दिल्ली की जहरीली हवा ने इस वक्त सबका जीना मुहाल कर दिया है. जब भी स्मॉग बढ़ता है, हम एयर प्यूरीफायर या मास्क की शरण में जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के बीचों-बीच एक ऐसी जगह भी है जो किसी कुदरती एयर प्यूरीफायर से कम नहीं है? हम बात कर रहे हैं 'बांसेरा' (Baansera) पार्क की.
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के लिए दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) द्वारा की गई एक ताजा स्टडी ने सबको चौंका दिया है. इस रिसर्च में यह बात साफ हो गई है कि यहां के घने बांस के जंगल दिल्ली की हवा को साफ करने और वातावरण को आरामदायक बनाने में किसी जादू की तरह काम कर रहे हैं. प्रदूषण के इस दौर में, बांसेरा अब दिल्ली वालों के लिए केवल एक पार्क नहीं, बल्कि शुद्ध हवा की उम्मीद बनकर उभर रहा है.
बांस के जंगलों ने बदला हवा का मिजाज
DTU के वैज्ञानिकों ने दो चरणों में आठ दिनों तक इस पार्क पर बारीकी से रिसर्च की. उन्होंने पाया कि जब पूरी दिल्ली गैस चैंबर बनी होती है, तब भी बांसेरा के अंदर की हवा काफी हद तक सांस लेने लायक होती है. जहां दिल्ली के मशहूर इलाकों जैसे ITO, पटपड़गंज और नेहरू नगर में AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 321 से 327 के खतरनाक स्तर पर था, वहीं बांसेरा में यह गिरकर 296 दर्ज किया गया.
इसका सबसे बड़ा कारण यहां लगे हजारों बांस के पेड़ हैं. बांस की खासियत यह है कि यह हवा में मौजूद खतरनाक कणों जैसे PM2.5 और PM10 के साथ-साथ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को भी सोख लेता है. इतना ही नहीं, DTU ने पार्क में आने वाले लोगों का भी सर्वे किया. इस सर्वे में 100 लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 98 फीसदी लोगों ने माना कि पार्क के अंदर हवा ज्यादा साफ लगती है, तापमान कम रहता है और आसपास के इलाकों के मुकाबले यहां ज्यादा सुकून मिलता है.
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कड़ाके की ठंड में भी सुकून भरा माहौल
बांसेरा सिर्फ प्रदूषण ही कम नहीं कर रहा, बल्कि यह वातावरण के मिजाज को भी संतुलित रखता है. स्टडी के मुताबिक, दिल्ली के अन्य शहरी इलाकों की तुलना में बांसेरा में तापमान में और भी गिरावट दर्ज की गई है, जो इसे शहर के कंक्रीट के जंगलों के मुकाबले ज्यादा ठंडा बनाता है. शहरी क्षेत्रों की तुलना में यहां का तापमान 19.2 प्रतिशत तक कम पाया गया. इसका मतलब है कि जहां शहर की इमारतें गर्मी और प्रदूषण को कैद कर लेती हैं, वहीं बांसेरा का घना जंगल उस तपिश को सोखकर वातावरण को शांत और शीतल बनाए रखता है. रिसर्च में यह भी सामने आया कि यहां की मिट्टी की क्वालिटी भी दिल्ली के अन्य पार्कों के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर है, जिससे यहां की हरियाली ज्यादा घनी और प्रभावी है.
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क्यों लोधी गार्डन से भी ज्यादा असरदार है बांसेरा?
अक्सर हम सोचते हैं कि कोई भी पेड़ प्रदूषण कम कर देगा, लेकिन DTU की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है. रिपोर्ट के अनुसार, लोधी गार्डन और अमृत बायोडायवर्सिटी पार्क में अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे हैं जो फायदेमंद तो हैं, लेकिन बांसेरा में लगा 'बांस' सबसे ज्यादा असरदार साबित हुआ है. बांस के पेड़ बहुत घने होते हैं और ये तेजी से ऑक्सीजन छोड़ते हैं. यही वजह है कि बांसेरा का वातावरण अन्य पार्कों की तुलना में ज्यादा शुद्ध रहता है.
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