इन वजहों से राजखोवा की अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर पद से हुई छुट्टी

ज्योति प्रसाद राजखोवा को अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर पद से हटा दिया गया है. मेघालय के राज्यपाल वी षणमुगनाथन को नए गवर्नर की नियुक्ति तक अरुणाचल के राज्यपाल का प्रभार सौंपा गया है. संविधान के मुताबिक राज्यपाल अपनी नियुक्त‍ि से 5 साल तक या राष्ट्रपति की 'इच्छा' तक अपने पद पर बने रह सकता है.

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राज्यपाल पद से हटाए गए जे.पी. राजखोवा राज्यपाल पद से हटाए गए जे.पी. राजखोवा

मोनिका शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:40 AM IST

ज्योति प्रसाद राजखोवा को अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर पद से हटा दिया गया है. मेघालय के राज्यपाल वी षणमुगनाथन को नए गवर्नर की नियुक्ति तक अरुणाचल के राज्यपाल का प्रभार सौंपा गया है. संविधान के मुताबिक राज्यपाल अपनी नियुक्त‍ि से 5 साल तक या राष्ट्रपति की 'इच्छा' तक अपने पद पर बने रह सकता है.

महज 4 महीने में हटाए गए राजखोवा
पूर्व नौकरशाह राजखोवा 12 मई, 2015 को अरुणाचल के राज्यपाल बनाए गए थे लेकिन एक साल 4 महीने में ही उन्हें हटा दिया गया. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि राजखोवा को डेढ़ साल के भीतर ही हटाने का फरमान राष्ट्रपति भवन से क्यों जारी कर दिया गया? आखिर वो कौन सी परिस्थ‍ितियां पैदा हुईं जिनके चलते गवर्नर की छुट्टी करना केंद्र की मजबूरी बन गई.

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राजखोवा ने की थी राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश
4 अक्टूबर 2015 को खबर आई कि 6 मंत्रियों समेत कांग्रेस के 37 विधायकों ने तत्कालीन सीएम नबाम तुकी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए हाथ मिला लिया है. अगले महीने यानी नवंबर में कांग्रेस के 21 विधायकों ने सीएम तुकी के खि‍लाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया. बताया जा रहा है कि उस वक्त के सियासी हालात को सही तरीके से भांपने में राज्यपाल नाकाम रहे. राजखोवा ने उस वक्त केंद्र को रिपोर्ट सौंपी और राज्य में राष्ट्रपति लगाए जाने की सिफारिश की. उन्होंने इसके लिए राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया.

सीएम की सलाह बिना बुलाया था विधानसभा सत्र
राजखोवा ने 9 दिसंबर 2015 को एक फरमान जारी कर विधानसभा का सत्र एक महीने पहले बुला लिया. पहले यह सत्र 14 जनवरी 2016 से शुरू होना था लेकिन राजखोवा ने इसकी जगह 16 दिसंबर से सत्र बुलाने का हुक्म दिया और डिप्टी स्पीकर को निर्देश दिया कि वो सदन की अगुवाई करें. राजखोवा ने मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट की सलाह के बिना विधानसभा का सत्र बुलाया और नबाम तुकी सरकार को बहुमत साबित करने को कहा गया.

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स्पीकर के खिलाफ पारित हुआ प्रस्ताव
16 दिसंबर 2015 को कांग्रेस के 20 असंतुष्ट विधायकों, बीजेपी के 11 विधायकों और 2 निर्दलीय विधायकों की ओर से सदन में स्पीकर के खि‍लाफ महाभि‍योग का प्रस्ताव लाया गया. अगले दिन स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया और कलिखो पुल को विधायक दल का नेता चुना गया. यह सब कुछ विधानसभा में नहीं बल्कि राजधानी ईटानगर के कम्युनिटी हॉल में आयोजित हुआ क्योंकि सदन में ताला लगा दिया गया था.

हाईकोर्ट ने लगाई थी कार्यवाही पर रोक
विधानसभा की इस विवादित कार्यवाही में किए गए फैसलों पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया. केंद्र सरकार की सिफारिश पर 27 जनवरी 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो 19 फरवरी तक रहा. फरवरी में कांग्रेस के बागी नेता कलिखो पुल के नेतृत्व में अरुणाचल में नई सरकार बनी. इस सरकार को कांग्रेस के 20 बागी विधायकों और बीजेपी के 11 विधायकों का समर्थन हासिल था.

सुप्रीम कोर्ट ने बहाल की कांग्रेस सरकार
13 जुलाई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया और अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की बहाली का आदेश दिया. साथ ही, अदालत ने राज्य में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति कायम रखने को कहा.

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केंद्र को लगा दूसरा झटका
शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार की काफी किरकिरी हुई. केंद्र सरकार को ऐसा ही झटका कुछ दिनों पहले उत्तराखंड में लगा था. जिस वक्त अरुणाचल पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया, उस वक्त राजखोवा छुट्टी पर थे.

खुद इस्तीफा देने को नहीं थे तैयार
दरअसल, राजखोवा 27 जून को ही 'मेडिकल लीव' पर चले गए थे. पहले कोयम्बटूर में उनकी सर्जरी हुई फिर गुवाहाटी लौटे और डॉक्टरों की सलाह पर 'बेड रेस्ट' कर रहे थे. 72 साल के राजखोवा को हाल ही में मेडिकल ग्राउंड्स पर गवर्नर की कुर्सी खाली करने को कहा गया था. उन्हें 30 अगस्त तक राजभवन खाली करने का फरमान था लेकिन वो खुद इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे.

केंद्र से कहा- करो मुझे बर्खास्त
राजखोवा के मुताबिक उनसे 'खराब सेहत' के चलते इस्तीफा देने को कहा गया है जबकि उनका इलाज पूरा हो चुका है और वह काम पर लौट गए हैं. उन्होंने पिछले दिनों एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था, 'मैं खुद इस्तीफा नहीं दूंगा. केंद्र मुझे बर्खास्त करे.'

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