महल से जंगल सफारी तक...मैसूर में मिलेगा शाही अंदाज और जंगल का रोमांच

अगर आप वीकेंड ट्रिप की तलाश में हैं तो मैसूर से बेहतर जगह शायद ही मिले. कर्नाटक की यह सांस्कृतिक राजधानी आपको एक ही सफर में शाही इतिहास, जीवंत त्योहार, जंगल का रोमांच और झीलों की शांति सब कुछ देती है.

Advertisement
जंगल और रोमांच का शहर (Photo:incredibleindia.gov.in) जंगल और रोमांच का शहर (Photo:incredibleindia.gov.in)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

अगर आप वीकेंड पर कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और चाहते हैं कि एक ही जगह पर इतिहास, संस्कृति और प्रकृति का संगम मिले, तो मैसूर आपके लिए परफेक्ट जगह है. कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी कहलाने वाला यह शहर अपने शाही महलों, मंदिरों, झीलों और आसपास के जंगलों के लिए मशहूर है.

शाही मैसूर पैलेस

मैसूर का नाम आते ही सबसे पहले दिमाग में इसकी पहचान बन चुका मैसूर पैलेस आता है. वाडियार राजवंश का यह महल अपनी भव्यता और खूबसूरत वास्तुकला के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. हिंदू, मुस्लिम, राजपूत और गोथिक शैली का अनोखा मेल इसे देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है. इतना ही नहीं हर साल लाखों सैलानी यहां आते हैं, खासकर दशहरे के समय जब महल हज़ारों दीपों से जगमगा उठता है.

Advertisement
जहां हर ईंट में बसी है शाही कहानी (Photo:karnatakatourism.org)

दशहरा महोत्सव की रौनक

अगर आपकी यात्रा अक्टूबर में हो तो मैसूर दशहरा ज़रूर देखें. दस दिन तक चलने वाले इस उत्सव में सजे-धजे हाथियों की शोभायात्रा, नृत्य, संगीत और रंगारंग कार्यक्रम होते हैं. यह वह मौका है जब मैसूर अपनी पूरी शान और परंपरा को दुनिया के सामने पेश करता है.

दशहरा की शोभायात्रा (Photo:karnatakatourism.org)

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान

इतिहास और संस्कृति देखने के बाद अगर आप रोमांच चाहते हैं तो मैसूर से लगभग 80 किलोमीटर दूर नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान का रुख कीजिए. यह भारत के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है. 640 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जंगल न सिर्फ बंगाल टाइगर का घर है बल्कि यहां तेंदुए, एशियाई हाथी और कई दुर्लभ पक्षी भी मिलते हैं. इसके अलावा सफारी पर निकलिए और जंगल की असली धड़कन को महसूस कीजिए.

Advertisement
नागरहोल की सफारी (Photo:karnatakatourism.org)

विरासत से भरा सोमनाथपुर मंदिर

मैसूर से थोड़ी दूरी पर स्थित सोमनाथपुर का चेन्नाकेशव मंदिर कला और वास्तुकला प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं. 13वीं सदी में बने इस मंदिर में पत्थरों पर डिजाइन गई अद्भुत नक्काशियां देखने लायक हैं. यही वजह है कि इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिए नामित भी किया गया है.

 सोमनाथपुर का चेन्नाकेशव मंदिर (Photo:karnataka.com)

झीलों की शांति

इतिहास और रोमांच के बीच थोड़ी शांति चाहिए तो मैसूर की झीलों की सैर कीजिए. लिंगाबुडी झील और करंजी झील यहां की दो प्रमुख झीलें हैं. लिंगाबुडी झील मैसूर की सबसे पुरानी झीलों में से है, जबकि करंजी झील पक्षियों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है. ये जगहें शहर की भीड़-भाड़ से दूर आपको सुकून का अहसास कराती हैं.

मैसूर की झील और सुकून (Photo:mysoretourism.org.in)
 


 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement