पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने रविवार को टोक्यो में पैरालंपिक खेलों की महिला एकल क्लास 4 स्पर्धा में ऐतिहासिक रजत पदक जीता. गुजरात के मेहसाणा जिले के उनके पैत्रिक गांव सुंधिया में परिवार के सदस्यों और मित्रों ने पारंपरिक ‘गरबा’ नृत्य, पटाखे जलाकर और एक-दूसरे पर गुलाल लगाकर जश्न मनाया.
भाविना को फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की झाउ यिंग के खिलाफ 0-3 से शिकस्त का सामना करना पड़ा, लेकिन वह पैरालंपिक खेलों में दीपा मलिक के बाद पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं.
34 साल की भाविना को पैरालंपिक की दो बार की स्वर्ण पदक विजेता झाउ के खिलाफ 19 मिनट में 7-11 5-11 6-11 से हार का सामना करना पड़ा.
भाविना के पिता हंसमुख पटेल ने उसकी जीत के बाद कहा, ‘वह भले ही दिव्यांग हो, लेकिन हमने उसे कभी इस तरह नहीं देखा. हमारे लिए वह ‘दिव्य’ है. हमें बेहद खुशी है कि उसने देश के लिए रजत पदक जीता.’
हंसमुख गांव में किराने की छोटी दुकान चलाते हैं. भाविना के पैत्रिक गांव में टोक्यो से उनके मैच का सीधा प्रसारण देखने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी. सुबह से ही लोग मैच देखने के लिए एकत्रित हो गए थे.
भाविना को भले ही अपने पहले पैरालंपिक के फाइनल के हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने जमकर जश्न मनाया. मुकाबला खत्म होने के साथ ही लोगों ने नाचना, पटाखे जलाना और एक-दूसरे पर गुलाल फेंकना शुरू कर दिया.
उनके एक रिश्तेदार ने कहा, ‘जैसा कि आप देख सकते हैं भाविना के रजत पदक जीतने के बाद से हम सुबह से ही गरबा खेल रहे हैं. हम उसके भव्य स्वागत की पूरी तैयारी कर रहे हैं.’
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