नया साल दस्तक देने को है, लेकिन उससे पहले ही उज्जैन की फिजा पूरी तरह महाकाल के रंग में रंग चुकी है. हालात ये हैं कि धर्मनगरी का हर रास्ता आज बाबा के दरबार की ओर ही मुड़ रहा है. सुबह की सर्द हवाओं से लेकर देर रात की खामोशी तक, उज्जैन की गलियों में सिर्फ 'जय महाकाल' की गूंज है. नए साल का आगाज महादेव के आशीर्वाद के साथ करने की ऐसी होड़ मची है कि शहर का कोना-कोना इस वक्त 'हाउसफुल' नजर आ रहा है. आलम यह है कि प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के पट सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक लगातार खुले रहते हैं, लेकिन इन 19 घंटों के नो-ब्रेक दर्शन के बावजूद भक्तों की लंबी कतारें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.
देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की बस एक ही ख्वाहिश है कि उनके नए साल का आगाज काल के कपाल महाकाल के आशीर्वाद के साथ हो. भक्तों का मानना है कि साल की पहली सुबह अगर महादेव की चौखट पर बीते, तो पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर बिगड़ा काम बन जाता है. यही वजह है कि कड़ाके की ठंड और घंटों का इंतजार भी भक्तों के उस अटूट विश्वास को डिगा नहीं पा रहा है, जो उन्हें सात समंदर पार से खींचकर उज्जैन ले आया है.
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टनल से लेकर महालोक तक सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम
लाखों की इस भीड़ को सुरक्षित दर्शन कराने के लिए प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है और पुलिस बल को 'अलर्ट मोड' पर रखा गया है. दर्शनार्थियों के लिए महाकाल महालोक, मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर और महाकाल टनल के रास्ते एक ऐसा स्मार्ट रूट तैयार किया गया है, जिससे लोग बिना किसी अफरा-तफरी के कार्तिकेय और गणेश मंडपम तक पहुंच सकें. सामान्य दर्शनार्थियों के लिए चारधाम पथ से मार्ग निर्धारित किया गया है, जहां कड़ाके की ठंड और थकान को देखते हुए प्रशासन ने पेयजल और छांव के लिए शामियानों के खास इंतजाम किए हैं.
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वहीं, जो श्रद्धालु समय की कमी के कारण जल्दी दर्शन करना चाहते हैं, उनके लिए जगह-जगह ₹250 की शीघ्र दर्शन रसीद के काउंटर खोले गए हैं. मंदिर समिति ने स्पष्ट किया है कि आने वाले दो दिनों में भीड़ का यह ग्राफ और भी बढ़ सकता है, जिसे देखते हुए व्यवस्थाओं में पल-पल बदलाव किए जा रहे हैं. कुल मिलाकर, उज्जैन इस समय भक्ति के उस चरम पर है जहां घंटों का इंतजार और कड़ाके की सर्दी भी भक्तों के जोश को ठंडा नहीं कर पा रही है.
संदीप कुलश्रेष्ठ