शेयर बाजारों के जरिए कर चोरी के मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने धनाढ्य (एच.एन.आई.) बी पी झुनझुनवाला पर प्रतिबंध लगा दिया. झुनझुनवाला पर एक निष्क्रिय कंपनी में 15.4 करोड़ रुपए के निवेश के माध्यम से शेयर मूल्यों को धोखाधड़ी से बढ़ाने का आरोप है.
कर चोरी का यह कोई पहला मामला नहीं
कर चोरी का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी SEBI ने शेयर बाजार के प्लेटफार्म के जरिए कर चोरी के मामलों में आदेश पारित किए हैं. ताजा आदेश फर्स्ट फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयरों में फर्जी कारोबार के मामले में है. इस कंपनी के निदेशक और अन्य संबंध व्यक्ति पहले की इसी तरह की धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए सेबी की कार्रवाई का सामना कर चुके हैं.
अपनी जांच में सेबी ने पाया कि 115 कारोबारी दिवसों के दौरान फर्स्ट फाइनेंशियल के शेयरों की कीमतों में 5,160 प्रतिशत या 53 गुना का इजाफा हुआ. हालांकि रोजाना औसतन सिर्फ 26 शेयरों का कारोबार हुआ. इसके अलावा 209 और दिवसों के दौरान औसतन कंपनी के 41,252 शेयरों का प्रतिदिन कारोबार हुआ और औसतन शेयर मूल्य में 193 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
नियामक ने पाया कि झुनझुनवाला ने फर्स्ट फाइनेंशियल सर्विसेज की बहुमत यानि 58.08 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. वह कंपनी के मामलों के देख रहे थे. झुनझुनवाला ने करीब 15.40 करोड़ रुपये के शेयरों की तरजीही योजना भी पेश की.
सेबी ने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि जो कंपनी निष्क्रिय थी और पिछले 11 साल से निलंबित थी, झुनझुनवाला की ओर से उसका अधिग्रहण किए जाने के बाद अपनी शेयर पूंजी का करीब 42 गुना राशि जुटाने में कामयाब रही. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव कुमार अग्रवाल ने कहा कि आगे की जांच तक अंतरिम आदेश के जरिए झुनझुनवाला वाला प्रतिभूति बाजार में कारोबार की रोक लगाई जाती है. अग्रवाल ने कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू है लेकिन झुनझुनवाला 21 दिन के भीतर अपनी आपत्ति दे सकते हैं.
इनपुट : भाषा
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