EPFO की शिकायत पर PCI की अखबार को फटकार, सही तथ्य छापने का आदेश

इस मामले को लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत के साथ जांच की मांग की थी.

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ईपीएफओ की शिकायत के बाद अखबार पर शिकंजा ईपीएफओ की शिकायत के बाद अखबार पर शिकंजा

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दतात्रेय के साथ काम कर रहे श्याम वीर टांक पर कथित भ्रष्टाचार मामले को लेकर गलत खबर छापने पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) की निंदा करते हुए माफी के तौर पर इस खबर से जुड़े सही फैक्ट के साथ फिर से खबर प्रकाशित करने का आदेश दिया है.

इस मामले को लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत के साथ जांच की मांग की थी. ईपीएफओ का कहना था कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने ओहदे का दुरुपयोग करते हुए गलत खबर को प्रकाशित किया, ईपीएफओ की मानें तो अखबार ने खबर को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और फिर शिकायत के बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया. अब ईपीएफओ का कहना है कि इस मामले को लेकर काउंसिल ने जांच की और आरोपों को सही पाया. जिसके बाद अखबार को अपनी गलत को स्वीकार करते हुए सही को प्रकाशित करने का आदेश दिया गया है. ईपीएफओ ने सही जांच और अखबार को सख्त संदेश देने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का धन्यवाद भी किया.

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दरअसल पिछले साल अगस्त में टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) ने केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दतात्रेय के साथ काम कर रहे श्याम वीर टांक पर कथित भ्रष्टाचार मामले को लेकर एक खबर प्रकाशित किया था, जिसमें श्याम वीर टांक पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में घूस देने का जिक्र किया गया था. हालांकि उसी वक्त खबर प्रकाशित होते ही ईपीएफओ ने टाइम्स ऑफ इंडिया को खत लिखकर आरोपों का खंडन किया था. खत में श्याम वीर टांक पर लगे आरोपों को पूरी तरीके से गलत बताया गया था. ये खत हरियाणा के रोहतक EPFO कार्यालय में क्षेत्रीय पीएफ कमिश्नर पद पर तैनात एक अधि‍कारी ने लिखा था.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित खबर के तथ्य
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबरों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री बंडारू दतात्रेय के साथ काम रहे श्याम वीर टांक पर सीबीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी) एवं ईपीएफओ के अधि‍कारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में पद से हटा दिया गया. श्याम वीर पर फाइलों में फेरबदल के भी आरोप थे. जानकारी के अनुसार रीजनल प्रोविडेंट फंड्स कमिश्नर रैंक के अधिकारी टांक ने RPFC-II कैडर के अधिकारियों के वेतनमान में बढ़ोतरी के लिए सीबीटी और ईपीएफओ के‍ अध‍िकारियों को भारी रिश्वत दी थी. इस खबर से जुड़े सभी पहलुओं को सबसे पहले (aajtak.in) ने प्रकाशित किया था.

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EPFO ने अखबार को लिखा था खत
'टाइम्स ऑफ इंडिया' में खबर को खंडन करते हुए ईपीएफओ ने अखबार को खत लिखा था. ईपीएफओ का कहना था कि अखबार को सही फैक्ट को सामने नहीं लाया. ईपीएफओ ने कहा था कि टांक पर सीबीटी एवं ईपीएफओ के अध‍िकारियों को रिश्वत देने का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है. जिसके बाद ईपीएफओ ने इस मामले को लेकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का दरवाजा खटखटाया.

अखबार ने दी थी सफाई
खबर को लेकर सवाल उठने के बाद अखबार ने सफाई में अपना पक्ष रखा था. लेकिन EPFO के अधिकारी सफाई से संतुष्ठ नहीं थे. अखबार ने श्याम वीर से बातचीत का हवाला देते हुए सफाई में लिखा था कि श्याम वीर पर लगे आरोप गलत हैं, उन्होंने किसी भी तरह से घूस देने से इनकार कर दिया है. हालांकि अखबार ने सीधे तौर पर अपनी गलती नहीं मानी.

EPFO का तर्क
ईपीएफओ की ओर से 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को लिखे खत में कहा गया है कि अब ईपीएफओ की ओर से सभी पीएफ का भुगतान ऑनलाइन किया जाता है तो फिर इस तरह की खबर का कोई आधार ही नहीं है.

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