है, क्योंकि सूरज क्षितिज से ज़्यादा नीचे नहीं जाता. इस अनोखे समय को व्हाइट नाइट्स कहा जाता है, जब पूरा शहर सांस्कृतिक उत्सवों और कला प्रदर्शनों में डूब जाता है.
सेंट पीटर्सबर्ग को रूस की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है. यहां का मारिंस्की थिएटर (Mariinsky Theatre) विश्व प्रसिद्ध है, जो रूसी बैले और ओपेरा की दुनिया में सर्वोच्च स्थान रखता है.
प्रमुख पर्यटन आकर्षण
यह शहर कला, इतिहास और स्थापत्य कला का खजाना है. द हर्मिटेज म्यूजियम दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित कला संग्रहालयों में से एक है. यहां का विंटर पैलेस (Winter Palace), जो 1732 से 1917 तक रूसी जारों का मुख्य निवास था, कई भवनों में फैला हुआ है. यहां लियोनार्डो दा विंची, रेम्ब्रांद और पिकासो जैसे महान कलाकारों की कृतियां मौजूद हैं. पीटरहॉफ पैलेस (Peterhof Palace) शहर से बाहर स्थित इस परिसर को 'रूसी वर्साय' कहा जाता है. इसके शानदार फव्वारे, जो विशाल 'ग्रैंड कैस्केड' के साथ शुरू होते हैं टूरिस्टों के लिए मुख्य आकर्षण हैं.
चर्च ऑफ द सेवियर ऑन स्पिल्ड ब्लड (Church of the Savior on Spilled Blood) अपनी विशिष्ट रूसी शैली और अंदर के 7,500 वर्ग मीटर से अधिक के जटिल मोजाइक के लिए जाना जाने वाला यह चर्च, उस स्थान पर बना है जहां जार अलेक्जेंडर द्वितीय की 1881 में हत्या की गई थी.
घूमने का सबसे अच्छा समय
मई से जुलाई यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए रूस यात्रा के लिए वीजा जरूरी है. सेंट पीटर्सबर्ग एक ऐसा शहर है जो अपनी सुंदरता के पीछे अपने इतिहास के दर्द को छुपाए रखता है. पुतिन जैसे नेताओं का बचपन इसी साम्यवादी, संघर्षरत और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध माहौल में बीता, जिसने रूसी आत्मा की दृढ़ता को आकार दिया.
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