Farokh Engineer: ओल्ड ट्रैफर्ड में सजेगा इस भारतीय क्रिकेटर का नाम, लंकाशायर देगा अनोखा सम्मान

भारत के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर और वेस्टइंडीज के दिग्गज क्लाइव लॉयड के नाम पर इंग्लैंड के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान में लंकाशायर काउंटी क्लब द्वारा स्टैंड का नाम रखा जाएगा. यह सम्मान 23 जुलाई से शुरू हो रहे भारत-इंग्लैंड चौथे टेस्ट के पहले दिन दिया जा सकता है. इंजीनियर ने लंकाशायर के लिए 1968 से 1976 तक खेलते हुए अहम भूमिका निभाई, जबकि लॉयड ने दो दशकों तक क्लब की सफलता में योगदान दिया. यह दोनों खिलाड़ियों की ऐतिहासिक उपलब्धियों को सम्मानित करने का एक प्रयास है. समारोह में भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर भी शामिल हो सकते हैं.

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फारुख इंजीनियर को लंकाशायर देने जा रहा बड़ा सम्मान. (File, Getty) फारुख इंजीनियर को लंकाशायर देने जा रहा बड़ा सम्मान. (File, Getty)

aajtak.in

  • मैनचेस्टर ,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST

भारत के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर और वेस्टइंडीज के दिग्गज क्लाइव लॉयड के नाम पर उनके पूर्व काउंटी क्लब लंकाशायर द्वारा प्रतिष्ठित ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में स्टैंड का नाम रखा जाएगा. यह सम्मान भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच के दौरान दिया जाएगा.

87 साल के इंजीनियर ने लगभग एक दशक तक लंकाशायर के लिए खेला, जबकि वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान 80 साल के क्लाइव लॉयड दो दशकों तक क्लब से जुड़े रहे और क्लब के इतिहास में अमिट योगदान दिया.

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सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि स्टैंड नामकरण समारोह 23 जुलाई से शुरू होने वाले टेस्ट मैच के पहले दिन आयोजित किया जा सकता है. 5 मैचों की सीरीज में इंग्लैंड फिलहाल 2-1 से आगे है, जिसमें अब तक के तीनों मुकाबले बेहद रोमांचक रहे हैं.

1968 से 1976 के बीच खेले गए 175 मैचों में फारुख इंजीनियर ने लंकाशायर के लिए 5,942 रन बनाए, 429 कैच पकड़े और 35 स्टंपिंग की. विकेटकीपर बल्लेबाज इंजीनियर ने भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले और 31.08 की औसत से 2611 रन बनाए. उन्होंने 66 कैच लपके और 16 स्टंपिंग की.

दो बार वर्ल्ड कप (1975, 1979) जीतने वाले वेस्टइंडीज के कप्तान लॉयड ने 1970 के दशक की शुरुआत में विदेशी खिलाड़ी के रूप में क्लब में आकर उसकी हालत बदल दी.

6 सितंबर 1975: लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर जिलेट कप फाइनल में मिडलसेक्स को हराने के बाद ट्रॉफी के साथ जश्न मनाते लंकाशायर के कप्तान डेविड लॉयड, फारुख इंजीनियर (सबसे बाएं) और क्लाइव लॉयड. (File, Getty)

मुंबई में जन्मे इंजीनियर ने जब लंकाशायर के लिए डेब्यू किया, तब क्लब ने 15 से अधिक वर्षों तक कोई बड़ा खिताब नहीं जीता था, लेकिन उन्होंने 1970 से 1975 के बीच क्लब को चार बार जिलेट कप जिताने में मदद की.

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इंजीनियर और लॉयड दोनों इस हफ्ते के अंत में लंकाशायर के इतिहास में अमर हो जाएंगे. दिलचस्प बात यह है कि इंजीनियर के नाम पर ब्रेबॉर्न स्टेडियम में कोई स्टैंड नहीं है, जहां उन्होंने अपना ज्यादातर क्रिकेट खेला था.

इंजीनियर ने कुछ साल पहले क्लब की वेबसाइट पर बताया था, 'वो अविश्वसनीय समय था, और ओल्ड ट्रैफर्ड एक शानदार जगह थी. लोग हमें खेलते देखने के लिए मीलों दूर से आते थे.' 

उन्होंने याद किया, 'ओल्ड ट्रैफर्ड के ड्रेसिंग रूम से हम वॉरिक रोड रेलवे स्टेशन देख सकते थे. मैच से पहले भरी हुई ट्रेनें आती थीं और लोग उतरते थे. उनकी बातें, खुशी और हंसी की आवाजें साफ सुनाई देती थीं.'

इंजीनियर ने अपने सुनहरे दिनों में फैन्स से मिले पत्रों को भी याद किया. उन्होंने कहा, 'यह बहुत ही खास था, हमारे लॉकर ऑटोग्राफ के अनुरोधों और पार्टी के निमंत्रणों से भर जाते थे. पूरे इंग्लैंड में उस महान टीम की चर्चा थी, जिसमें क्लाइव लॉयड, हैरी पिलिंग, पीटर लीवर और केन शटलवर्थ जैसे नाम शामिल थे.'

रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर ने मैनचेस्टर को अपना घर बना लिया और आज भी वहीं रहते हैं. भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर, जो यहां निजी दौरे पर हैं, उनके भी इस समारोह में शामिल होने की उम्मीद है.

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