... जब भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता के स्वागत में निकाली गईं 100 बैलगाड़ियां

खाशाबा दादासाहेब जाधव (KD Jadhav) व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे. जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम लहराया था.

Advertisement
KD Jadhav KD Jadhav

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST
  • केडी जाधव व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे
  • पहलवान जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था

खाशाबा दादासाहेब जाधव (KD Jadhav) व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे. जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम लहराया था. इससे पहले तक भारत के सभी पदक फील्ड हॉकी में आए थे, न कि व्यक्तिगत स्पर्धा में. वह एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता रहे, जिन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया. केडी जाधव को छोटी हाइट के चलते ‘पॉकेट डायनेमो’ के नाम से भी जाना जाता था.

Advertisement

केडी जाधव का जन्म 1926 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. उनके पिता दादासाहेब खुद भी पहलवान थे. छोटे कद के जाधव बेहद कमजोर दिखाई देते थे. इसी वजह से राजाराम कॉलेज के स्पोर्ट्स टीचर ने उन्हें वार्षिक खेलों की टीम में शामिल करने से इनकार कर दिया था. बाद में कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें प्रतियोगिता में भाग लेने की इजाजत दे दी थी.

घर गिरवी रखने को हुए मजबूर

1948 के लंदन ओलंपिक में केडी जाधव छठे स्थान पर रहे. लेकिन उन्होंने अपने खेल से काफी सुर्खियां बटोरीं. लंदन से वापस लौटते ही जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक खेलों की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन जब हेलसिंकी जाने का समय आया, तो उनके पास पैसे ही नहीं थे. राजाराम कॉलेज के उनके पूर्व प्रिंसिपल ने 7000 रुपये की मदद दी. बाद में राज्य सरकार ने भी 4000 रुपये दे दिए, लेकिन यह रकम काफी नहीं थी. फिर जाधव ने अपना घर गिरवी रखकर और कई लोगों से उधार लेकर हेलसिंकी का सफर तय किया.

Advertisement

हेलसिंकी ओलंपिक में किया कमाल

जाधव बैंटमवेट फ्रीस्टाइल वर्ग में कनाडा, मैक्सिको और जर्मनी के पहलवानों को पछाड़कर फाइनल राउंड में पहुंचे थे. लेकिन वह सोवियत संघ के पहलवान राशिद मम्मादबेयोव से हार गए. अब उनके पास मुकाबलों के बीच में आराम करने का समय नहीं था. जाधव थक चुके थे. इसके बाद ही उन्होंने जापान के शोहाची इशी (स्वर्ण पदक विजेता) का सामना किया, जिनके खिलाफ वह हार गए. हालांकि भारत का यह दिग्गज कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहा. ऐसा करके केडी जाधव स्वतंत्र भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता बने.

100 बैलगाड़ियों से स्वागत किया गया

केडी जाधव जब कांस्य पदक लेकर लौटे तो उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ी. 100 बैलगाड़ियों से उनका स्वागत किया गया. स्टेशन से अपने घर तक पहुंचने में उन्हें 7 घंटे लगे, जो दूरी सिर्फ 15 मिनट में पूरी हो सकती थी.

1955 में उन्हें मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी गई. पुलिस में बेहतरीन परफॉर्मेंस की बदौलत जाधव रिटायरमेंट से 6 महीने पहले असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बनाए गए थे.

सड़क दुघर्टना में गंभीर रूप से घायल इस महान पहलवान को बचाया नहीं जा सका. 58 साल के केडी जाधव ने 1984 में दुनिया को अलविदा कह दिया. देश के लिए पहला पदक जीतने वाले जाधव को भारत सरकार जीते जी उचित सम्मान नहीं दे सकी. ओलंपिक पदक जीतने के 50 साल बाद 2001 में उन्हें मरणोपरांत अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2010 में दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुश्ती स्टेडियम का नामकरण केडी जाधव के नाम पर हुआ.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement