मानसून का मौसम सफारी के शौकीनों के लिए जन्नत साबित हो सकता है. हालांकि, बारिश के बीच छुट्टियां मनाने का ख्याल हर किसी के दिमाग में नहीं आता, लेकिन भारत का विविध भूगोल इसे खास बना देता है. यहां कई नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी बारिश के मौसम में भी खुले रहते हैं. इन जगहों पर न सिर्फ हरियाली का अलग ही रंग देखने को मिलता है, बल्कि बारिश के बीच जंगल का जादुई नज़ारा और भी रोमांचक हो जाता है.
बरसात में भले ही बड़े जानवरों के दर्शन कम हो जाएं, लेकिन जंगल की असली धड़कन इसी मौसम में महसूस होती है. कहीं हाथी झूमते हुए बारिश का आनंद लेते हैं, तो कहीं पक्षियों की चहचहाहट हर कोने को गुलजार कर देती है. यही नहीं, दुर्लभ पौधे और हरी-भरी बेलें भी मानसून में खिलकर जंगल को एक नई जान दे देती हैं.
अगर आप मानसून सफारी का मज़ा लेना चाहते हैं तो दक्षिण भारत के कई पार्क आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकते हैं. तमिलनाडु का मुदुमलाई नेशनल पार्क, कर्नाटक का बांदीपुर और केरल का पेरियार वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सालभर खुले रहते हैं. इसके अलावा नागरहोल नेशनल पार्क भी मानसून में पर्यटकों का स्वागत करता है. यहां बारिश के बीच ट्रैकिंग और जंगल सफारी दोनों का अलग ही अनुभव मिलता है.
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वहीं, उत्तर भारत के मशहूर नेशनल पार्क जैसे रणथंभौर, कॉर्बेट और बांधवगढ़ मानसून के दौरान पूरी तरह बंद नहीं होते. इनमें सीमित इलाकों में सफारी की अनुमति मिलती है, जिससे यहां का अनुभव भी अनोखा बन जाता है.
अगर आप भीड़ से दूर कुछ अलग करना चाहते हैं, तो मानसून आपके लिए परफेक्ट समय है. इस दौरान पर्यटकों की भीड़ कम होती है और टिकट के दाम भी सामान्य दिनों से कम रहते हैं. यानी आप कम खर्च में ज्यादा रोमांचक सफर का मजा ले सकते हैं.
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लद्दाख का हेमिस नेशनल पार्क इसी का बेहतरीन उदाहरण है. यहां सफारी नहीं बल्कि ट्रैकिंग का मज़ा लिया जा सकता है. बारिश में यह इलाका बेहद शांत, खूबसूरत और रोमांचक हो जाता है. यहां की ट्रेल्स पर चलते हुए बर्फ से ढकी चोटियों और दुर्लभ जीव-जंतुओं से सामना हो सकता है.
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