जब लग जाए चोरी करने की बीमारी

भोपाल में एक रईस परिवार की महिला जब भी मॉल जाती थी, शोरूम में नजर बचाकर कुछ न कुछ चुरा लाती थी. काफी दिनों तक ये सिलसिला चलता रहा, लेकिन एक दिन महिला की हरकत सीसीटीवी कैमरे में एक स्टोर के मालिक ने देख ली और उसे पकड़ लिया.

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रोहित गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2015,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST

भोपाल में एक रईस परिवार की महिला जब भी मॉल जाती थी, शोरूम में नजर बचाकर कुछ न कुछ चुरा लाती थी. काफी दिनों तक ये सिलसिला चलता रहा, लेकिन एक दिन महिला की हरकत सीसीटीवी कैमरे में एक स्टोर के मालिक ने देख ली और उसे पकड़ लिया. काफी हंगामा हुआ, महिला के पति को फोन किया गया तो पति भी पत्नी की हरकत जानकर दंग रह गया. पति के पूछने पर महिला ने बताया कि वह जानबूझकर चोरी नहीं करती, बल्कि मॉल या मार्केट जाने पर उस कुछ पसंद आता है तो उसे चुराने का मन करने लगता है.

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महिला को उसके परिजनों ने भोपाल के एक साइकॉलोजिस्ट को दिखाया तो पता चला कि उसे क्लेप्टोमेनिया नाम का डिस्ऑर्डर है, जिससे पीड़ित व्यक्ति बिना कुछ सोचे-समझे चोरी कर लेता है. साइकॉलोजिस्ट बताते हैं कि इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन इससे पीडि़त ज्यादातर लोगों के परिजनों को यह समझने में बहुत वक्त लग जाता है कि वह किसी बीमारी से पीडि़त हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोग अपने परिजनों और दोस्तों के सामने शर्मसार होने से बचने के लिए अपनी सच्चाई को जितना संभव होता है, छिपाते रहते हैं, जिससे यह समस्या कई लोगों में बहुत लंबी खिंच जाती है.

जॉर्ज पंचम की रानी भी थीं क्लेप्टोमैनिक
ब्रिटेन के बादशाह जॉर्ज पंचम की रानी को भी यह रोग था. कहा जाता है कि रानी मैरी कोजब भी किसी दुकान पर कोई अंगूठी या हार पसंद आता था तो वह चुपके से उठाकर उसे अपने बैग में रख लेती थीं. दुकानदार उनके रुतबे की वजह से देखकर भी उसे अनदेशा कर देते थे और रानी के सेवक चुपचाप उस ज्वैलरी की कीमत चुका देते थे.

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आम चोरों से कैसे अलग होते हैं ये लोग
आम चोरों और क्लेप्टोमैनिक लोगों में एक बड़ा फर्क होता है. दरअसल चोर अपनी जरूरत का सामाना ही चुराता है, लेकिन एक क्लेप्टोमैनिक व्यक्ति बहुत बार ऐसा सामना चुराता है, जो उसकी जरूरत का नहीं होता और बहुत बार वह सामान चुराने के बाद उसे फेंक भी देता है क्योंकि वह सामान उसने सिर्फ अपने अंदर उठने वाली उस इच्छा को शांत करने के लिए उठाया था, जो उसे चोरी करने के लिए मजबूर करती है. साइकॉलोजिस्ट बताते हैं कि ऐसे लोगों के मन में चोरी करते हुए पकड़े जाने का डर भी खूब होता है और उन्हें चोरी करने के बाद अपनी हरकत पर शर्मिंदगी भी महसूस होती है. लेकिन कुछ अंतराल के बाद उनके अंदर चोरी की वही इच्छा जाग्रत हो जाती है. होटल से चम्मच और तौलिए जैसा सामान चुराने वाले बहुत लोग किसी लालच में नहीं, बल्कि इस बीमारी से पीड़ित होने के चलते ऐसी हरकतें करते हैं.

किसी भी उम्र के शख्स को हो सकता है ये डिस्ऑर्डर
यह समस्या सभी उम्र के व्यक्तियों में होती है, जिसे साइकॉलोजिस्ट एडिक्टिव डिस्ऑर्डर और ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिस्ऑर्डर की श्रेणी में रखते हैं. रिसर्च बताती है कि दिमाग और केमिकल सेरोटॉनिन का लिंक होने पर इस तरह की दिक्कत आती है. हालांकि अभी तक इसके पीछे की ठोस वजह ढूंढी नहीं जा सकती है. हालांकि इसकी असली वजह के बारे में कुछ भी ठोस तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन रिसर्चर इसका कारण दिमाग और एक केमिकल सेरोटोनिन के लिंक को मानते हैं.

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कैसे उबरे इस समस्या से
अगर आप क्लेप्टोमैनिक है तो सबसे पहले अपनी समस्या के बारे में अपने परिजनों को बताएं और परिजन मजाक बनाने की बजाय पीडि़त व्यक्ति की समस्या को गंभीरता से लें. साइकॉलोजिस्टों के मुताबिक, जो शख्स भी इस समस्या से पीड़ित है, उससे सबसे पहले तो अकेलेपन से बचना चाहिए और अपने परिजनों की मदद से उन हालात का पता लगाना चाहिए, जब उसके अंदर कोई सामना चुराने की तीव्र इच्छा जागृत होती है. उन हालातों को बदलने की कोशिश की जाए और डिप्रेशन से भी बचा जाए. परिजनों को चाहिए कि वह पीडि़त व्यक्ति को चोरी के बाद पकड़े जाने के परिणामों और सजा के बारे में बार-बार बताएं, ताकि उसके अंदर चोरी को लेकर डर पैदा हो. पीडि़त के अंदर जब भी चोरी करने की इच्छा तीव्र हो, वह अपने परिजनों को बताए और परिजन उसका ध्यान बांटने के लिए उसे किसी और एक्टिविटी में लगाएं.

हॉलीवुड एक्ट्रेस ने स्वीकारा शॉपलिफ्टिंग का आरोप
बताया जाता है कि हॉलीवुड एक्ट्रेस विनोना राइडर भी क्लेप्टोमेनिया से ग्रस्त थीं और 2001 में वो कैलिफोर्निया के एक लग्जरी स्टोर से लगभग साढ़े पाच हजार डॉलर के कपड़े चुराते हुए पकड़ी गई थी. उन्हें स्टोर से चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था. विनोना ने अपने जुर्म को कबूला था और दो साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि शॉपलिफ्टिंग के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद उनके जीवन में कुछ बहुत सकारात्मक बदलाव हुए और वह इस घटना से अपने बारे में सोचने को मजबूर हुई.

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अगर विनोना राइडर अपने इस डिस्ऑर्डर से उबर सकती हैं तो कोई भी इस बीमारी को पीछे छोड़ सकता है. सिर्फ जरूरत है, सही इलाज, मजबूत इच्छा शक्ति और दोस्तों तथा परिजनों के साथ की.

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