ऋषिकेश में बजरंग सेतु के निर्माण के साथ एक नए युग की शुरुआत हो रही है. यह एक आधुनिक सस्पेंशन ब्रिज है, जो इंजीनियरिंग के साथ-साथ आध्यात्मिकता का भी अद्भुत नमूना है. लगभग सौ साल पुराने लक्ष्मण झूला की जगह लेने वाला यह प्रतिष्ठित पुल ग्लास वॉकवे के साथ आता है, जो तीर्थयात्रियों और यात्रियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगा, जिससे वे नदी के ऊपर चलते हुए पवित्र गंगा के दर्शन कर सकेंगे.
यह नया पुल अधिक सुरक्षित और सुलभ है. पुल न केवल सुरक्षा और कनेक्टिविटी को बढ़ाता है, बल्कि आधुनिक इंजीनियरिंग और पौराणिक श्रद्धा का ऐसा मिश्रण लाता है जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों के लिए ऋषिकेश के आकर्षण को और बढ़ाने का वादा करता है.
दशकों तक, लक्ष्मण झूला ऋषिकेश के पर्यटन और आध्यात्मिक संस्कृति की धड़कन बना रहा. 1929 में बना यह लोहे का सस्पेंशन ब्रिज भारत के सबसे ज़्यादा तस्वीरें खींचे गए और देखे गए स्थलों में से एक बन गया, जो पवित्र गंगा के पार तपोवन और जोंक गांवों को जोड़ता था. इसका महत्व केवल ढांचागत उद्देश्य से कहीं अधिक था. यह भगवान लक्ष्मण की पौराणिक कहानी का प्रतिनिधित्व करता था, जिन्होंने, किंवदंती के अनुसार, इसी स्थान पर जूट की रस्सी का उपयोग करके नदी पार की थी.
हालांकि, समय और लगातार बढ़ती भीड़ के साथ, संरचना को लेकर चिंताएं पैदा हुईं. इंजीनियरिंग अध्ययनों में पुल के ढांचे में कमजोरियां सामने आईं, जिससे यह भारी पैदल और वाहनों की आवाजाही के लिए असुरक्षित हो गया. अधिकारियों ने इस पर आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया, जिससे एक नई संरचना के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ जो सुरक्षा और डिज़ाइन की आधुनिक मांगों को पूरा करते हुए उसी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक सार को बनाए रख सके.
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बजरंग सेतु, नया सस्पेंशन ब्रिज, केवल एक प्रतिस्थापन से कहीं अधिक है, यह ऋषिकेश की पहचान के विकास को दर्शाता है. इस पुल की अनुमानित लागत ₹60 करोड़ है, यह पुल 132 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा है, जिसे मजबूती, सुरक्षा और लंबी उम्र सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है.
ये ग्लास वाले हिस्से दिन के दौरान गंगा के मनमोहक नज़ारे पेश करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जबकि रात में ये रोशनी से जगमगाते हुए एक शानदार दृश्य बनाते हैं. रोमांच पसंद करने वालों और फोटोग्राफरों के लिए, यह जल्द ही उत्तराखंड में सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक बन जाएगा. पुल की बीच वाली लेन पर दुपहिया वाहन चल सकेंगे, जबकि दोनों तरफ बने पैदल चलने के रास्तों से बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटकों के लिए सुरक्षित और सुगम आवाजाही सुनिश्चित होगी.
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