एक समय में देश का सबसे बड़ा अनाथालय आज खुद अनाथ हो गया. आलम ये है कि अनाथालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कोई इसके आंसू पोंछने वाला नहीं है. दरभंगा के जिस श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम से ना जाने कितने अनाथ बच्चे अच्छी परवरिश के कारण अपने पैरों पर खड़े हो गए. लेकिन वही श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम आज गंदी राजनीति का शिकार हो गया है.
बिहार मानवाधिकार आयोग के आदेश के बावजूद इस अनाथालय में अनाथ बच्चों को न रखके निजी अस्पताल चलाया जा रहा है. दरभंगा के जिलाधिकारी भी इस मामले में चुप बैठे हैं. आयोग ने दरभंगा के जिलाधिकारी को स्पष्ट आदेश दिया है कि अविलंब अनाथालय शुरू करवाया जाए. लेकिन तीन साल बीत जाने के बावजूद अभी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
दरभंगा महाराज ने अपनी पत्नी की याद में बनवाया था अनाथालय
शाहजहां ने अपनी पत्नी की याद में ताजमहल बनवाया लेकिन दरभंगा महाराजा स्व. कामेश्वर सिंह ने अपनी पत्नी की याद में 1940 में एक अनाथालय की नींव रखी. उस अनाथालय का नाम दिया गया श्री कामेश्वरी
प्रिया पुअर होम. दरभंगा महाराज ने अपनी पत्नी श्री कामेश्वरी प्रिया के असामायिक निधन के बाद अनाथालय बनाने का फैसला लिया था. दो साल बाद 1942 में इस अनाथालय की विधिवत शुरुआत हुई. इस अनाथालय
को दरभंगा के दिल में 5 एकड़ जमीन पर बड़े ही सुसज्जित ढंग से बनाया गया. दरभंगा महाराज की दिली ख्वाहिश थी कि जिन बच्चों की देख-रेख करने वाला कोई नहीं उसको इस अनाथालय में अच्छी परवरिश मिले.
वह आगे चलकर अपने पैरों पर खड़ा हो सके. दरभंगा महाराज के जीवन काल में श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम से सैंकड़ों बच्चों ने परवरिश पाई और जीवन में एक नया मुकाम पाया.
अनाथालय खुद ही अनाथ हो गया
लेकिन श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम की उल्टी गिनती साल 1962 से शुरु हो गई. दरभंगा महाराज सर कामेश्वर सिंह के निधन के बाद से इस अनाथालय पर ऐसे लोगों का कब्जा हो गया जिसने दरभंगा महाराज के
अरमानों पर पानी फेर दिया. श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम स्वार्थी लोगों का शिकार हो गया. परिणाम ये हुआ कि 35 वर्षों से यह अनाथालय खुद ही अनाथ हो गया. अनाथों के पोषण हेतु दरभंगा रेलवे स्टेशन के पास
बनीं 80 दुकानों से जो किराया मिल रहा है उससे अनाथों की सेवा नहीं बल्कि अनाथों को पुनर्वास करने हेतु किए जा रहे प्रयासों को विफल करने में किया जा रहा है.
श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम की सच्चाई ये है कि 1978 के बाद से इसमें एक भी अनाथ को प्रबंधन द्वारा नहीं रखा गया. अनाथालय की दुर्दशा को देख दरभंगा महाराज स्व. सर कामेश्वर सिंह की आत्मा भी कराह रही होगी लेकिन प्रबंधन के विभिन्न पदों पर काबिज सदस्यों के दिल नहीं पसीज रहे. इसकी दुर्दशा दरभंगा के नागरिकों और समाजसेवियों के लिए असहनीय पीड़ा से कम नहीं.
श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम को बदहाली से उबारने की दर्खास्त
श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम के बदहाल हालत में सुधार लाने के उद्देश्य से मानव सेवा समिति नाम की संस्था आगे आई. मानव सेवा समिति के संस्थापक डॉ. जटाशंकर झा और सेवानिवृत आईएएस अधिकारी आरके
राय ने बिहार मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया. बिहार मानवाधिकार आयोग से मानव सेवा समिति ने श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम को बदहाली से उबारने की दर्खास्त की. इस आवेदन को बिहार मानवाधिकार
आयोग ने गंभीरता से लिया. बिहार मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसएन झा ने 17 फरवरी 2013 को श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम का निरीक्षण किया. ऐतिहासिक जन सुनवाई भी की और एक ऐतिहासिक
फैसला भी सुनाया. लेकिन श्री कामेश्वरी प्रिया पुअर होम प्रबंध समिति, मानवाधिकार आयोग के इस फैसले का जमकर उल्लंघन कर रहे हैं.
सुजीत झा