देव दीपावली से पहले काशी में खास तैयारी की जा रही है. 1 से 4 नवंबर तक गंगा के घाटों पर गंगा महोत्सव होगा, जो हर साल की तरह इस बार भी कला, संस्कृति और भक्ति का संगम लेकर आएगा. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित यह कार्यक्रम मुख्य रूप से राजघाट और नमो घाट पर होगा. इन चार दिनों में घाटों पर देश के नामी कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे.
गंगा महोत्सव के चार दिवसीय कार्यक्रम की हर शाम, दर्शकों को अद्भुत सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाएगी. ये कार्यक्रम शाम 4 बजे से शुरू होगा, जहां ध्यानपूर्ण रागों से लेकर ऊर्जावान लोकगीतों तक का अनूठा संगम देखने को मिलेगा.
महोत्सव की शानदार शुरुआत एक कथक युगल नृत्य प्रस्तुति के साथ होगी. पंडित माता प्रसाद मिश्र और पंडित रविशंकर मिश्र अपनी लय से मंच को रोशन करेंगे. इसके बाद, डॉ. रिपी मिश्र, विदुषी कमला शंकर स्लाइड गिटार पर शास्त्रीय प्रस्तुति से शाम को यादगार बनाएंगी और पंडित नवल किशोर मल्लिक भारत की समृद्ध संगीत परंपरा का प्रदर्शन करेंगे. स्थानीय रंगत जोड़ने के लिए, रवि शर्मा और उनका समूह ब्रज लोक संगीत पेश करेंगे.
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दूसरे दिन सुर और गति का एक अनूठा संगम देखने को मिलेगा. प्रो. पंडित साहित्य नाहर और डॉ. पंडित संतोष नाहर की सितार और वायलिन की मनमोहक जुगलबंदी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी, जिसके बाद पद्मश्री गीता चंद्रन का भव्य भरतनाट्यम प्रदर्शन शाम का मुख्य आकर्षण होगा. शिवानी शुक्ला, वंदना मिश्रा और राजकुमार तिवारी का शास्त्रीय गायन एक भावपूर्ण अनुभव का माहौल बनाएगा, जिससे कला और अध्यात्म का सुंदर मेल होगा.
तीसरे दिन, लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपने जोशीले उत्तर भारतीय लोकगीतों से शाम की शोभा बढ़ाएंगी. उनके साथ, विशाल कृष्ण का मनमोहक कथक नृत्य, चेतन जोशी की मधुर बांसुरी और विदुषी कविता द्विवेदी का ओडिसी नृत्य भी होगा.
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समापन दिवस पूरी तरह से भक्ति से सराबोर रहेगा. इस दौरान लोकप्रिय भजन गायक हंसराज रघुवंशी अपनी भावपूर्ण रचनाओं से वातावरण को दिव्य ऊर्जा से भरते हुए मंच की शोभा बढ़ाएंगे. इनके अलावा, डॉ. शुभंकर डे का शास्त्रीय गायन, डॉ. प्रेम किशोर मिश्र और उनके समूह द्वारा सितार-सरोद जुगलबंदी और शिवानी मिश्रा का कथक समूह नृत्य भी कार्यक्रम का हिस्सा रहेगा.
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