क्या आपने कभी गौर किया है कि आज के दौर का मुसाफिर सिर्फ पहाड़ या समंदर नहीं खोज रहा, बल्कि वह सुकून की तलाश में है? यही वजह है कि आज दुनिया भर के सैलानियों का रुख भारत के प्राचीन और पवित्र शहरों की ओर तेजी से बढ़ रहा है. साल 2026 भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित होने वाला है, क्योंकि हमारे आध्यात्मिक शहर अब सिर्फ पूजा-पाठ के केंद्र नहीं, बल्कि हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस ग्लोबल टूरिस्ट हब बनने की राह पर हैं. सरकार की बड़ी योजनाओं और शहरों के बदली हुई सूरत ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में दुनिया की सबसे बड़ी भीड़ भारत के इन पावन गलियारों में नजर आने वाली है.
भारत के इन आध्यात्मिक शहरों की किस्मत बदलने के पीछे सरकार का एक बड़ा विजन काम कर रहा है. 'स्वदेश दर्शन' और 'प्रसाद' जैसी योजनाओं के जरिए धार्मिक स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं को इस कदर सुधारा जा रहा है कि विदेशी सैलानियों को वहां रुकने में कोई हिचक न हो. यही नहीं, 2024-25 के बजट में 50 नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो सीधे तौर पर आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है. जब सुविधाएं विश्वस्तरीय होती हैं, तो सैलानियों की संख्या अपने आप बढ़ने लगती है और यही बदलाव 2026 में इन शहरों को वैश्विक पटल पर मजबूती से खड़ा कर देगा.
वाराणसी और अयोध्या का बढ़ता हुआ वैश्विक कद
जब हम अध्यात्म की बात करते हैं, तो वाराणसी यानी काशी का नाम सबसे पहले आता है, जिसे भारत की आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है. गंगा किनारे होने वाली अद्भुत आरती और यहां के प्राचीन मंदिरों का आकर्षण अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच पहले से ही बहुत ज्यादा है और 2026 तक इसके कई गुना बढ़ने की उम्मीद है.
काशी की इसी सफलता के पदचिन्हों पर अब अयोध्या भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या एक ऐसे प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में उभरा है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. अब यहां काशी और प्रयागराज जैसे शहरों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी और वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जा रहा है, ताकि मुसाफिरों को एक मुकम्मल आध्यात्मिक सर्किट का अनुभव मिल सके.
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बिहार का राजगीर बनेगा अध्यात्म का नया केंद्र
उत्तर प्रदेश के इन चमकते शहरों के साथ-साथ बिहार का राजगीर भी साल 2026 में विश्व अध्यात्म के नक्शे पर एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. राजगीर प्राचीन काल से ही धर्म और ध्यान की भूमि रहा है, लेकिन अब इसे एक आधुनिक ध्यान केंद्र के रूप में पेश किया जा रहा है. सरकार ने यहां 2026 में 'महाशिवरात्रि ध्यान उत्सव' जैसे बड़े आयोजनों की घोषणा पहले ही कर दी है, जो दुनिया भर के ध्यान प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करेगा. यह शहर जिस तरह से अपनी ऐतिहासिक पहचान को आधुनिक सुविधाओं के साथ जोड़ रहा है, उसे देखकर लगता है कि शांति और सुकून की तलाश करने वाले ग्लोबल टूरिस्ट्स के लिए राजगीर जल्द ही पहली पसंद बन जाएगा.
ऋषिकेश और हरिद्वार में योग का अंतरराष्ट्रीय आकर्षण
अगर कोई विदेशी सैलानी भारत आता है, तो वह योग और गंगा के अनुभव के बिना अपनी यात्रा अधूरी मानता है और इस मामले में ऋषिकेश-हरिद्वार का कोई बराबरी करने वाला नहीं है. ऋषिकेश को दुनिया की 'योग राजधानी' कहा जाता है और यहां के ध्यान केंद्र साल भर विदेशी मेहमानों से भरे रहते हैं.
गंगा के तट पर होने वाली शाम की आरती और प्राकृतिक खूबसूरती ने इन शहरों को एक ऐसी वैश्विक छवि दी है जो साल 2026 तक और भी ज्यादा निखरकर सामने आएगी. कनेक्टिविटी में सुधार और योग उत्सवों के बड़े पैमाने पर आयोजन ने ऋषिकेश और हरिद्वार को दुनिया भर के उन लोगों के लिए एक जरूरी डेस्टिनेशन बना दिया है जो आत्मिक शांति की तलाश में भारत आते हैं.
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स्वर्ण मंदिर की विरासत और अमृतसर की लोकप्रियता
आध्यात्मिक पर्यटन की इस लिस्ट में अमृतसर का स्वर्ण मंदिर अपनी अटूट आस्था और अनुशासन के लिए हमेशा से टॉप पर रहा है. अमृतसर न केवल सिखों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपनी समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के लिए भी मशहूर है. स्वर्ण मंदिर में होने वाली सेवा और वहां का सुकून हर साल लाखों विदेशी पर्यटकों को अपना दीवाना बना लेता है. सरकार अब यहां की विरासत और पर्यटन सुविधाओं को इस तरह अपग्रेड कर रही है कि अमृतसर 2026 तक दुनिया के सबसे बड़े और व्यवस्थित आध्यात्मिक केंद्रों में शुमार हो जाए.
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