राजस्थान के सियासी रण पर राहुल का संदेश, पायलट के लिए खुले हैं कांग्रेस के दरवाजे

राजस्थान में मचे सियासी बवाल के बीच अब राहुल गांधी ने सचिन पायलट के लिए संदेश भेजा है. राहुल की ओर से संदेश दिया गया है कि सचिन पायलट पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं.

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सचिन पायलट (फाइल फोटो- PTI) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सचिन पायलट (फाइल फोटो- PTI)

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

  • राहुल गांधी ने कहा- सचिन पायलट पार्टी के सदस्य अभी भी हैं
  • सीएम गहलोत को कोई सार्वजनिक बयान न देने को कहा गया

राजस्थान में मचे सियासी बवाल के बीच अब राहुल गांधी ने सचिन पायलट के लिए संदेश भेजा है. राहुल की ओर से संदेश दिया गया है कि सचिन पायलट पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं. साथ ही सीएम अशोक गहलोत को सार्वजिनक बयान नहीं देने के लिए भी कहा गया है.

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सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान भी सचिन पायलट पर निजी हमले से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज है. आजतक ने पहले ही सूचना दी थी कि पार्टी नेतृत्व ने सचिन पायलट को भेजे गए नोटिस के लिए अशोक गहलोत की खिंचाई की गई थी.

बता दें कि गहलोत ने सीधे सचिन पायलट पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार गिराने का आरोप लगाया है. गहलोत ने यहां तक कह दिया कि उनके पास इसके सबूत हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अबतक सचिन पायलट की तरफ से ये कहा जा रहा है कि उन्होंने पांच साल मेहनत की थी और सीएम पद पर कब्जा अशोक गहलोत ने जमा लिया.

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राहुल गांधी के संदेश के बाद साफ हो गया है कि अभी सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद नहीं है. कांग्रेस में अभी सुलह-समझौते की गुंजाइश बची हुई है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा पायलट पर गंभीर आरोप लगाने के आधे घंटे के बाद ही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पायलट 'वापस घर' आएं और पार्टी फोरम पर खुलकर बात करें.

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पायलट के लिए कांग्रेस में अभी दरवाजे बंद नहीं, सुलह-समझौते की आखिरी गुंजाइश

रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा कि पायलट होनहार नेता हैं और आलाकमान ने उनके प्रति उदारता दिखाई है. हालांकि राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश हुई है, जो जनमत का अपमान है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सचिन पायलट को दो बार विधायक दल की बैठक में बुलाया गया, लेकिन वो नहीं आए, इसलिए हमें भारी मन से सचिन पायलट पर फैसला लेना पड़ा है.

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