विजय हजारे ट्रॉफी के सत्र 2020-21 का खिताब मुंबई ने अपने नाम किया. फाइनल ने मुंबई ने उत्तर प्रदेश को छह विकेट से हराकर चौथी बार यह खिताब जीता. 50 ओवरों के इस टूर्नामेंट में सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टीम का दरवाजा खटखटाया है. कर्नाटक के उदीयमान बल्लेबाज देवदत्त पडिक्कल ने भी अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा है. इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज 23 मार्च से शुरू हो रही है. इस सीरीज के लिए टीम इंडिया की घोषणा की जानी है.
ओपनर पृथ्वी शॉ को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन 21 साल के पृथ्वी ने अपने बल्ले से बेहतरीन प्रदर्शन कर इसका जवाब दिया. पृथ्वी ने मुंबई को चैम्पियन बनाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने टूर्नामेंट में 165.40 की बेहतरीन औसत से 827 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल रहे.
पृथ्वी शॉ विजय हजारे ट्रॉफी में 800 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी भी बने. उन्होंने क्वार्टर फाइनल में सौराष्ट्र के खिलाफ नाबाद 185, सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ 165 और फाइनल में उत्तर प्रदेश के खिलाफ 73 रनों की पारी खेली.
पृथ्वी ने लीग मैच में पुडुचेरी के खिलाफ नाबाद 227 रन बनाए थे. लिस्ट-ए मैचों में भारतीय कप्तान का यह सबसे बड़ा स्कोर है. इससे पहले वीरेंद्र सहवाग ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 219 रनों की कप्तानी पारी खेली थी. साथ ही पृथ्वी ने विजय हजारे ट्रॉफी का सबसे बड़ा स्कोर बनाया. इससे पहले यह केरल के संजू सैमसन के नाम था. 2019 में गोवा के खिलाफ मैच में सैमसन ने 212 रन बनाए थे.
उधर, कर्नाटक के ओपनर देवदत्त पडिक्कल ने पूरे टूर्नामेंट में बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया. 20 साल के पडिक्कल ने 7 मैचों में 147.4 की औसत से 737 रन बनाए, जिसमें चार शतक और तीन अर्धशतक शामिल रहे. हालांकि उनकी टीम कर्नाटक को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा. वह पृथ्वी के बाद सबसे रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे.
पडिक्कल ने अपनी सातों इनिंग्स में फिफ्टी प्लस स्कोर बनाया. उनका टूर्नामेंट में न्यूनतम स्कोर 52 रन रहा. 20 साल के पडिक्कल ने विजय हजारे ट्रॉफी में लगातार चार मैचों में शतक लगाया, जो लिस्ट-ए क्रिकेट में संयुक्त रूप से वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इस मामले में पडिक्कल ने कुमार संगकारा (श्रीलंका) और एल्विरो पीटरसन (दक्षिण अफ्रीका) की बराबरी की.
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