मोहसिन रजा का सुन्नी बोर्ड को सुझाव
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुझाव दिया है अयोध्या में बन रही मस्जिद का नाम अगर रखना है तो मोहम्मद साहब के नाम पर नाम रखा जाए और इसे "मस्जिद ए मोहम्मदी" का नाम दिया जाए.
मोहसिन रजा ने कहा कि इस देश में बाबर के नाम पर कोई भी चीज स्वीकार नहीं होगी. वह मस्जिद हो या कोई और क्योंकि बाबर ने कोई अच्छा काम नहीं किया. बाबर के नाम पर मुसलमानों के सभी फिरके भी एकमत नहीं होंगे और हम भी तो स्वीकार नहीं करेंगे.
मोहसिन रजा ने कहा, जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषों में उत्तम हैं, उसी तरीके से पैगंबर मोहम्मद साहब मुसलमानों में महापुरुष हैं और उन्हें हिंदुओं में भी उतना ही सम्मान प्राप्त है. इसलिए अगर इस मस्जिद का नाम ही रखना है तो इसका नाम "मस्जिद ए मोहम्मदी" रखा जाए, यह मेरा सुझाव सुन्नी बोर्ड को है.
मोहसिन रजा ने कहा, रही बात योगी जी के वहां के कार्यक्रम में शामिल होने की तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें मस्जिद बनाने की अनुमति मिली है तो वहां मस्जिद बनेगी और जब भी किसी अच्छे कॉलेज के लिए किसी को भी बुलाया जाएगा, चाहे मुझे बुलाया जाए या फिर बीजेपी में किसी भी बड़े पद पर बैठे हुए व्यक्ति को, तो सभी लोग जाएंगे. अच्छे काम के लिए हम लोग सभी जगह जाते हैं.
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मस्जिद निर्माण में नींव रखने जैसा कार्यक्रम नहीं
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने मस्जिद निर्माण कार्यक्रम में गेस्ट बुलाए जाने को लेकर कहा कि मस्जिद निर्माण में नींव रखने जैसा कोई कार्यक्रम नहीं होता है. हम वहां पर
सार्वजनिक उपयोगिता के लिए इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, लाइब्रेरी, कम्युनिटी किचन, हॉस्पिटल बनाएंगे. इसलिए हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सहयोग की उम्मीद करेंगे. हमें उम्मीद है कि वो आएंगे और जब हमारा प्लान तैयार हो जाएगा तब हम उनको निमंत्रण देने भी जायेंगे.
निर्माण कार्य कब शुरू होगा, इस सवाल के जबाब में अतहर हुसैन ने कहा कि इस बारे में अभी हम नहीं बता सकते. हमने इतना तय किया है कि मस्जिद 15, 000 स्क्वायर फीट की जगह पर बनाएंगे. मस्जिद कैसी बनेगी यह हम बाद के बैठकों में तय करेंगें. अन्य जगहों पर अस्पताल आदि बनाएंगे.
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का ऑफिस 10-12 दिनों में लखनऊ के बर्लिंग्टन स्क्वायर में खुलेगा. हमने अभी तक सिर्फ एक बैठक की है, इसलिए कोई टाइम फ्रेम नहीं दे सकते. अगर प्रधानमंत्री सहयोग करें तो उनको भी बुलाएंगे. जब कार्यक्रम का आयोजन होगा तो सभी प्रबुद्ध लोगों, उलेमाओं को बुलाया जाएगा.
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अतहर हुसैन ने नाम को लेकर कहा कि मस्जिद का कोई नाम नहीं होता. इस्लाम में मस्जिद के नाम को कोई महत्त्व नहीं है. हालांकि हो सकता है कि इसका नाम बाबरी ना हो.
कुमार अभिषेक / नीलांशु शुक्ला