देवीलाल की विरासत पर चौटाला परिवार में जंग, दादा से टक्कर लेंगे पोते?

हरियाणा में चौधरी देवीलाल की विरासत को लेकर चौटाला परिवार में तलवारें खिंच गई हैं. एक तरफ ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय सिंह हैं तो दूसरी तरफ चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके दोनों बेटे. दादा पोते को तरजीह देने के बजाए छोटे बेटे के संग खड़ा है. ऐसे में इनेलो का टूटना तय है.

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ओम प्रकाश चौटाला और दुष्यंत चौटाला (फोटो-twitter) ओम प्रकाश चौटाला और दुष्यंत चौटाला (फोटो-twitter)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

हरियाणा के 'चौटाला परिवार' में चौधरी देवीलाल की विरासत की जंग तेज हो गई है. दादा का प्यार पोते की बजाए छोटे बेटे की तरफ झुक गया है. इसी का नतीजा है कि इनेलो अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है. देवीलाल कुनबे की यह लड़ाई यहीं नहीं रुकती दिख रही बल्कि इनेलो में टूट की वजह भी बनती जा रही है.

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2019 में लोकसभा चुनाव और फिर हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनावों से पहले चौटाला परिवार के भीतर वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के दोनों पुत्र एक दूसरे के मुकाबले में खड़े हैं.

छोटे बेटे के साथ ओमप्रकाश

एक तरफ अजय चौटाला और उनके दोनों बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला हैं तो दूसरी ओर अभय चौटाला हैं. ऐसे में ओम प्रकाश चौटाला बड़े बेटे अजय के बजाए छोटे बेटे अभय के साथ खड़े दिख रहे हैं.

चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को इनेलो से निकालकर राजनीतिक लकीर खींच दिया है. इनेलो आज उसी दोराहे पर खड़ी है, जिस पर वर्ष 1987 में चौधरी देवीलाल खड़े थे. देवीलाल ने सख्त निर्णय लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को अपना राजनीतिक वारिस घोषित किया था. अब चाचा भतीजे के बीच हुए विवाद के बाद चौटाला ने अपने छोटे बेटे अभय को आगे कर दिया है.

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विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ी हरियाणा की जनता को स्पष्ट करना भी जरूरी था कि राजनीतिक वारिस कौन होगा? दादा के सख्त रवैए के बाद सांसद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला के राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने की रणनीति पर मंथन शुरू हो गया है.

खत्म हो रही है OP की पैरोल

ओम प्रकाश चौटाला के पैरोल की मियाद इसी हफ्ते खत्म हो रही है. ऐसे में ओम प्रकाश के जेल वापस जाने के बाद दुष्यंत-दिग्विजय की जोड़ी अपना काम करना शुरू करेगी. माना जा रहा है कि अजय चौटाला पैरोल पर बाहर आ सकते हैं. इसके बाद बाप-बेटे मिलकर नई पार्टी का ऐलान भी कर सकते हैं.

दरअसल 7 अक्टूबर को सोनीपत के गोहाना में इनेलो की रैली में यह झगड़ा सतह पर दिखाई दिया. पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के जन्मदिन के दिन यह रैली थी, जिसमें पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला के छोटे पुत्र अभय चौटाला की हूटिंग की गई थी.

हूटिंग करने वाले कोई और नहीं बल्कि ओमप्रकाश चौटाला के बड़े पुत्र अजय चौटाला के बेटों के समर्थक थे. ये लोग मांग कर रहे थे कि हिसार से सासंद दुष्यंत चौटाला को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जाए, जबकि अभय चौटाला हरियाणा विधानसभा में इनेलो के नेता हैं.

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दादा के खिलाफ पोता

ओमप्रकाश चौटाला की गैरमौजूदगी में पार्टी का काम-काज वही देखते हैं. इससे अजय चौटाला के दोनों बेटे नाराज हैं. अब दादा ने दोनों पोता के खिलाफ पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

गोहना की रैली के बाद इनसो यानी इनेलो की छात्र इकाई को भी भंग कर दिया गया है. इसके अलावा यूथ विंग को भी भंग कर दिया गया है. इनसो के कर्ता-धर्ता दिग्विजय चौटाला हैं. बताया जा रहा है इस हूटिंग के पीछे इनके समर्थकों का हाथ है. हालांकि दिग्विजय ने साफ तौर पर कह दिया है कि वो अपने दादा के इस फैसले को नहीं मानते.

दरअसल, इनसो का गठन अजय चौटाला ने किया था. ऐसे में उनके समर्थकों का कहना कि इसे वही भंग कर सकते हैं. इतना ही नहीं वे बड़े बेटे के पुत्र होने के नाते विरासत पर भी उनका अधिकार मानते हैं. अब दादा के फैसले को पोते ने चुनौती देने के लिए ठान लिया है.

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