वो नदी जो कर्क रेखा को दो बार काटती है, जानें माही नदी की अद्भुत भौगोलिक कहानी

भारत में एक ऐसी नदी है जिसके नाम पर ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है, जिसे कोई दूसरी भारतीय नदी नहीं छू पाई. यह नदी अपने रास्ते में एक अनोखा भूगोलिक चमत्कार करती है, जो कि कर्क रेखा को एक नहीं, बल्कि दो बार पार करती है.

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कर्क रेखा को दो बार काटती है यह नदी (Photo: x.com/ @my_rajasthan) कर्क रेखा को दो बार काटती है यह नदी (Photo: x.com/ @my_rajasthan)

aajtak.in

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  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST

अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं और प्रकृति के रहस्यों को जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो भारत का पश्चिमी हिस्सा आपके लिए एक अविश्वसनीय कहानी समेटे हुए है. जब हम भारत की नदियों की बात करते हैं, तो हमारे मन में अक्सर गंगा और गोदावरी जैसी बड़ी नदियों का ख्याल आता है. लेकिन भारत के पश्चिमी हिस्से में एक ऐसी खास नदी है, माही नदी, जिसने अपने बहाव के कारण एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है.

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यह नदी इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यह कर्क रेखा को अपने सफर में दो बार पार करती है. यह एक ऐसी भौगोलिक घटना है जो भारत की किसी अन्य नदी में देखने को नहीं मिलती. माही नदी मध्य प्रदेश के पहाड़ों से निकलती है, वहां से यह राजस्थान में प्रवेश करती है और फिर गुजरात से होते हुए अरब सागर में मिल जाती है. तीन राज्यों से होकर गुजरने वाली यह नदी लाखों लोगों के लिए एक जीवन रेखा है.

उद्गम और अनोखी यात्रा का आरंभ

माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के विंध्य पर्वतमाला में धार जिले के पास मिंडा नामक गांव से होता है. यह एक पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है, जो तापी और नर्मदा जैसी गिनी-चुनी नदियों में शामिल है. अपने स्रोत से निकलने के बाद, यह उत्तर की ओर बहते हुए राजस्थान राज्य में प्रवेश करती है. इसकी अनोखी भौगोलिक यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है. मध्य प्रदेश में उद्गम क्षेत्र से निकलते ही, यह पहली बार कर्क रेखा के उत्तर में पहुंच जाती है. इसके बाद, राजस्थान में बहते हुए, यह एक व्यापक 'यू-आकार' का बड़ा मोड़ लेती है.

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यह बड़ा मोड़ ही इसकी दोहरी क्रॉसिंग को संभव बनाता है. राजस्थान के बाद, यह गुजरात में वापस गिरती है और अंत में समुद्र की ओर जाने से पहले उसी रेखा को फिर से काटती है. यह मोड़ सिर्फ एक भौगोलिक जिज्ञासा नहीं, बल्कि नदी के लंबे और घुमावदार सफर का प्रतीक है.

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भौगोलिक महत्व और जल संसाधन

माही नदी को जो बात सचमुच विशेष बनाती है, वह है इसका मार्ग जो इसे कर्क रेखा से दो अलग-अलग बार गुजारता है. यह एक दुर्लभ भौगोलिक घटना है. दुनिया में बहुत कम नदियां हैं जो किसी मुख्य अक्षांश रेखा को दो बार पार करती हैं और भारत में माही इस मामले में अकेली नदी है.

इसका यह लूपिंग पथ नदी बेसिन प्रबंधन और जलविद्युत परियोजनाओं की योजना को भी प्रभावित करता है. उदाहरण के लिए, राजस्थान में नदी पर बना माही बजाज सागर बांध, बिजली उत्पादन और सिंचाई दोनों के लिए एक प्रमुख संरचना है. माही बेसिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के बड़े हिस्सों को कवर करता है और हजारों वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

स्थानीय समुदायों के लिए, यह नदी एक जीवन रेखा है. यह कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराती है, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखती है और मछलियों व वन्यजीवों को पोषण देती है. इसे इसके आकार और महत्व को देखते हुए कभी-कभी "महिसागर" भी कहा जाता है.

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