पंजाब में इस साल 23 सितंबर से 27 अक्टूबर के बीच धान की पराली जलाने के 12,027 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं. ये आकड़ें पिछले साल के पराली जलाने की घटनाओं के मुकाबले 2,427 ज्यादा है. हालांकि हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है. इस साल 3,705 पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए, जो पिछले साल भी इस अवधि में 3,705 दर्ज हुए थे.
जैसे-जैसे नई फसल बोने का समय नजदीक आता जा रहा है, किसान खेतों को तैयार करने की जल्दी में पराली को अंधाधुंध तरीके से जलाने लगे हैं. पंजाब सरकार ने राज्य के सभी जिलों में एक-एक आईएएस अधिकारी को नोडल अफसर के रूप में तैनात किया है जिन्हें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के काम की देखरेख करनी है. इसके अलावा प्रदेश में किसानों को जागरूक करने का जिम्मा तंदरुस्त पंजाब मिशन के तहत भी चलाया जा रहा है.
धान की कटाई के शुरुआती दौर में ये महसूस किया जा रहा था कि किसानों ने पराली जलाना छोड़ दिया है लेकिन जैसे-जैसे नई फसल की बुआई नजदीक आ रही है, खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आ गई है. पंजाब सरकार का दावा है कि प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. सरकार का कहना है कि राज्य में किसानों के जरिए धान की पराली जलाने के मामलों में लगातार कमी आ रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
वर्ष 2016 में 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक जहां पराली को आग लगाने के 3715 मामले सामने आए थे, वो इस साल इसी अवधि में केवल 700 रह गए हैं. पंजाब सरकार का कहना है कि ओवरआल पंजाब के 60 फीसदी किसानों ने अब पराली जलाना छोड़ दिया है और हैपी सीडर जैसी नवीन तकनीक के जरिए खेतों में पराली का बिना जलाए समाधान किया जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर गैरसरकारी आंकड़े दावा कर रहे हैं कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार ने कई सख्त कदम भी उठाए हैं और कई किसानों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए हैं. बीते 24 घंटों के दौरान सिर्फ मोगा में ही 14 किसानों पर जुर्माना लगाया गया. बताया जा रहा है जुर्माने के बावजूद भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है.
सतेंदर चौहान