यूपी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद योगी सरकार ने तथाकथित उपद्रवियों के घरों पर नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. लेकिन जिनके घर नोटिस पहुंचे हैं वह अपने बेटों को निर्दोष बता रहे हैं. लखनऊ प्रशासन ने नागरिकता संशोधन बिल पर फैली हिंसा के बाद पहला नोटिस समद अनवर को भेजा गया है. समद अनवर के पिता मुजीब अनवर सरकारी कर्मचारी हैं और आईआईएम में ड्राइवर की नौकरी करते हैं.
इलाके के लोग भी मानते हैं कि समद निर्दोष है
आजतक की टीम इस नोटिस के पते को ढूंढ़ती हुई मुजीब के घर पहुंची तो परिवार परेशान और हलकान दिखाई दिया. समद अनवर की उम्र करीब 20 साल है, समद दमे की बीमारी से पीड़ित है और लगातार उसका इलाज चलता है. समद अनवर का परिवार लखनऊ के खदरा इलाके में रहता है और इलाके के लोग भी मानते हैं कि समद अनवर निर्दोष है.
1 हफ्ते में देना है जवाब
आजतक की टीम ने समद और उसके पिता मुजीब अनवर से खास बातचीत की जिनका नाम लखनऊ प्रशासन की तरफ से भेजे गए नोटिस में ऊपर लिखा है. फिलहाल इस नोटिस के मुताबिक उन्हें 1 हफ्ते में यह बताना है कि वह हिंसा में शामिल थे तो उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए.
तबीयत बिगड़ी तो पुलिस ने घरवालों को किया फोन
लखनऊ के खदरा इलाके की तंग गलियों के बीच मुजीब अनवर का परिवार रहता है. जिसका बेटा समद अनवर 19 दिसंबर को खदरा इलाके में प्रदर्शन के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़ गया था. पुलिस उसे उठाकर थाने ले आई लेकिन जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो पहले उसे भाउराव देवरस अस्पताल ले गई और फिर देर शाम तबीयत और बिगड़ी तो दूसरे बड़े अस्पताल में भेज दिया.
समद की हालत अस्पताल में बिगड़ता देख पुलिस ने उसके परिवार को फोन किया और मुचलके पर समद को छोड़ दिया. लेकिन अब प्रशासन ने समद अनवर के घर नोटिस भेजा है. आजतक ने समद अनवर और पिता मुजीब अनवर से बात की तो पता चला परिवार पहले से ही समद की बीमारी से परेशान है.
समद ने सुनाई अपनी आपबीती
समद अनवर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए आजतक की टीम से कहा, "मैं अपने नाना को दफनाने की जगह देखने कब्रिस्तान जा रहा था. लेकिन रास्ते में पुलिसवालों ने मुझे पकड़ लिया. मैं बीमार रहता हूं. कभी हिंसा में शामिल नहीं रहा. लेकिन पुलिस ने मेरे साथ जुल्म किया है".
समद के पिता मुजीब अनवर ने कहा कि जिस वक्त 19 दिसंबर को खदरा इलाके में प्रदर्शन चल रहा था तब समद अपने नाना को दफन करने के लिए कब्रगाह की तरफ जा रहा था लेकिन रास्ते में जब पुलिस ने दौड़ाया तो वह गिर पड़ा और पुलिस ने उसे भीड़ का हिस्सा समझकर पकड़ लिया.
पिता बोले- दमे का मरीज था इसलिए भाग नहीं पाया
पिता मुजीब अनवर ने बातचीत के दौरान कहा कि बीमार बेटा हिंसक प्रदर्शनों में कैसे शामिल हो सकता है. वह तो अपने नाना के अंतिम संस्कारों के लिए कब्रगाह को निकला था. दमे का मरीज था इसलिए भाग नहीं पाया और पुलिस के हत्थे चढ़ गया. मुजीब अनवर के मुताबिक वह खुद सरकारी कर्मचारी हैं और अपने बेटों को ऐसे संस्कार दिए हैं कि वह कभी इस तरह की हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं रहा और न ही इसका कभी कोई ऐसा रिकॉर्ड रहा है.
पिता ने कहा, बेटे के खिलाफ कोई सबूत नहीं
मुजीब अनवर ने अपना दुख साझा करते हुए आजतक की टीम से आगे कहा, "मैं खुद सरकारी नौकरी करता हूं. मैं अपने बच्चों को कैसे शामिल होने के लिए भेज सकता हूं. मेरा बेटा निर्दोष है. वह बीमारी की वजह से भीड़ में गिर पड़ा था और इसी वजह से पुलिस ने उसे पकड़कर थाने भेज दिया था. इसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. ना तो कोई फोटो है और ना कोई वीडियो है. ना कोई सीसीटीवी है. सिर्फ पुलिस ने पकड़ा था इसलिए उसे नोटिस भेजा है".
कुमार अभिषेक