जयपुर के पहाड़ों में करें गणपति के दर्शन, 365 सीढ़ियां चढ़कर पूरे साल के लिए पाएं आशीर्वाद

जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर गणेश चतुर्थी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करता है. अरावली की पहाड़ियों पर बसा यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. इसके आसपास के किला, महल और लोकल बाजार पर्यटकों के अनुभव को और भी खास बना देते हैं.

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भगवान गणेश को समर्पित मंदिर (Photo-incredibleindia.gov.in) भगवान गणेश को समर्पित मंदिर (Photo-incredibleindia.gov.in)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

गणेश चतुर्थी का त्योहार इस बार 27 अगस्त से शुरू होकर 10 दिन तक देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दौरान मुंबई से लेकर दिल्ली तक हर जगह गणपति पंडालों और मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है. ढोल-नगाड़ों की गूंज और 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो उठता है.

लेकिन अगर इस बार आप सिर्फ पंडालों की भीड़ ही नहीं, बल्कि पहाड़ियों की ऊंचाई पर बने एक खास गणेश मंदिर का अनुभव लेना चाहते हैं, तो जयपुर आपके लिए परफेक्ट जगह है. गुलाबी नगरी जयपुर न सिर्फ अपने किलों और हवेलियों के लिए, बल्कि मंदिरों की खूबसूरती के लिए भी मशहूर है. इन्हीं में से एक है गढ़ गणेश मंदिर, जो अरावली की पहाड़ियों पर बसा है और आस्था के साथ-साथ ट्रैवलर्स और फोटोग्राफर्स के लिए भी किसी स्वर्ग से कम नहीं.

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बुद्धि और समृद्धि के देवता को समर्पित मंदिर

गढ़ गणेश मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि मंदिर में स्थापित स्वयंभू गणेश मूर्ति से दिव्य ऊर्जा निकलती है, जो भक्तों को सौभाग्य और सफलता का आशीर्वाद देती है. यही वजह है कि हर साल हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं. इतना ही नहीं मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. माना जाता है कि ये सीढ़ियां साल के 365 दिनों का प्रतीक हैं. इसलिए भक्त यहां आकर पूरे साल के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगते हैं.

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स्थापत्य और कला का अनोखा संगम

गढ़ गणेश मंदिर की सबसे खास बात है इसकी वास्तुकला. गुलाबी बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर पर बारीक नक्काशी की गई है. इसके अलावा स्तंभों और अग्रभाग पर पौराणिक कथाओं के दृश्य नक्काशी किए गए हैं. यह मंदिर राजस्थानी और मुगल स्थापत्य शैली का बेहतरीन मेल है. पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यह जयपुर का अनोखा पहाड़ी मंदिर भी कहलाता है.

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हर कदम पर इतिहास की कहानी

इस मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में कराया था. ऐसी मान्यता है कि उन्हें स्वप्न में भगवान गणेश ने इस मंदिर के निर्माण करने का संकेत दिया था. इसलिए शहर की नींव डालने से पहले ही उन्होंने गढ़ गणेश मंदिर बनवाया, ताकि नई नगरी पर भगवान गणेश का आशीर्वाद बना रहे. यही वजह है कि मंदिर जयपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है.

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फोटो और ट्रैवलर्स के लिए हॉटस्पॉट

गढ़ गणेश मंदिर सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और फोटोग्राफी के लिए भी बेहतरीन जगह है. अरावली पहाड़ियों से दिखने वाला जयपुर शहर का नज़ारा यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मंदिर से ली गई तस्वीरें किसी पोस्टकार्ड से कम नहीं लगतीं. यही वजह है कि यह जगह सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल होती है.

आसपास घूमने की ढेरों जगहें

गढ़ गणेश मंदिर देखने के बाद आप आसानी से आमेर किला, हवा महल और सेंट्रल पार्क जैसे लोकप्रिय स्थलों तक जा सकते हैं. इसके अलावा जौहरी बाजार और बापू बाजार में शॉपिंग का मज़ा ले सकते हैं. यहां की पारंपरिक राजस्थानी संस्कृति, रंग-बिरंगे कपड़े और हस्तशिल्प पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं.

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